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लॉकडाउन में 63 लाख ग्राहक जोड़ जियो शीर्ष पर,वोडा-आइडिया और एयरटेल पिछड़े

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Reliance Jio reigns in Delhi circle with 35.33 percent market share

नयी दिल्ली| वैश्विक महामारी (कोविड-19) की वजह से किया गया लॉकडाउन देश की दूरसंचार क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों वोडा-आइडिया और एयरटेल पर बहुत भारी पड़ा है। मार्च-अप्रैल के दौरान रिलायंस जियो ही एकमात्र मोबाइल प्रदाता कंपनी रही जिसके साथ नये ग्राहक जुड़े जबकि एयरटेल और वोडा-आइडिया के करीब पौने दो करोड़ ग्राहकों ने उनकी सेवायें छोड़ दीं। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के मार्च-अप्रैल के आंकड़ो के आधार पर रिलायंस जियो ने इस दौरान लगभग 63 लाख ग्राहक और जोड़कर अपनी नंबर एक की स्थिति को और मजबूत कर दोनों कंपनियों को काफी पीछे धकेल दिया है। लॉकडाउन का असर अप्रैल में सरकारी कंपनी बीएसएनएल भी नहीं झेल पाई और उसके 20,053 ग्राहक कम हुए। हालांकि कंपनी के साथ मार्च में 95,428 ग्राहक जुड़े थे।

लाॅकडाउन का सबसे तगड़ा झटका वोडा-आइडिया को लगा है। दो माह के दौरान कंपनी के एक करोड़ आठ लाख 70 हजार से अधिक ग्राहकों ने सेवा छोड़ दी। समान अवधि में एयरटेल के 65 लाख 31 हजार से अधिक उपभोक्ता टूट गए। ट्राई के आंकड़े बताते हैं कि लॉकडाउन दूरसंचार उद्योग पर भारी गुजरा । कुल मिलाकर मार्च, अप्रैल में एक करोड़ 10 लाख से अधिक ग्राहक घटे । इसका मतलब देश में मोबाइल सिम इस्तेमाल करने वालों की संख्या में कमी दर्ज की गई है। जहां इस वर्ष फरवरी के अंत में 116 करोड़ पांच लाख के करीब ग्राहक मोबाइल वायरलेस सर्विस का इस्तेमाल कर रहे थे वहीं अप्रैल अंत में इनकी संख्या घटकर 114 करोड़ 95 लाख के करीब रह गई।

अप्रैल में जियो ही एकमात्र कंपनी रही जिसके नये ग्राहक बने। हालांकि मार्च की तुलना में यह संख्या कम 15 लाख 75 हजार 333 ग्राहक थी। इन्हें मिलाकर जियो ने 38 करोड 90 लाख 92 हजार 136 उपभोक्ताओं और 33.85 बाजार हिस्से के साथ पहले नंबर पर अपने को और मजबूत किया। दूसरे नंबर की एयरटेल से जियो के छह करोड 66 लाख 49 हजार 37 ग्राहक अधिक हैं।
भारती एयरटेल ने अप्रैल में सर्वाधिक 52 लाख 69 हजार 882 ग्राहक खोये और कुल 32 करोड़ 25 लाख 43 हजार 99 उपभोक्ताओं यानी 28.06 फीसदी शेयर के साथ दूसरे नंबर पर रही।

तीसरे नंबर की वोडाफोन आइडिया को अप्रैल में भी तगड़ा झटका लगा।उसके 45 लाख 16 हजार 866 ग्राहक टूटे और 31 करोड 46 लाख 51 हजार 748 उपभोक्ता और 27.07 प्रतिशत बाजार हिस्सा रह गया। कंपनी को मार्च में इससे भी तगड़ा झटका लगा था और उसके 63 लाख 53 हजार 200 ग्राहक कम हुए। बीएसएनएल 10.43 प्रतिशत बाजार शेयर अर्थात 11 करोड़ 97 लाख 60 हजार 55 ग्राहकों के साथ चौथे नंबर पर रही। बीएसएनएल के साथ मार्च में कुल 95428 ग्राहक जुड़े थे जबकि अप्रैल में उसने भी बीस हजार 53 ग्राहक खोये।

प्रशासनिक दृष्टि से ट्राई ने देश को 22 सर्किल में बांटा हुआ है। अप्रैल माह में 22 में से 21 सर्किल्स में ग्राहकों की संख्या घट गई। उत्तर प्रदेश पूर्व ही एकमात्र सर्किल रहा जहां नये मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ी है। अप्रैल में महाराष्ट्र, बिहार और गुजरात में 10 लाख से अधिक ग्राहक कम हुए। वहीं दिल्ली राजस्थान, आंध्र और कर्नाटक भी सर्वाधिक ग्राहक खोने वालों में शामिल हैं। वहीं मार्च माह में 18 सर्किल में ग्राहक कम हुए। पं बंगाल, राजस्थान, तमिलनाडु और यूपी पश्चिम में सबसे अधिक ग्राहक कम हुए।

रिलायंस जियो पांच सितंबर 2016 को दूरसंचार क्षेत्र में उतरी थी और चार वर्ष से ही कम समय में यह नंबर एक कंपनी बन गई है।
आक्रामक नीति बनाकर अपने प्रतिद्वंदी को पीछे छोड़ने में माहिर मुकेश अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज की 43 वीं आम बैठक में अगले तीन साल में जियो के ग्राहक पचास करोड़ रखा है। उनकी नजर 35 करोड 2जी ग्राहक में से अधिक से अधिक अपने साथ जोड़ने की है और इसी रणनीति पर आगे बढ़ने के लिए वह 4जी और आने वाली 5जी सेवा के लिये सस्ते स्मार्टफोन फोन बनाने की दिशा में आगे बढ़ते हुए गूगल समेत विश्व की कई अन्य जानी मानी कंपनियों को जियो प्लेटफॉर्म्स के मंच पर एकसाथ ले आए हैं।

 

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बार एसोसिएशन चुनाव: तारीख को लेकर संशय बरकरार

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फरवरी के प्रथम सप्ताह में चुनाव होने की अटकले तेज
वर्तमान कार्यकारिणी ने चुनाव को लेकर उत्पन्न विवाद में बार काउंसिल आॅफ इंडिया का खटखटाया दरवाजा
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। बार एसोसिएशन चुनाव को लेकर वर्तमान कार्यकारिणी और वरिष्ठ अधिवक्ताओं के बीच पैदा हुए विवाद के चलते चुनाव स्थिगित वाले मोड़ में आ गये हैं। तारीख को लेकर कोई स्पष्ट स्थिति नहीं बनी है और वर्तमान बार कार्यकारिणी ने अब बार काउंसिल आॅफ इंडिया का दरवाजा खटखटा दिया है। विवाद के चलते अभी तक ये भी तय नहीं हो पाया है कि बार एसोसिएशन का चुनाव 25-15 या फिर 20-10 वाले पैटर्न पर होगा या फिर नहीं। फिलहाल कचहरी परिसर में अटकले तेज हो गई हैं कि बार एसोसिएशन का चुनाव फरवरी माह के प्रथम सप्ताह में सम्पन्न कराया जा सकता है।
बता दें कि बार एसोसिएशन चुनाव को लेकर कई बार विरोधात्तक स्थिति देखने को मिल चुकी है। कभी एल्डर कमेटी का विवाद सामने आया है तो कभी अध्यक्ष एवं सचिव के उम्र वाले पैटर्न पर विवाद खड़ा हो चुका है। एल्डर कमेटी को लेकर सहमति बनना बताया जा रहा है कि राम अवतार गुप्ता की एल्डर कमेटी के नेतृत्व में चुनाव सम्पन्न कराया जायेगा। लेकिन अभी तक उम्र वाले पैटर्न को लेकर विवाद बना हुआ है। बताया जा रहा है कि चुनाव में हुए विवाद को लेकर वर्तमान बार कार्यकारिणी ने बार काउंसिल आॅफ इंडिया का दरवाजा खटखटा दिया है।
20-10 वाले पैटर्न में इन दावेदारों की दावेदारियां हैं प्रमुख
अभी हाल में बार एसोसिएशन चुनाव को लेकर अध्यक्ष के लिए 20 वर्ष एवं सचिव के लिए 10 वर्ष का अनुभव तय किया गया था। उक्त उम्र व्यवस्था के चलते अध्यक्ष पद के लिए तीन दावेदार जिसमें पूर्व अध्यक्ष रहे राकेश त्यागी काकड़ा, पूर्व अध्यक्ष राकेश त्यागी कैली और पूर्व में सचिव रहे दीपक शर्मा की दावेदारियां प्रबल थी। वहीं सचिव पद के लिए पांच अधिवक्ताओं की ओर से दावेदारियां की गई थी। सचिव पद के लिए स्नेह त्यागी, विनित शर्मा, अमित नेहरा, हरेंद्र गौतम, लोकेश कुमार आदि के नाम प्रमुख बताये जा रहे हैं। अब देखना होगा कि बार चुनाव में किस उम्र के पैटर्न को बार काउंसिल आॅफ इंडिया परमिशन देगा।
2500 अधिवक्ताओं की
लिस्ट हो चुकी है तैयार
बार एसोसिएशन चुनाव में अभी तक 2500 अधिवक्ता मतदाताओं की सूची तैयार कर ली गई है। चंूकि चुनाव स्थिगित हो गये हैं लिहाजा एक बार फिर से मतदाता अधिवक्ताओं की सूची को संशोधित करने का काम किया जायेगा। बताया जा रहा है कि संशोधित मतदाता अधिवक्ताओं की सूची में करीब 300 अधिवक्ताओं के नाम ओर शामिल किये जा सकते हैं।
पंजीकृत या फिर सीओपी धारक ही कर सकेंगे बार चुनाव में मतदान
बार एसोसिएशन की तरफ से चुनाव को लेकर पूर्व में ही घोषणा की गई थी कि चुनाव में पंजीकृत अधिवक्ता या फिर सीओपी धारक ही मतदान में हिस्सा ले सकेंगे। बार काउंसिल आॅफ उत्तर प्रदेश से सबंद्ध अधिवक्ता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेगा। बार चुनाव की गाइड लाइन में उक्त को प्रमुखता से लागू किया जायेगा।

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गंगाजल की धारा ले लेगी गाजियाबाद की ओर मोड़

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यदि जीडीए और नगर निगम उपलब्ध करा दें 442 करोड़
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। आबादी के साथ बुनियादी जरूरतें भी बढ़ रही हैं और इनमें से एक सबसे बड़ी जरूरत पानी की है। दिल्ली से सटे गाजियाबाद में आबादी का अनुपात बढ़ा है और इसी अनुपात में पानी की जरूरत भी बढ़ी है। यहां पानी की जरूरत को कैसे मैनेज किया जायेगा, इसे लेकर जिलाधिकारी गाजियाबाद आरके सिंह ने कई विभागों को साथ लेकर बैठक की। इस बैठक में मुख्य विषय यही था कि ऊपरी गंगा नहर प्रणाली से गाजियाबाद नगर निगम को 100 क्यूसेक कच्चा जल उपलब्ध कराया जाये। यहां पर जल निगम के अधिक्षण अभियंता ने अवगत कराया कि 250 क्यूसेक पानी की जरूरत है और इस जरूरत के सापेक्ष सिंचाई विभाग ऊपरी गंगा नहर प्रणाली द्वारा 100 क्यूसेक जल उपलब्ध कराया जा सकता है। यहां पर जब डीएम राकेश कुमार सिंह ने जल की उपलब्धता को लेकर सवाल किया तो सिंचाई निर्माण खंड के अधिशासी अभियंता संजय सिंह जादौन ने बताया कि यह एक नीतिगत मामला है और इस पर शासन की अनुमति से ही जल उपलब्ध कराया जा सकता है। इसके लिए 442.38 करोड़ की परियोजना तैयार कर स्वीकृति के लिए भेजी गयी थी। परियोजना पर होने वाले इस खर्च को जीडीए तथा नगर निगम द्वारा किया जाना है। इन्हीं दोनो विभागों को इस परियोजना पर होने वाले इस खर्च को देना है। यदि जीडीए और नगर निगम इस धन की व्यवस्था कर देंगे तो ऊपरी गंग नहर प्रणाली से 100 क्यूसेक कच्चा जल गाजियाबाद को दिया जा सकता है।
अधिशासी अभियंता बोले हमने दिये थे सुझाव नहीं मिले आदेश
गाजियाबाद की आने वाली सबसे बड़ी जरूरत यहां का भू जल है। जल की आपूर्ति के लिए नहरों और अन्य साधनों से भी जल चाहिए। जल को लेकर बुधवार को कलेक्ट्रेट में डीएम की अध्यक्षता में बैठक हुई। इस बैठक में पानी की उपलब्धता को लेकर और पानी की बचत को लेकर सभी विभागों के अधिकारियों ने अपनी राय रखी। इस बैठक में सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता मेरठ नीरज कुमार लांबा ने बताया कि गंगा नहर प्रणाली के अंतर्गत नहरों की लाईनिंग करके पानी की बचत की जा सकती है। लेकिन उच्च अधिकारियों
द्वारा नहरों की लाईनिंग कराये जाने के विषय में कोई आदेश प्राप्त नहीं हुए हैं।

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लखनऊ वाली बैठक से निकले हैं कई संदेश, निगम चुनाव में नहीं मिलेगी परिवारवाद को तवज्जो और कार्यकर्ताओं पर रहेगा फोकस

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वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)

गाजियाबाद। प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सोमवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय पर जो बैठक हुई उस बैठक से संदेश राष्टÑ से लेकर प्रदेश और क्षेत्र ये लेकर जिले तक आ रहे है। सूत्र बताते हैं कि बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा हुई लेकिन यहां फोकस में लोकसभा चुनाव और निगम चुनाव रहे है। बैठक कई दौर में हुई। इस बैठक में प्रदेश प्रभारी से लेकर मोर्चों के अध्यक्ष भी शामिल रहे है। क्षेत्रीय पदाधिकारी भी मौजूद थे और कई दौर की इस बैठक में राष्टÑीय महामंत्री बीएल संतोष और उत्तर प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह भी थे।
प्रदेश संगठन के सभी पदाधिकारी थे और सूत्र बता रहे हैं कि यहां पर साफ कर दिया गया है कि नेतृत्व के विकास में परिवारवाद के लिए कोई जगह नहीं होगी। भ्रष्टाचार और लालच के लिए कोई जगह नहीं होगी। कार्यकर्ता काम कर रहे है, उन्हें आगे लाना प्रथम प्राथमिकता है। यदि ऐसा होगा तभी एक सक्षम संदेश कार्यकर्ताओं के बीच जाएगा।
सरकार और संगठन के बीच समन्वय होना बहुत जरूरी
लखनऊ वाली बैठक में जब भाजपा के सारे कर्णधार नेता एकसाथ बैठे तो चिंतन-मनन केवल चुनाव पर ही नहीं हुआ बल्कि सरकार और संगठन को लेकर भी विचार रखे गए। बताया जाता है कि यहां स्पष्ट किया गया कि सरकार और संगठन के बीच समन्वय होना बहुत जरूरी है। क्योंकि जब सरकार और संगठन के बीच समन्वय होता है तभी पार्टी मजबूत होती है। तभी पार्टी की शक्ति बढ़ती है।
मोर्चों के अध्यक्ष विशेष रूप
से संकल्प पत्र पर दे ध्यान
लखनऊ वाली बैठक में केवल संगठन ही नहीं बल्कि फ्रंटल संगठन की कार्यशैली को लेकर भी चर्चा हुई। मोर्चों को विशेष रूप से अहम माना गया है और यह कहा गया कि किसान मोर्चा, ओबीसी मोर्चा और अल्पसंख्यक मोर्चा सहित सभी मोर्चों के अध्यक्षों को पार्टी के संकल्प पत्र के हर बिंदु पर ध्यान देना है। जो भी बिंदु उनके मोर्चे से संबंधित है उस पर काम करना है। दायित्व केवल दिखावे के लिए न लें। जो भी दायित्व ले उस पर काम करें।
नए चेहरों के साथ सभी समाज को मिले समान प्रतिनिधित्व
उत्तर प्रदेश भाजपा की मैराथन बैठक में 2024 का चुनाव रहा है और साथ ही निगम के चुनाव पर भी फोकस रहा है। निगम चुनाव को लेकर कहा गया है कि यदि रिजल्ट यहीं ठीक नहीं रहा तो फिर 2024 में मजबूती से चुनाव कैसे लड़ेंगे।
बैठक में युवाओं को आगे लाने की बात कही गई है और नए चेहरों के साथ नई लीडरशिप विकसित होने का सीन बन रहा है। यहां पर ये भी तय किया गया है कि भले ही किसी समाज की वोट कम हैं लेकिन हर समाज को संगठन से लेकर सरकार तक प्रतिनिधित्व मिलें। इस तरह से स्वरूप तैयार हो कि हर समाज के लोग भाजपा के साथ समाज की विकास यात्रा में मुख्यधारा में साथ रहे।

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