टोक्यो, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के नेतृत्व में चीनी सेना ने जब 74 साल पहले जापान के कोबायाशी कान्चो (96) को बंधक बनाया। (international news)वह दिन उनके जीवन के एक नए अध्याय की शुरुआत थी। (17:37)
कान्चो ने एक साक्षात्कार के दौरान कहा, “मैं एक नए जीवन के लिए चीन के लोगों का शुक्रगुजार हूं। 75 साल पहले मैं एक जापानी सैनिक था, जिसके निशाने पर ‘एटथ रूट आर्मी’ थी। लेकिन मुझे पकड़ लिया गया। चीन के लोगों ने मेरे साथ एक दुश्मन के बजाय एक सच्चे दोस्त और भाई की तरह बर्ताव किया।”
वह जापानी घुसपैठिए से चीनी सैनिक बनने के अपने सफर को याद करते हुए कहते हैं कि 19 जून 1941 को कोबायाशी को चीन की सेना ने बंधक बना लिया था, उस समय वह पूर्वी चीन के शानडोंग में अपने मिशन पर थे। इस दौरान उन्होंने दो बार आत्महत्या करने की कोशिश की लेकिन चीनी सैनिकों ने उन्हें बचा लिया और उनका इलाज किया।
चीनी सेना के साथ मार्च के दौरान उन्होंने देखा कि किस तरह जापानी सेना ने चीन के गांवों को जला दिया है। महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया गया और जापानी सैनिकों ने निर्दोष लोगों को मार दिया। उन्हें धीरे-धीरे अहसास हुआ कि जापान द्वारा चीन के खिलाफ शुरू किया गया यह युद्ध प्रतिशोध का युद्ध था, जिससे चीनी लोगों को असहनीय दर्द से गुजरना पड़ा। वह चीनी लोगों पर जापान के अत्याचारों के लिए स्वयं को दोषी महसूस कर रहे थे।
19 सितंबर 1941 को कोबायाशी और उसके साथी जापानी सैनिक एटथ रूट आर्मी में भर्ती हो गए। उन्होंने युद्ध बंद करने के लिए पुस्तिका वितरित की, नारे लिखे और टेलीफोन से संवाद भी स्थापित किया। उन्होंने जापानी सेना को आत्मसमर्पण करने के लिए मनाने की कोशिश भी की।
वह कहते हैं, “जब चीनी सेना ने मुझे बंधक बनाया, तो मेरा अस्तित्व ही मिट गया। अब मैं पुराना कोबायाशी नहीं था। चीनी लोगों ने मुझे एक नया जीवन दिया। वह कहते हैं कि उन्हें चीनी नागरिक होने पर गर्व है और अब वह दोनों देशों के बीच दोस्ती को बढ़ावा देने में योगदान कर रहे हैं।
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