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सुप्रीम कोर्ट के अंतिम चरण में पहुंची आईपीएस एसोसिएशन व केन्द्रीय सशस्त्र बल की जंग

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नई दिल्ली (ईएमएस)। उच्च वेतनमान को लेकर आइपीएस एसोसिएशन और पैरा मिलिट्री फोर्स (केन्द्रीय सशस्त्र बल) की चल रही कानूनी जंग सु्प्रीम कोर्ट में आखिरी चरण में पहुंच गई है। देश की सीमा की रक्षा और सरकारी संस्थानों की सुरक्षा में लगी सीमा सुरक्षाबल (बीएसएफ), केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ), और इंडो तिब्बत बार्डर पुलिस (आइटीबीपी) के जवान सब कुछ वही करते हैं, जो अन्य सुरक्षा बलों के जवान करते हैं लेकिन उन्हें ऑर्गनाइज्ड बल नहीं माना जाता। चारों केन्द्रीय बलों के अधिकारियों को अन्य सेवाओं के अधिकारियों की तरह नॉन फंक्शनल फाइनेंसियल अपग्रेडेशन (एनएफएफयू) का लाभ नही मिलता। यानी हर तीन साल पर लंबित प्रमोशन के हिसाब से उच्च वेतनमान का लाभ। दिल्ली हाईकोर्ट उनके हक में फैसला भी दे चुका है लेकिन केन्द्र सरकार और आइपीएस एसोसिएशन ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर रखी है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट में 11 सितंबर से अंतिम सुनवाई करेगा।
दिल्ली हाईकोर्ट ने करीब तीन साल पहले 3 सितंबर 2015 को दिए गए फैसले में केन्द्रीय बलों के अधिकारियों की याचिकाएं स्वीकार करते हुए केन्द्र सरकार को आठ सप्ताह में इन अधिकारियों को छठे केन्द्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक एनएफएफयू का लाभ देने का आदेश दिया था। मुकदमें में पक्षकार केन्द्रीय बलों के आला अधिकारियों के वकील विष्णु शंकर जैन का कहना है कि हाईकोर्ट ने फैसले में माना था कि केन्द्रीय बल के अधिकारी आर्गनाइज्ड ग्रुप ए सर्विस श्रेणी में आते हैं।
हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार का 28 अक्टूबर 2010 का ऑफिस आदेश (ओएम) रद्द कर दिया था। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सरकार के उन सभी पत्रों को भी निरस्त कर दिया था, जिनमें अधिकारियों की एनएफएफयू की मांग खारिज कर दी गई थी। विष्णु जैन ने कहा कि वास्तव में केन्द्रीय सशस्त्र बल के अधिकारियों को उच्च वेतननाम देने के खिलाफ ये लड़ाई आइपीएस लाबी की है। इसका कारण है कि इन चारों केन्द्रीय सशस्त्र बलों में टॉप रैंक पर आइपीएस अधिकारी डैपुटेशन पर (प्रतिनियुक्ति पर) आते हैं। ये प्रतिनियुक्तियां आइजी पद से शुरू होती हैं। इसके लिए इन केन्द्रीय बलों के अधिकारियों को डीआइजी पद पर ही रोक दिया जाता है। उन्हें डीआइजी के बाद प्रोन्नति नहीं मिलती। एक दो मामलों को छोड़कर कोई भी केन्द्रीय बल के अधिकारी टॉप पोस्ट पर नहीं पहुंचे।
विष्णु जैन कहते हैं कि आइपीएस एसोसिएशन की सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपीलों में केन्द्र सरकार की दलीलों के अलावा ये भी तर्क रखा है कि अगर ये अधिकारी उनके बराबर वेतनमान पाने लगेंगे तो वे लोग उन पर कमांड नहीं कर पाएंगे। प्रशासनिक दिक्कतें आएंगी। जैन का कहना है कि दस्तावेजों के मुताबिक उनका पक्ष पूरी तरह मजबूत है और उनके अधिकारियों को उच्च वेतनमान का कानूनी हक मिल कर रहेगा। मामले में अगर केन्द्र सरकार का पक्ष देखा जाए तो केन्द्र सरकार की सीधी सी दलील है कि केन्द्रीय सशस्त्र बल की ये चारो सविर्सेज ए ग्रेड की ऑर्गनाइज्ड सर्विसेज में नहीं आती। ऑर्गनाइज्ड सर्विसेज के लिए छह मानक तय हैं और ये सशस्त्र बल उन सभी छह मानकों को पूरा नहीं करते। केन्द्र सरकार का कहना है कि एनएफएफयू यानी उच्च वेतनमान का लाभ देने के लिए कैडर रिव्यू करना पड़ता है और कैडर रिव्यू के लिए उस सर्विस का ऑर्गनाइज्ड ग्रुप ए सर्विस होना जरूरी है, जो कि ये सशस्त्र बल नहीं है। सवाल यहां सरकार पर आर्थिक बोझ पड़ने का भी है।

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बार एसोसिएशन चुनाव: तारीख को लेकर संशय बरकरार

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फरवरी के प्रथम सप्ताह में चुनाव होने की अटकले तेज
वर्तमान कार्यकारिणी ने चुनाव को लेकर उत्पन्न विवाद में बार काउंसिल आॅफ इंडिया का खटखटाया दरवाजा
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। बार एसोसिएशन चुनाव को लेकर वर्तमान कार्यकारिणी और वरिष्ठ अधिवक्ताओं के बीच पैदा हुए विवाद के चलते चुनाव स्थिगित वाले मोड़ में आ गये हैं। तारीख को लेकर कोई स्पष्ट स्थिति नहीं बनी है और वर्तमान बार कार्यकारिणी ने अब बार काउंसिल आॅफ इंडिया का दरवाजा खटखटा दिया है। विवाद के चलते अभी तक ये भी तय नहीं हो पाया है कि बार एसोसिएशन का चुनाव 25-15 या फिर 20-10 वाले पैटर्न पर होगा या फिर नहीं। फिलहाल कचहरी परिसर में अटकले तेज हो गई हैं कि बार एसोसिएशन का चुनाव फरवरी माह के प्रथम सप्ताह में सम्पन्न कराया जा सकता है।
बता दें कि बार एसोसिएशन चुनाव को लेकर कई बार विरोधात्तक स्थिति देखने को मिल चुकी है। कभी एल्डर कमेटी का विवाद सामने आया है तो कभी अध्यक्ष एवं सचिव के उम्र वाले पैटर्न पर विवाद खड़ा हो चुका है। एल्डर कमेटी को लेकर सहमति बनना बताया जा रहा है कि राम अवतार गुप्ता की एल्डर कमेटी के नेतृत्व में चुनाव सम्पन्न कराया जायेगा। लेकिन अभी तक उम्र वाले पैटर्न को लेकर विवाद बना हुआ है। बताया जा रहा है कि चुनाव में हुए विवाद को लेकर वर्तमान बार कार्यकारिणी ने बार काउंसिल आॅफ इंडिया का दरवाजा खटखटा दिया है।
20-10 वाले पैटर्न में इन दावेदारों की दावेदारियां हैं प्रमुख
अभी हाल में बार एसोसिएशन चुनाव को लेकर अध्यक्ष के लिए 20 वर्ष एवं सचिव के लिए 10 वर्ष का अनुभव तय किया गया था। उक्त उम्र व्यवस्था के चलते अध्यक्ष पद के लिए तीन दावेदार जिसमें पूर्व अध्यक्ष रहे राकेश त्यागी काकड़ा, पूर्व अध्यक्ष राकेश त्यागी कैली और पूर्व में सचिव रहे दीपक शर्मा की दावेदारियां प्रबल थी। वहीं सचिव पद के लिए पांच अधिवक्ताओं की ओर से दावेदारियां की गई थी। सचिव पद के लिए स्नेह त्यागी, विनित शर्मा, अमित नेहरा, हरेंद्र गौतम, लोकेश कुमार आदि के नाम प्रमुख बताये जा रहे हैं। अब देखना होगा कि बार चुनाव में किस उम्र के पैटर्न को बार काउंसिल आॅफ इंडिया परमिशन देगा।
2500 अधिवक्ताओं की
लिस्ट हो चुकी है तैयार
बार एसोसिएशन चुनाव में अभी तक 2500 अधिवक्ता मतदाताओं की सूची तैयार कर ली गई है। चंूकि चुनाव स्थिगित हो गये हैं लिहाजा एक बार फिर से मतदाता अधिवक्ताओं की सूची को संशोधित करने का काम किया जायेगा। बताया जा रहा है कि संशोधित मतदाता अधिवक्ताओं की सूची में करीब 300 अधिवक्ताओं के नाम ओर शामिल किये जा सकते हैं।
पंजीकृत या फिर सीओपी धारक ही कर सकेंगे बार चुनाव में मतदान
बार एसोसिएशन की तरफ से चुनाव को लेकर पूर्व में ही घोषणा की गई थी कि चुनाव में पंजीकृत अधिवक्ता या फिर सीओपी धारक ही मतदान में हिस्सा ले सकेंगे। बार काउंसिल आॅफ उत्तर प्रदेश से सबंद्ध अधिवक्ता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेगा। बार चुनाव की गाइड लाइन में उक्त को प्रमुखता से लागू किया जायेगा।

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गंगाजल की धारा ले लेगी गाजियाबाद की ओर मोड़

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यदि जीडीए और नगर निगम उपलब्ध करा दें 442 करोड़
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। आबादी के साथ बुनियादी जरूरतें भी बढ़ रही हैं और इनमें से एक सबसे बड़ी जरूरत पानी की है। दिल्ली से सटे गाजियाबाद में आबादी का अनुपात बढ़ा है और इसी अनुपात में पानी की जरूरत भी बढ़ी है। यहां पानी की जरूरत को कैसे मैनेज किया जायेगा, इसे लेकर जिलाधिकारी गाजियाबाद आरके सिंह ने कई विभागों को साथ लेकर बैठक की। इस बैठक में मुख्य विषय यही था कि ऊपरी गंगा नहर प्रणाली से गाजियाबाद नगर निगम को 100 क्यूसेक कच्चा जल उपलब्ध कराया जाये। यहां पर जल निगम के अधिक्षण अभियंता ने अवगत कराया कि 250 क्यूसेक पानी की जरूरत है और इस जरूरत के सापेक्ष सिंचाई विभाग ऊपरी गंगा नहर प्रणाली द्वारा 100 क्यूसेक जल उपलब्ध कराया जा सकता है। यहां पर जब डीएम राकेश कुमार सिंह ने जल की उपलब्धता को लेकर सवाल किया तो सिंचाई निर्माण खंड के अधिशासी अभियंता संजय सिंह जादौन ने बताया कि यह एक नीतिगत मामला है और इस पर शासन की अनुमति से ही जल उपलब्ध कराया जा सकता है। इसके लिए 442.38 करोड़ की परियोजना तैयार कर स्वीकृति के लिए भेजी गयी थी। परियोजना पर होने वाले इस खर्च को जीडीए तथा नगर निगम द्वारा किया जाना है। इन्हीं दोनो विभागों को इस परियोजना पर होने वाले इस खर्च को देना है। यदि जीडीए और नगर निगम इस धन की व्यवस्था कर देंगे तो ऊपरी गंग नहर प्रणाली से 100 क्यूसेक कच्चा जल गाजियाबाद को दिया जा सकता है।
अधिशासी अभियंता बोले हमने दिये थे सुझाव नहीं मिले आदेश
गाजियाबाद की आने वाली सबसे बड़ी जरूरत यहां का भू जल है। जल की आपूर्ति के लिए नहरों और अन्य साधनों से भी जल चाहिए। जल को लेकर बुधवार को कलेक्ट्रेट में डीएम की अध्यक्षता में बैठक हुई। इस बैठक में पानी की उपलब्धता को लेकर और पानी की बचत को लेकर सभी विभागों के अधिकारियों ने अपनी राय रखी। इस बैठक में सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता मेरठ नीरज कुमार लांबा ने बताया कि गंगा नहर प्रणाली के अंतर्गत नहरों की लाईनिंग करके पानी की बचत की जा सकती है। लेकिन उच्च अधिकारियों
द्वारा नहरों की लाईनिंग कराये जाने के विषय में कोई आदेश प्राप्त नहीं हुए हैं।

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लखनऊ वाली बैठक से निकले हैं कई संदेश, निगम चुनाव में नहीं मिलेगी परिवारवाद को तवज्जो और कार्यकर्ताओं पर रहेगा फोकस

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वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)

गाजियाबाद। प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सोमवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय पर जो बैठक हुई उस बैठक से संदेश राष्टÑ से लेकर प्रदेश और क्षेत्र ये लेकर जिले तक आ रहे है। सूत्र बताते हैं कि बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा हुई लेकिन यहां फोकस में लोकसभा चुनाव और निगम चुनाव रहे है। बैठक कई दौर में हुई। इस बैठक में प्रदेश प्रभारी से लेकर मोर्चों के अध्यक्ष भी शामिल रहे है। क्षेत्रीय पदाधिकारी भी मौजूद थे और कई दौर की इस बैठक में राष्टÑीय महामंत्री बीएल संतोष और उत्तर प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह भी थे।
प्रदेश संगठन के सभी पदाधिकारी थे और सूत्र बता रहे हैं कि यहां पर साफ कर दिया गया है कि नेतृत्व के विकास में परिवारवाद के लिए कोई जगह नहीं होगी। भ्रष्टाचार और लालच के लिए कोई जगह नहीं होगी। कार्यकर्ता काम कर रहे है, उन्हें आगे लाना प्रथम प्राथमिकता है। यदि ऐसा होगा तभी एक सक्षम संदेश कार्यकर्ताओं के बीच जाएगा।
सरकार और संगठन के बीच समन्वय होना बहुत जरूरी
लखनऊ वाली बैठक में जब भाजपा के सारे कर्णधार नेता एकसाथ बैठे तो चिंतन-मनन केवल चुनाव पर ही नहीं हुआ बल्कि सरकार और संगठन को लेकर भी विचार रखे गए। बताया जाता है कि यहां स्पष्ट किया गया कि सरकार और संगठन के बीच समन्वय होना बहुत जरूरी है। क्योंकि जब सरकार और संगठन के बीच समन्वय होता है तभी पार्टी मजबूत होती है। तभी पार्टी की शक्ति बढ़ती है।
मोर्चों के अध्यक्ष विशेष रूप
से संकल्प पत्र पर दे ध्यान
लखनऊ वाली बैठक में केवल संगठन ही नहीं बल्कि फ्रंटल संगठन की कार्यशैली को लेकर भी चर्चा हुई। मोर्चों को विशेष रूप से अहम माना गया है और यह कहा गया कि किसान मोर्चा, ओबीसी मोर्चा और अल्पसंख्यक मोर्चा सहित सभी मोर्चों के अध्यक्षों को पार्टी के संकल्प पत्र के हर बिंदु पर ध्यान देना है। जो भी बिंदु उनके मोर्चे से संबंधित है उस पर काम करना है। दायित्व केवल दिखावे के लिए न लें। जो भी दायित्व ले उस पर काम करें।
नए चेहरों के साथ सभी समाज को मिले समान प्रतिनिधित्व
उत्तर प्रदेश भाजपा की मैराथन बैठक में 2024 का चुनाव रहा है और साथ ही निगम के चुनाव पर भी फोकस रहा है। निगम चुनाव को लेकर कहा गया है कि यदि रिजल्ट यहीं ठीक नहीं रहा तो फिर 2024 में मजबूती से चुनाव कैसे लड़ेंगे।
बैठक में युवाओं को आगे लाने की बात कही गई है और नए चेहरों के साथ नई लीडरशिप विकसित होने का सीन बन रहा है। यहां पर ये भी तय किया गया है कि भले ही किसी समाज की वोट कम हैं लेकिन हर समाज को संगठन से लेकर सरकार तक प्रतिनिधित्व मिलें। इस तरह से स्वरूप तैयार हो कि हर समाज के लोग भाजपा के साथ समाज की विकास यात्रा में मुख्यधारा में साथ रहे।

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