रायपुर, 5 फरवरी (आईएएनएस)। छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा के लिए नई नीति बनाई जा रही है। उसमें योग और प्राणायाम के साथ ही नैतिक शिक्षा भी प्रारंभ करने की योजना है। राज्य में पांच साल बाद भाजपा की सत्ता में वापसी हुई है और नई सरकार नए नवाचारों के जरिए राज्य के हर क्षेत्र में बदलाव लाने की कवायद जारी रखे हुए है। इसी क्रम में सरकार स्कूल शिक्षा की नीति बनाने जा रही है।
सरकार का मानना है कि स्कूली शिक्षा के दौरान ही बच्चे नैतिक मूल्यों और सामाजिक संस्कारों को सीखते हैं, जो उन्हें बेहतर नागरिक बनाते हैं। शिक्षा का व्यावसायीकरण करने की बजाय प्रतिभाओं को सामने लाने का प्रयास किया जाना चाहिए।
स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि स्कूल केवल शिक्षा का केंद्र ही न रहें, बल्कि समर्पण और संस्कार के केंद्र भी बने। राज्य शासन की शिक्षा के प्रति सर्वोच्च प्राथमिकता है। बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए राज्य में न्यू एजुकेशन पॉलिसी पर काम किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि आगामी सत्र से स्कूलों में पहले पीरियड में योग और प्राणायाम के साथ ही नैतिक शिक्षा भी प्रारंभ करने की योजना है। स्कूलों का उद्देश्य केवल ज्ञान प्रदान करना ही नहीं है, बल्कि छात्रों को जीवन में सफल होने के लिए आवश्यक सभी कौशल प्रदान करना भी है। वर्तमान समय में शिक्षा के साथ हमें व्यावहारिक और तकनीकी ज्ञान में दक्ष होना भी जरूरी है।
–आईएएनएस
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