Connect with us

दिल्ली

क्या देश कलाम को दे सका सच्ची श्रद्धांजलि

Published

on

दिल्ली।  यह देश का दुर्भाग्य है कि जिस समय भारत के महान सपूत एपीजे अब्दुल कलाम पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए थी, उस समय याकूब मेमन पर विलाप करने वाले सुर्खियों में हैं। (delhi latest news) जबकि इसका उल्टा होता, तो वह देशहित में रहता। अर्थात कलाम के व्यक्तित्व व कृतित्व पर होने वाली चर्चा से खासतौर पर देश के बच्चों और युवाओं को प्रेरणा मिलती। उन्हें पता चलता कि अपने सम्पूर्ण ज्ञान, योग्यता को देश के प्रति समर्पित करने वाला ही महान होता है।

उन्होंने मिसाइल और परमाणु परीक्षण में उल्लेखनीय योगदान दिया। यह देश की सुरक्षा के लिए उनका प्रयास था। वह देश को स्वाभिमानी व शक्तिशाली बनाना चाहते थे। जीवन भर उसके लिये चलते रहे। जीवन के इस पथ पर उन्होंने विश्राम नहीं किया। अंतिम समय में भी वह भावी पीढ़ी को देशभक्ति का पाठ पढ़ा रहे थे। वह देश के सर्वोच्च पद पर आसीन हुए, लेकिन कभी उन्होंने किसी पद के लिये लॉबिंग नहीं की। वह कर्म पर विश्वास करते थे। फल के प्रति आशक्ति नहीं थी। दुबारा राष्ट्रपति बनने की बात आई तो उन्हांेने साफ कहा कि सर्वसम्मति होने पर विचार करेंगे।

देश का सर्वोच्च पद धारण करने के बाद उन्होंने ज्यों की त्यों धर दीन्हीं चदरिया। उनके ना रहने पर एक प्रसंग की अवश्य देश में चर्चा होनी चाहिए थी। राष्ट्रपति भवन देखने की इच्छा सभी में हो सकती है। जिसका भाई, चाचा, भतीजा आदि राष्ट्रपति हो तो वह यह मोह कैसे रोक सकता है। ऐसे ही कलाम जी के 52 रिश्तेदार राष्ट्रपति भवन देखने आये, कुछ दिन रुके। यहां तक सब कुछ सामान्य था। पहले भी ऐसा होता रहा है।

पारिवारिक अतिथि जब राष्ट्रपति भवन से विदा हुए तो कलाम जी ने अपने वेतन से तीन लाख बावन हजार का चेक काटकर सरकारी खजाने में जमा किया। यह अतिथियों पर हुए खर्चो की निजी रूप में भरपाई थी। वह ऐसा ना करते तब भी उनकी ईमानदारी पर प्रश्न नहीं उठता। उनके पास अपना कुछ था ही नहीं। उन्हांेने कभी पूंजी का मोह किया ही नहीं। लेकिन उन्होंने अपने पारिवारिक अतिथियों का खर्च उठाना भी ईमानदारी व नैतिकता के दायरे में माना।

कितना अच्छा होता इस प्रसंग पर खूब चर्चा होती। समाज में अच्छा संदेश जाता। यह भी संयोग था कि इन्हीं दिनों दो पूर्व केन्द्रीय मंत्रियों को सर्वोच्च न्यायालय ने सरकारी बंगला खाली करने का आदेश दिया था। ये मंत्री पद से हटने के बाद भी वर्षो तक यहां कब्जा जमाए थे। इसके पहले अजित सिंह और लालू यादव को भी सरकारी बंगले से बेदखल करने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी।

अजीत सिंह तो अपने हजारों समर्थकों को धरना दिलाने दिल्ली ले आए थे। इन प्रसंगों के बीच देश की नई पीढ़ी देखती कि सार्वजनिक जीवन में कलाम जैसे अनाशक्त लोग भी थे। जिन्हें सरकारी सम्पत्ति से कोई मोह नहीं था। राष्ट्रपति भवन छोड़ने के बाद भी उन्होंने किसी खास बंगले की मांग नहीं की। नियमानुसार जो मिल जाए वह ठीक।

यह मानना पडेगा कि देश डॉ. कलाम को सच्ची श्रद्धांजलि नहीं दे सका। राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार करना ही उनके प्रति श्रद्धांजलि नहीं थी। एक हफ्ते का राष्ट्रीय शोक हुआ, प्रधानमंत्री अंतिम संस्कार में पूरे समय उपस्थित रहे, लेकिन डॉ. कलाम के प्रति इतना सम्मान ही पर्याप्त नहीं था। ये तो पूर्व राष्ट्रपति के प्रति औपचारिकताएं थीं, जिनका पालन किया गया।

वास्तविक सम्मान या श्रद्धांजलि तब होती जब उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर खूब चर्चा चलती। जब तक वह जीवित रहे, बच्चों और विद्यार्थियों को समझाते रहे, प्रेरणा देते रहे। राष्ट्रपति बनने के बाद भी उन्होंने अपना यह कार्य छोड़ा नहीं। वरन कई बार वह सर्वोच्च पद की औपचारिकता छोड़ देते थे। समारोह स्थल पर वह बच्चों के साथ बैठ जाते थे, उनके अधिकारी विलंब होने की बात करते, लेकिन वह बच्चों, विद्यार्थियों से बात पूरी करने के बाद ही वहां से उठते थे।

उन्हें लगता था कि बच्चों में राष्ट्र प्रेम का भाव जागृत करना आवश्यक है। यही देश का भविष्य बनायेंगे। ऐसा कम ही लोगों के साथ होता है, कि अपने ध्येय पथ पर चलते हुए ही उसके जीवन का अंत हो। शिलांग में उनका अंतिम कार्यक्रम हुआ। डॉ. कलाम शिलांग में अपना भाषण पूरा नहीं कर सके थे, लेकिन वह जितना भी बोले, उस पर राष्ट्रव्यापी चर्चा अवश्य होनी चाहिए थी। यहां उन्होंने बेहद महत्वपूर्ण और सामयिक मुद्दे उठाये थे। वह पर्यावरण पर बोले। सामान्य तौर पर इस विषय में प्रकृति, प्रदूषण, बिगड़ते मौसम चक्र आदि की बातें होती हैं।

डॉ. कलाम ने इस चर्चा को शिलांग में नया आयाम दिया। उन्होंने इसमें आतंकवाद का भी मुद्दा जोड़ा। पर्यावरण और आतंकवाद पर इसके पहले किसी ने ऐसा ध्यान नहीं दिया था। डॉ. कलाम प्रकृति संरक्षण पर बोले। कहा कि प्रकृति हमारी गलतियों की सजा दे रही है। इसका मानवता को नुकसान हो रहा है, वहीं आतंकवाद मानवता पर संकट है। यह भी पर्यावरण की भांति मानवता के सामने संकट बन रहा है। डॉ. कलाम के इस उद्बोधन को वर्तमान माहौल से जोड़कर देखें। भाषण पूरा नहीं हुआ, लेकिन वह समाधान के बिन्दु बता गये। प्रदूषण और आतंकवाद दोनों को मानवता के हित में रोकने की आवश्यकता है।

जाहिर है डॉ. कलाम का व्यक्तित्व व कृतित्व इतना व्यापक है कि उस पर कई दिन तक देश में चर्चा होनी चाहिए थी। लेकिन याकूब के हमदर्दो ने ऐसा नहीं होने दिया।

उत्तर प्रदेश

तीन महीने तक हैं थाना प्रभारी ट्रांसफर पोस्टिंग से सेफ !

Published

on

बढ़ी हुई है थाना प्रभारियों की हार्टबीट, घटनाएं ना करादें काम खराब
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। कमिश्नरेट सिस्टम लागू हो चुका है, अधिकारियों की एक के बाद एक पोस्टिंग हो रही है और उनके कार्यक्षेत्रों का विभाजन किया जा रहा है। बीते दिनों लगभग 47 उपनिरक्षकों की एक तबादला लिस्ट आई थी। उसके बाद चर्चां हंै कि जल्द ही थाना प्रभारियों के कार्यक्षेत्र में भी बदलाव देखने को मिल सकता है लेकिन गाजियाबाद कमिश्नरेट के सूत्र बता रहे हैं कि अभी तीन महीने थाना प्रभारियों को ट्रांसफर पोस्टिंग टेंशन से छुटकारा मिल सकता है। वहीं सूत्रों ने बताया है कि सीपी अजय मिश्रा ने पहली ही क्राइम मीटिंग में थाना प्रभारियों को साफ कर दिया था, कि वह बेहतर वर्किंग चाहते हैं और घटनाओं का खुलासा ठीक होना चाहिए। बेगुनाहों को जेल नहीं भेजा जाए और लोगों के फीडबैक पुलिस के प्रति ठीक प्रकार से आने चाहिए। सूत्रों ने दावा किया है कि अगर जिले में किसी थानाक्षेत्र में कोई बड़ी अप्रिय वारदात और थाना प्रभारी की लापरवाही का मामला सामने नहीं आता है तो ही तीन महीने से पहले जिले के 23 थानों के किसी प्रभारी के कार्यक्षेत्र में बदलाव देखने को नहीं मिलेगा।

देहात और सिटी सर्किल में हो रहे हैं लगातार खुलासे
कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद देहात पुलिस और सिटी थानाक्षेत्रों की पुलिस खुलासे कर रही है। तो वहीं बड़े घटनाक्रम भी खुल रहे हैं। इन्हीं दोनों के एरिया के पुलिस अधिकारियों की प्रेसवार्ता भी रखी गई हैं। दोनों ही डिप्टी कमिश्नर आॅफ पुलिस स्तर के अधिकारियों द्वारा की गई हैं, तो वहीं इनमें एसीपी स्तर के अधिकारी भी शामिल रहे हैं। खुलासों के मामले में कवि नगर ने जहां सनसनीखेज खुलासा किया। जिसमें पत्नी ने प्रेमी के संग मिलकर पति की हत्या की और नकली कस्टम इंस्पेक्टर भी दबोचा गया है। नंदग्राम ने छात्रा के दुष्कर्म के आरोपी को दबोचा, भोजपुर पुलिस ने हथियारों का जखीरा बामद किया था। वहीं मंगलवार को मुरादनगर थानाक्षेत्र पुलिस ने लाखों रुपए का माल और ट्रक व आरोपियों को बरामद किया है।

शांतिपूर्वक चुनाव और क्राइम कंट्रोल है बड़ा टास्क
गाजियाबाद कमिश्नरेट बनने के बाद नगर निगम का चुनाव होना है। इस चुनाव को लेकर गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरी भी अपनी पूरी तैयारी में जुटी हुई है। तो वहीं क्राइम कंट्रोल करना भी कमिश्नरेट में तैनात अधिकारियों के लिए एक बड़ी चुनौती रहेगा। सर्दियों का समय शुरू हो गया है और सीपी ने पुलिसकर्मियों को टास्क देने शुरू कर दिए। हालांकि अभी ट्रैफिक टास्क मिला है लेकिन चोरी, लूट और सनसनीखेज वारदातों पर रोकथाम और खुलासा करने पर उन्हें प्राथमिकता से काम करने का निर्देश दिया गया है। वहीं पुलिस टीमों को खुलासे करने के लिए भी उनके डिप्टी कमिश्नर स्तर के अधिकारी प्रेरित कर रहे हैं।

Continue Reading

अन्य ख़बरें

विक्रम वेधा के बाद पुष्कर गायत्री ला रहे क्राइम सीरीज, प्राइम वीडियो पर इस दिन होगी रिलीज

Published

on

नई दिल्ली। यह साल दक्षिण भारत के नाम रहा। फिल्में हों या कलाकार। दक्षिण भारतीय भाषाओं का कंटेंट खूब चला। इसीलिए, कई ऐसी फिल्में और सीरीज आयीं, जिन्हें हिंदी में भी रिलीज किया गया। इसी क्रम में वधांधी- द फेबल ऑफ वेलोनी आ रही है। मूल रूप से यह तमिल क्राइम थ्रिलर है, जिसे तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ के साथ हिंदी में भी स्ट्रीम किया जाएगा। सीरीज का ट्रेलर मंगलवार को जारी कर दिया गया।

क्या है सीरीज की कहानी?

वधांधी की कहानी के केंद्र में एक ईमानदार और तेजतर्रार पुलिस अफसर विवेक है, जो 18 साल की वेलोनी के कत्ल की गुत्थी सुलझाने में लगा है। कत्ल को बाद वेलोनी को लेकर कुछ अफवाहें फैलने लगती हैं, जो उसकी छवि को बिगाड़ रही हैं। विवेक के सामने यह भी एक चुनौती है कि जल्दी से केस सुलझाकर इन अफवाहों पर विराम लगाये।

सीरीज की स्टार कास्ट

वधांधी से तमिल एक्टर एसजे सूर्या ओटीटी डेब्यू कर रहे हैं। विवेक का किरदार उन्होंने ही निभाया है। सीरीज का निर्माण पुष्कर और गायत्री ने किया है, जिनकी फिल्म विक्रम वेधा में ऋतिक रोशन और सैफ अली खान ने लीड रोल्स निभाये थे। उनके अलावा नासर, विवेक प्रसन्ना, कुमारन थंगराजन और स्मृति वेंकट अहम भूमिकाओं में दिखेंगे। एंड्रयू लुइस निर्देशित सीरीज में लोकप्रिय अभिनेत्री लैला अहम भूमिका में दिखेंगी। साथ में संजना भी एक किरदार में नजर आएंगी। उनका यह डेब्यू है। एंड्रयू ने कहा- यह नोइर क्राइम थ्रिलर है और दर्शकों को अंदाजा लगाना मुश्किल होगा कि कहानी कहां जा रही है। स्क्रिप्ट से लेकर सीरीज के निर्देशन तक का पूरा सफर काफी रोमांचक रहा है। एसजे सूर्या, तमिल सिनेमा के चर्चित एक्टर-डायरेक्टर हैं। एंड्रयू ने सहायक निर्देशक के तौर पर सूर्या के साथ सात सालों तक काम किया है। सूर्या ने अपने ओटीटी डेब्यू को लेकर कहा कि जब पुष्कर-गायत्री ने मुझे सीरीज के लिए एप्रोच किया तो मैं बहुत खुश हुआ था। पहले भी पुलिस अफसर का किरदार निभा चुका हूं, लेकिन विवेक सामान्य किरदार नहीं है। सस्पेंस से भरी इस कहानी में दर्शक डूब जाएंगे।  अपने किरदार के बारे में लैला ने बताया कि मेरा किरदार काफी मजबूत है। हालांकि, यह एक ऐसी महिला का है, जो कमजोर है। मुश्किलों में रह रही यह महिला अपनी छोटी बेटी की हिफाजत की कोशिशों में जुटी रहती है। सीरीज में वेलोनी का टाइटल रोल संजना निभा रही हैं। संजना ने इस चुनौतीपूर्ण भूमिका के लिए लेखक-निर्देशक और निर्माताओं का शुक्रिया अदा किया, जिन्होंने संजना में भरोसा दिखाया। नवोदित एक्ट्रेस सीरीज को अपना ड्रीम डेब्यू मानती हैं।

 

Continue Reading

अन्य ख़बरें

UAE के विदेश मंत्री दो दिवसीय भारत दौरे पर , एस जयशंकर से की मुलाकात

Published

on

नई दिल्ली। एस जयशंकर ने मंगलवार को यूएई के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान से दिल्ली में मुलाकात की। इस दौरान जयशंकर ने कहा कि भारत और यूएई अपनी व्यापक रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाएंगे। जयशंकर ने ट्वीट कर कहा कि भारत में यूएई के महामहिम शेख अब्दुल बिन जायद का स्वागत करना हमेशा प्रसन्नता का विषय है। इस साल ये हमारी चौथी संरचित बैठक है। जयशंकर ने कहा कि हम अपनी व्यापक रणनीतिक सहभागिता को आगे बढ़ाएंगे।

भारत की आधिकारिक यात्रा पर जायद

बता दें कि जायद भारत की आधिकारिक यात्रा पर हैं। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘यूएई के विदेश मामलों के और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के मंत्री महामहिम शेख अब्दुल्ला 21-22 नवंबर को भारत की आधिकारिक यात्रा कर रहे हैं।’ जायद के साथ एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी आया है।

पीएम मोदी ने की थी यूएई की यात्रा

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, उनकी ये यात्रा दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय और पारस्परिक हित के वैश्विक मुद्दों पर नियमित परामर्श का हिस्सा होगी। मंत्रालय ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 जून 2022 को यूएई का दौरा किया था। तब उन्होंने दौरान उन्होंने शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान से मुलाकात की थी। वहीं, जयशंकर ने जायद के साथ तीसरी रणनीतिक वार्ता की सह-अध्यक्षता करने के लिए यूएई का दौरा किया था।

Continue Reading

Trending

%d bloggers like this: