नई दिल्ली, 9 फरवरी (आईएएनएस)। देश के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को सरकार ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने का ऐलान किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करके इसकी घोषणा की। सरकार द्वारा नरसिम्हा राव को भारत रत्न सम्मान दिए जाने पर उनके भाई पीवी मनोहर राव ने खुशी जाहिर की है। साथ ही पीएम मोदी का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने आईएएनएस से खास बातचीत करते हुए कहा कि 20 साल पहले यह सम्मान दिया जाना चाहिए था।
पीवी नरसिम्हा राव के भाई पीवी मनोहर राव ने नरेंद्र मोदी सरकार के द्वारा उनको भारत रत्न दिए जाने पर पीएम मोदी का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह 10 साल तक देश के पीएम रहे और कांग्रेस की सरकार रही तब भी वह नरसिम्हा राव को भारत रत्न नहीं दे सके। आज ऐसे में हमारे परिवार के सभी लोगों को इस घोषणा से बेहद खुशी हो रही है।
पीवी मनोहर राव ने आगे कहा कि अब नरसिम्हा राव को भारत रत्न मिला, इस पर किसी तरह की राजनीतिक बयानबाजी की जरूरत नहीं है। उन्हें भारत रत्न मिलना चाहिए था जो मिल गया। उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस के कई नेता भी चाहते रहे कि नरसिम्हा राव को भारत रत्न मिलना चाहिए। लेकिन, वह संभव नहीं हो पाया, अब कांग्रेस लीडरशिप को बहुत दुख हो रहा है। मोदी सरकार के दौरान छोटे-छोटे लोगों को सम्मानित किया जा रहा है, जो बेहतर कदम है।
उन्होंने आगे कहा कि जिस मनमोहन सिंह ने पीवी नरसिम्हा राव के साथ मंत्रिमंडल में काम किया और 10 साल वह प्रधानमंत्री रहे तो उन्होंने यह सम्मान उन्हें नहीं दिया। मोदी सरकार ने उन्हें यह सम्मान दिया, इसके लिए उनका आभार।
इससे पहले पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न सम्मान दिए जाने पर लिखा, “एक प्रतिष्ठित विद्वान और राजनेता के रूप में पीवी नरसिम्हा राव गारू ने भारत की विभिन्न क्षमताओं में बड़े पैमाने पर सेवा की। उन्हें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और कई वर्षों तक संसद और विधानसभा सदस्य के रूप में किए गए कार्यों के लिए समान रूप से याद किया जाता है। उनका दूरदर्शी नेतृत्व भारत को आर्थिक रूप से उन्नत बनाने के साथ ही देश की समृद्धि और विकास के लिए ठोस नींव रखने में सहायक था।”
पीएम मोदी ने आगे लिखा, “प्रधानमंत्री के रूप में नरसिम्हा राव ने भारत को वैश्विक बाजारों के लिए खोल दिया, जिससे आर्थिक विकास के एक नए युग को बढ़ावा मिला। इसके अलावा, भारत की विदेश नीति, भाषा और शिक्षा क्षेत्रों में उनका योगदान एक ऐसे नेता के रूप में उनकी बहुमुखी विरासत को रेखांकित करता है, जिन्होंने न केवल महत्वपूर्ण परिवर्तनों के माध्यम से भारत को आगे बढ़ाया बल्कि इसकी सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को भी समृद्ध किया।”
–आईएएनएस
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