गाजियाबाद (करंट क्राइम)। राजनीति में चीजें कभी स्थाई नहीं होती हैं। राजनीति में लहजे हमेशा समय के हिसाब से बदलते हैं। राजनीति के बुद्धिमान चेहरे कभी भी बिना बात घमासान नहीं करते हैं और अपने व्यवहार से अपने विरोधियों को भी कायल करते हैं। भगवा कमांडर संजीव शर्मा फिर से रिपीट हुए हैं। यदि ‘सियासी कहानी के फ्लैशबैक में जायें तो फिर पूरा कलेशपैक मिलेगा।’ बाते वो जो कहीं ना जाये और किस्से वो जो भुलाये ना जायें। कौन भूल पायेगा वो कॉलेज में हुई पकौड़ो वाली पार्टी। विधायकों से लेकर महानगर अध्यक्ष को याद तो होगा कि पकौड़ो वाली दावत के बाद क्या अदावत हुई थी, क्या बगावत हुई थी। कौन भूल पायेगा कि मैटर को लेकर एक लैटर भी लिखा गया था। लैटर के शब्द ऐसे थे कि लखनऊ से लेकर दिल्ली तक तूफान आ गया था। एक ऐसा मामला जिसमें इधर से उधर भाजपा थी और हाईकमान से पूरे मामले की जांच का फरमान आ गया था। मुख्यमंत्री ने संगठन से रिपोर्ट मांग ली थी। करंट क्राइम तो इस पूरी महाभारत का गवाह रहा था। लेकिन महाभारत के बाद जब बात एक भारत की चल रही है तो चीजों को सहजता से कैसे समेटा जाता है ये महानगर संजीव शर्मा अपनी दूसरी पारी के पहले ओवर से ही बता रहे हैं। तस्वीरें सामने आ रही हैं और तस्वीरें बता रहीं है कि लहजों की तकरार को दूर करने का काम शुरू हो गया है। संजीव शर्मा ने महानगर अध्यक्ष बनते ही सबसे पहले लोकसभा सांसद जनरल वीके सिंह का अभिनंदन किया। उन्होंने अध्यक्ष बनते ही कहा कि जनरल वीके सिंह हमारे नेता हैं। वह हमारे अभिभावक तुल्य हैं और हम सभी को उनके नेतृत्व में काम करना है। तकरार वाली दूसरी कहानी में एमएलसी दिनेश गोयल का भी नाम है। क्योंकि कॉलेज से शुरू हुई तकरार को अब प्यार में बदलने की शुरूआत संजीव शर्मा ने की है।
बुधवार को संजीव शर्मा एमएलसी दिनेश गोयल के कॉलेज पर गये। यहां पर संजीव शर्मा ने बड़ा दिल दिखाया तो तारीफ एमएलसी दिनेश गोयल की भी करनी होगी। तमाम सियासी बातों को भूलकर वो मेहमान नवाजी में आगे रहे। उन्होंने भी महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा को बधाई दी और गले लगाया। एमएलसी दिनेश गोयल ने अध्यक्ष संजीव शर्मा को राम दरबार भेंट किया। ये मुलाकात और रामदरबार वाला प्यार भाजपा में एक मिसाल के रूप में बताया जा रहा है।
विवाद नहीं संवाद के साथ चलेगा भगवा कामकाज
(करंट क्राइम)। संजीव शर्मा लगातार दूसरी बार अध्यक्ष हैं और अपनी पहली पारी में ही उन्होंने सबसे लोकप्रिय अध्यक्ष का खिताब अपने नाम किया है। पूरा कार्यकाल बिना विवाद के काम किया है। अब दूसरी पारी में भी वो इस बात का संदेश दे रहे हैं कि भगवा दफ्तर में कामकाज संवाद के साथ चलेगा और विवाद का कोई स्थान नहीं है। संजीव शर्मा पहले से अपने संवाद के लिए जाने जाते हैं। वो अक्सर कई मामलों में दिल बड़ा करते हैं और किसी भी विवाद को बड़ा होने से पहले ही उसे जड़ से खत्म कर देते हैं। अपने व्यवहार से सामने वाले को कायल कर देते हैं।
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