कहा-पार्षद कूड़ा नहीं उठवा सकता और ठेकेदारों को नहीं हो रहा भुगतान
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। भाजपा पार्षद हिमांशु लव निगम के सदन से लेकर सड़क तक मुद्दों को उठाते हैं। यदि मुद्दा जनता से जुड़ा है तो फिर वो खुलकर सामने आते हैं। हिमांशु लव एक बार फिर नगर निगम के 15 साला प्लान से लेकर भावी मेयर और पार्षदों के चुनावी प्लान का सवाल लेकर आये हैं। उन्होंने कहा है कि आने वाले निगम पार्षद और मेयर अभी यह भी तय नहीं कर पाये हैं कि वो आने वाली पंचवर्षीय योजना में क्या नीतिगत फैसला लेंगे और वहीं नगर निगम 15 साल के लिए पार्किंग से लेकर कूड़ा उठाने का टेंडर दे चुका है। भाजपा पार्षद के सवाल नगर निगम के फैसलोें को लेकर हैं। उन्होंने कहा है कि रोज ही भाजपा के प्रति श्रृद्धा और समर्पण रखने वाले लोगों के नाम भाजपा से मेयर प्रत्याशी के लिए समाचार पत्रों में प्रकाशित हो रहे हैं। हर रोज एक नया नाम प्रकाशित हो जाता है। वार्ड में भी आठ से दस प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरने को तैयार हैं लेकिन अभी तक किसी भी आने वाले निगम पार्षद या आने वाले महापौर को यही संज्ञान नही है कि जब फैसले 15 साल को लिये जा चुके हैं तो उनके पास जीतने के बाद भी करने को कुछ काम नही है।
ट्यूबवैल-सीवर-कूड़ा पानी की लाईनों का रख रखाव ठेके पर
नगर निगम की कार्यशैली पर निगाह डालें तो सीवर का रखरखाव ठेके पर है। पानी के टयूबवैल का रखरखाव ठेके पर है। डोर टू डोर कूड़ा उठाने का कार्य ठेके पर है। पानी की लाईनों का रखरखाव भी ठेके पर है। हिमांशु लव ने अपने पत्र के जरिये निगम की ठेका कार्यशैली का जिक्र किया है।
पार्षद को कूड़ा उठवाने के लिए करना होगा ठेकेदार को फोन
हिमांशु लव भाजपा पार्षद हैं और निगम चुनाव से पहले उन्होंने निगम को उसके फैसलों को लेकर घेरा है। उन्होंने कहा कि वार्ड का पार्षद अपने वार्ड में निगम कर्मचारियों से कूड़ा भी नहीं उठवा सकता है। अगर निगम पार्षद फोन करके कूड़ा उठवाना चाहे तो उसके लिए भी ठेकेदार को फोन करना पड़ेगा। कूड़ा उठाने के काम में वाहन नगर निगम के होंगे और आमदनी ठेकेदार की होगी।
कहां से हो विकास का काम जब ठेकेदारों को नहीं हो रहा भुगतान
हिमांशु लव ने अपने पत्र में विकास और भुगतान का कनेक्शन जोड़ा है। साफ लिखा है कि वार्डों में विकास कार्य नही हो रहा है। दो वर्ष कोरोना काल में विकास नहीं हो पाया और डेढ साल से ठेकेदारों को भुगतान ना होने के कारण काम ठप पड़े हैं । जो टेंडर छुटे हैं उन पर ठेकेदार काम नहीं करते हैं। नगर निगम का खजाना खाली है और मेयर से लेकर पार्षद तक रोज एक नया नाम चुनाव लड़ने का सवाली है।
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