वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद।
अतुल गर्ग शहर विधायक हैं, पूर्व राज्यमंत्री हैं और इन सबके साथ-साथ वो शब्द खिलाड़ी हैं। अगर सियासत वाले एक साथ मौजूद हैं तो फिर अतुल गर्ग को पता है कि शब्दों की तुण्डीर से कौन सा तीर चलाना है। तीर चलाने का अंदाज भी ऐसा कि परिंदे को भी बचाना है और तीर भी चलाना है। कविनगर रामलीला मैदान का भूमि पूजन था और यहां सियासत के चेहरे मौजूद थे। भूमि पूजन का वेन्यू बाहर और भोजन का मैन्यू अंदर था। अब वेन्यू पर चर्चा चल रही थी और यहां शहर विधायक अतुल गर्ग से कई लोग रूबरू थे और इसी बीच जिक्र महानगर अध्यक्ष पद पर संजीव शर्मा की घोषणा को लेकर चला। सवाल हुआ कि जब संजीव शर्मा का नाम लिस्ट में आया होगा तो आप जरूर मुस्कुराये होंगे। गर्व से सीना फूला होगा। इन बातों को सुनकर अतुल गर्ग ने पहले अपने आजू में बैठे विजय मोहन को देखा और फिर बाजू में बैठे अजय शर्मा को देखा। मुस्कुराये और यहां उनके शब्दों में ‘उन्होंने’ आ गये। अतुल गर्ग ने कहा कि मैं पहले भी सहज था और अब भी सहज हूं लेकिन मेरे अलावा ‘उन्होंने’ भी तो संजीव की सिफारिश की है। अतुल गर्ग यहीं खामोश नहीं हुए और उन्होंने कहा कि आप को पता नहीं है कि ‘उन्होंने’ तो मयंक गोयल की भी सिफारिश की और ‘उन्होंने’ तो अशोक मोंगा के नाम की भी पैरवी की। ‘उन्होंने’ तो केके शुक्ला का भी नाम लिया था और योगेश त्रिपाठी के लिए भी ‘उन्होंने’ बोला था। अतुल गर्ग ने कहा कि आप ये मत सोचो कि ‘उन्होंने’ केवल संजीव शर्मा के लिए बोला था। संजीव शर्मा भी बहुत एक्टिव हैं, संगठन चलाना जानते हैं। अभी ये बात अतुल गर्ग कह रहे थे तो उनके बाजू में बैठे अजय शर्मा ने यह कन्फर्म किया कि ‘उन्होंने’ मेरा नाम लिया था या नहीं लिया था तो अतुल गर्ग ने बताया कि ‘उन्होंने’ तुम्हारा भी नाम लिया था। अब समझने वाले समझ रहे थे कि ‘उन्होंने’ किस किस का नाम लिया था और अतुल गर्ग बिना उनका नाम लिये उन्हें क्यों बार-बार बता रहे हैं। ये भी बता रहे है कि ‘उन्होंने’ किस किस का नाम एक ही पद के लिए सिफारिश के रूप में लिया था।