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..और सुरक्षा तंत्र सोता रहा

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चिंता यह नहीं कि पंजाब में पाक की नापाक हरकतों ने पूरे देश को झकझोरा, बल्कि यह भी कि खुफिया एजेंसियां कैसे इन सबसे अनजान रहीं, नाकाम रहीं? 15 किलोमीटर का पैदल सफर कर असलहों से लैस तीन आतंकवादी बड़े आराम से रात 11 बजे ही न केवल भारत की सीमा में घुस जाते हैं, बल्कि पूरी रात चलकर जीपीएस के जरिए दीनापुर में अपने ठिकाने भी पहुंच जाते हैं।(Intelligence agencies hindi news)

पौ फटने से पहले तलवंडी रेलवे पुल पर वे 5 आरडीएक्स से लैस शक्तिशाली बम फिट करते हैं, हमारी खुश्किस्मती बस इतनी कि बैटरी गीली हो गई और एक बड़ा हादसा टल गया। आतंकी इतने बेखौफ कि बस रोकते हैं, नहीं रुकने पर फायरिंग करते हैं, ड्राइवर की होशियारी से मुसाफिरों की जान बचती है। बाद में एक कार छीनते हैं और आगे बढ़ जाते हैं।

जाहिर है, इसमें वक्त तो लगा होगा, फिर भी हमारा नाकारा सुरक्षा तंत्र सोता रहा। आखिर वे अपने लक्ष्य तक पहुंच जाते हैं और दीनानगर थाने में घुसकर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू देते हैं। तब कहीं हमारी अलसायी सुरक्षा व्यवस्था भोर की गहरी नींद से जागती है। आतंकियों की अत्याधुनिक एके-47, रॉकेट लांचर, ग्रेनेड्स के जवाब में पंजाब पुलिस के जवान पुरानी बंदूकों के साथ बिना बुलेट प्रूफ जैकेट और हेलमेट के सेल्फ लोडेड रायफल्स से जवाबी कार्रवाई में खुद को झोंक देते हैं।

आतंकियों से लड़ती पंजाब पुलिस की तस्वीरों से तरस आता है। साफ लग रहा था कि पंजाब पुलिस को न तो आतंकियों से निपटने कोई खास ट्रेनिंग दी गई है और न ही आतंकी समझ की पूरी जानकारी, फिर भी पंजाब पुलिस ने कमाल का काम किया। अगर यही सब तैयारी के साथ होता तो संभव था कि खून खराबा कम होता और मोर्चे पर सफलता जल्दी मिलती।

अमेरिका में स्पेशल विपंस एंड टैक्टिस यानी ‘स्वाट’ है जिसका गठन 1968 में लॉस एंजेलिस पुलिस विभाग में किया गया। इसका काम आतंकवादी विरोधी अभियान, बंधक मुक्ति, वारंटियों की खोज, संदिग्धों के खिलाफ मोचार्बंदी, भारी हथियारों से लैस अपराधियों को पकड़ना होता है।

टीम के पास विशेष हथियार होते हैं जिनमें राइफल, टॉमी बंदूक, शॉटगन, कार्बाइन, बेहोश करने वाले हथगोले, घात लगाकर निशाना साधने वाली उच्च क्षमता की बंदूकें, विशेष उपकरण जिसमें भारी कवच, कवचधारी वाहन, रात में देख पाने योग्य कैमरे, छिपे हुए आतंकियों या बंधकों की स्थिति को समझने वाले डिटेक्टर्स होते हैं। एक और देश इजरायल जिसकी पूरी व्यवस्था सुपर हाईटेक है।

कैमरे, कम्प्यूटर और सॉफ्टवेयर चौबीसों घंटे निगरानी करते हैं। क्या मजाल जो परिंदा भी पर मार जाए। धुआं की हल्की सी गुबार तक कैमरे की जद में। यहां हर समय आतंकी हमले से निपटने को तैयार एक सेफ सिटी कांसेप्ट काम करता है जिसका मकसद लोगों को भयमुक्त रखना है।

तेल अवीब शहर आतंवादी हमलों दर हमलों के बाद भी छावनी में नहीं बदला, कैसे? पुलिस शहर में दिखती तक नहीं, न बैरीकेड, न पूछताछ, न छानबीन फिर भी अमन-चैन! सारा कमाल है कमांड और कंट्रोल सेंटर का, जो म्युनिस्पल के एक कमरे में चलता है। तरीका बहुत आसान। हर गली, मुहल्ला कैमरे की निगाहों में है, वह भी इतने ताकतवर कि गाड़ियों के नंबर प्लेट तक पढ़ लें। इसे वॉच करने तैनात है मुस्तैद टीम।

हजारों कैमरे पर नजर का तरीका भी वैज्ञानिक जिसमें वीडियो कंटेंट एनालिसिस सिस्टम, जिसके जरिए वो तस्वीरें खुद-ब-खुद स्क्रीन पर डिस्प्ले होने लगती हैं, जिन्हें पहचानने की कमांड उन्नत कंप्यूटरों को दी गई है। तेज रफ्तार गाड़ी, गलत तरीके से चलता, भिड़ता या भागता ऑब्जेक्ट, सड़क पार करने में हुई हड़बड़ी या गड़बड़ी, यहां तक कि अगर कहीं आग लग जाए या दुर्घटना हो जाए तो सीधी तस्वीरें खुद कंट्रोल सेंटर में अपने आप डिस्प्ले होने लग जाती हैं।

सेना, पुलिस और प्रशासन हर वक्त आपस में जुड़े होते हैं, तुरंत फैसला लेकर कार्रवाई करते हैं। आतंकवादी हमले वहां भी शहर, कस्बे और गांवों में होते हैं। लेकिन व्यवस्था हर कहीं इतनी चुस्त-दुरुस्त कि धुएं का छोटा सा गुबार भी कैमरा पकड़ ले। इजरायल की सुरक्षा व्यवस्था से प्रभावित होकर यहां के गोल्डन सीरिज के यूएवी और कैमरे दुनिया के चुनिंदा देशों में उपयोग किए जाते हैं। इनसे 360 डिग्री तक आसपास के इलाकों को दिन में बखूबी सर्चिग की जा सकती है।

यह तो चंद मॉडल हैं आतंकवाद से निपटने खातिर। भारत को भी कुछ ऐसी व्यवस्थाओं को अंजाम देना होगा। दीनानगर आतंकी हमले से निपटने 12 घंटे चले ऑपरेशन में एक पुलिस अधीक्षक, 4 पुलिस जवान, 3 बेगुनाह नागरिकों की कुबार्नी पर यकीनन सबको नाज है। लेकिन सवाल फिर वही जिस देश में ही प्रतिभाओं की भरमार है, तकनीकी महारत में दुनिया में नामचीनों की लंबी फेहरिस्त है, तब भी हमारे बार्डर और संवेदनशील इलाके असुरक्षित!

अब जरूरत इस बात की कि सुरक्षा के लिए असलाह, बारूद तो हों, लेकिन वे आधुनिक तकनीक और तरकीब भी हों, जिनसे पलक झपकते किसी भी नापाक इरादे की सूचना खुद-ब-खुद मिले और दुश्मनों के मंसूबे नाकाम हो जाएं।

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नई वाली कमिश्नरी क्या देगी अपने कमिश्नर को जीत का तोहफा

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गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद पुलिस के बीच आज होगा टी-20 का फाइनल
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। शुक्रवार को नेहरू स्टेडियम वीवीअईपी क्रिकेट मैदान में गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर कमिश्नरेट टीमों के बीच 23वीं अंतर जनपदीय पुलिस क्रिकेट प्रतियोगिता-2022 के फाइनल मैच खेला जाएगा। फाइनल मैच सुबह 10 बजे शुरू होगा और इसकी ट्रॉफी पर कब्जा कौन करेगा यह इसके बाद तय हो पाएगा। हाल ही में कमिश्नरेट बने गाजियाबाद की टीम पहले मुकाबले से लेकर फाइनल पहुंचने तक शानदार गेंदबाजी, बल्लेबाजी और क्षेत्ररक्षण के दम पर फाइनल में पहुंची है। हाल ही में गाजियाबाद को कमिश्नरी बनाया गया है। गाजियाबाद की टीम ने शानदार खेल के दम पर फाइनल में एंट्री पाई है। अब गाजियाबाद कमिश्नरेट टीम की कोशिश है कि अपने नवनियुक्त कमिश्नर को जीत का आज होने वाले मुकाबले में तोहफा दिया जाए। क्रिकेट का खेल मैदान पर खिलाड़ियों से लेकर अधिकारियों में जोश भर देता है। कहा जा रहा है सीपी अजय मिश्रा फाइनल मुकाबले में उपस्थित रहेंगे। इस दौरान गाजियाबाद की टीम मैच जीतकर तोहफा देने का पूरा प्रयास करेगी।
नेहरू स्टेडियम में आज सुबह 10.30 बजे होगा मैच
गाजियाबाद की क्रिकेट टीम पहले मुकाबले से लेकर फाइनल तक जीत की लय को बरकरार रखे हुए है। पहले मैच में सहारनपुर को एकतरफा अंदाज में हराया था तो गुरुवार को खेले गए सेमीफाइनल मुकाबले में हापुड़ को शिकस्त दी। गेंदबाज से लेकर बल्लेबाज बेहतर फॉर्म में हैं। लोकल स्टेडियम और स्पोटर्् का टीम को लाभ भी मिल रहा है।

सेमीफाइनल में गाजियाबाद ने हापुड़ को हराया
(करंट क्राइम)। गुरुवार को खेले गए मैच में गाजियाबाद की टीम ने सेमीफाइनल में हापुड़ की टीम को करारी शिकस्त दी। गाजियाबाद के भोला चौधरी ने शानदार पारी खेलते हुए 48 रन से हापुड़ की टीम पर विजय प्राप्त की। कप्तान भोला चौधरी को इस शानदार खेल प्रदर्शन के लिए मैन आॅफ द मैच का पुरस्कार भी दिया गया। शुक्रवार को फाइनल मुकाबले पर विजेता खिलाड़ियों को नवनियुक्त सीपी अजय मिश्रा ट्रॉफी देकर सम्मानित करेंगे और पुरस्कार वितरण समारोह में बतौर अतिथि उपस्थित रह सकते हैं। गाजियाबाद में मेरठ जोन के सभी जिलों की टीमों ने यहां खेल भावना का परिचय देते हुए टी-20 फॉर्मेट पर खेली जा रहे क्रिकेट प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है। गाजियाबाद की सेमीफाइनल में मिली शानदार जीत पर मैन आॅफ द मैच भोला चौधरी को एएसपी निमिष दशरथ पाटिल ने पुरस्कार देकर फाइनल मैच के लिए शुभकामना दी। फाइनल मुकाबले पर जीत का ताज किसके सिर पर आएगा यह देखना दिलचस्प होगा। फाइनल मैच गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर कमिश्नरेट के बीच खेला जाएगा। विजेता वाला कप व ट्रॉफी कमिश्नरेट वाले किस जिले पर आएगा यह देखना दिलचस्प रहेगा।

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भाजपा के निर्दलीय दावेदार ने उतार दी निजी सफाई कर्मचारियों की फौज

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गाजियाबाद (करंट क्राइम)। निगम चुनाव में इस बार सर्दी में गर्मी का मौसम भाजपा के वार्डों में आया है। दावेदारी की सबसे बड़ी चुनौती भाजपा में मिल रही है। भाजपा के सिटिंग पार्षद के सामने चुनाव में खड़े होने के लिए भाजपा के ही दावेदार ताल ठोक रहे हैं। एक वार्ड ऐसा है जहां पूर्व मंडल अध्यक्ष से लेकर मौजूदा मंडल अध्यक्ष तक चुनावी मैदान में दावेदारी का एलान कर चुके हैं। पूर्व मंडल अध्यक्ष कह चुके हैं कि चुनाव हर हाल में लड़ना है यानी टिकट मिले या ना मिले वो निर्दलीय मैदान में उतरेंगे। मौजूदा मंडल अध्यक्ष तो इस बात की गारन्टी दे चुके हैं कि टिकट भी मेरा और चुनाव भी मुझे ही लड़ना है। इस वार्ड में रोचक जंग एक्स भगवा और रिलेक्स भगवा के बीच होनी है।
चुनाव में मतदाताओं को लुभाने के लिए नदियापार वाले तो दस पंखे ही बांट रहे हैं लेकिन शहर वाले इस वार्ड में धोती वालों ने तूफान उठा रखा है। वो फोगिंग मशीन खरीद लाये हैं और जहां निगम वाले नही पहुंचे हैं वहां वो फोगिंग मशीन लेकर पहुंचे हैं। घर घर फोगिंग कर रहे हैं और चुनावी दावेदारी की जोगिंग भी मजे से हो रही है। कांगे्रस के संभावित दावेदार ने जब मिर्जा वाले मोहल्ले में कथा कराई तो फोगिंग मशीन वाले दावेदार वहां जाकर माथा टेक आये, पुजारी से लेकर कथा सुन रहे वार्ड के मतदाताओं से जीत का आशीर्वाद ले आये। अब दावेदारी की जंग में रोचक रंग आ गया है। अभी तक तो कथा में माथा टेका जा रहा था और मौहल्ले में फोगिंग के साथ धुंआदार दावेदारी हो रही थी। अब मौहल्ले में दावेदार की सफाई फौज आ गयी है। कूड़ा उठ रहा है, सफाई हो रही है और मौहल्ले वालों की मौज आ गयी है। दावेदार ने इस सुविधा के लिए रकम खर्च की है और सूत्र बताते हैं कि उन्होंने तीन निजी सफाई कर्मियों को वेतन पर रखा है। निगम चुनाव तक वो काम करेंगे या मतदान तक काम करेंगे ये तो बाद की बात है लेकिन ये सफाई कर्मचारी वार्ड में आ गये हैं। खास बात ये है कि सफाई किसके सौजन्य से हो रही है ये पता लगना बहुत जरूरी है।
लिहाजा दावेदार मित्तल जी जो कि पूर्व मंडल अध्यक्ष भी हैं वो अपने फोटो और नाम के साथ वार्ड संख्या वाली टी-शर्ट लेकर आये हैं। सफाई कर्मचारी जब मौहल्ले में सफाई के लिए आयेंगे तो टी-शर्ट भी उन्हीं की पहनकर आयेंगे जो सफाई के बदले उन्हें भुगतान करायेंगे। ये सफाई कर्मचारी दोपहर दो बजे के बाद आते हैं। वार्ड के कोने कोने से कूड़ा उठाते हैं।

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बैठक के बाद चुनाव सहप्रभारी ने कही कार्यकर्ता की बात और समझी उनकी व्यथा बोले उद्योगपति पैसे वालों को नहीं बल्कि कार्यकर्ता को मिलेगी पार्षद टिकट में वरीयता वरिष्ठ

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संवाददाता (करंट क्राइम)

गाजियाबाद। नगर निगम चुनाव के सह प्रभारी और सहारनपुर से भाजपा विधायक राजीव गुम्बर गुरुवार को गाजियाबाद में निकाय चुनावों की मीटिंग के दौरान कार्यकर्ताओं के लिए एक उम्मीद की किरण छोड़कर गये। उन्होंने मीटिंग में जो कुछ कहा वो टिकट की दावेदारी कर रहे कार्यकर्ताओं के लिए उत्साह की संजीवनी रही।
निकाय और निगम चुनाव से पहले भाजपा अपने चुनाव प्रबंधन की ताकत को जांचना चाहती है और वो यहां पर बूथ की ताकत का भी आंकलन करना चाहती है। जो बातें उन्होंने बैठक में कही उन बातों से इतर जाकर उन्होंने कार्यकर्ताओं के लिये भी जो कहा वो उत्साह जनक था।
चुनाव को लेकर कई वाईड बाते कही गयी लेकिन बैठक के बाद साईड में जो कहा वो कार्यकर्ता को प्राईड फील कराने वाला था। यहां कार्यकर्ताओं के लिए एक संदेश था तो एक संदेश उन टिकट गारंटरों के लिए भी था जो किसी ना किसी की पैरवी कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार निगम चुनाव के सह प्रभारी राजीव गुम्बर ने कहा कि हमें अपने पुराने कार्यकर्ता की मान्यता को देखना है। टिकट कोर कमेटी तय करेगी लेकिन सभी लोग इस बात को समझ लें कि टिकट वितरण में कार्यकर्ता को प्राथमिकता मिलेगी। वार्ड के टिकट में किसी उद्योगपति या पैसे वाले को नहीं बल्कि कार्यकर्ताओं को मौका दिया जायेगा।
सह प्रभारी के ये बोल बता रहे हैं कि भाजपा अपने कार्यकर्ताओं की फौज के जरिये चुनावी नतीजों में फूल मौज लेना चाहती है।
जब संगठन कहेगा तब बॉयोडाटा दिये जाने हैं
निकाय चुनावों को लेकर कार्यकर्ताओं के जोश की नब्ज चुनाव सहप्रभारी राजीव गुम्बर ने टटोली। वो चुनाव का काम देख रहे हैं और वो जानते हैं कि भगवा गढ़ में दावेदारों की एक पूरी सेना चुनाव लड़ने के लिए तैयार है। चुनावी अनुभव है और वो ये भी समझ रहे हैं कि चुनाव के बॉयोडेटा लेने के लिए भी एक टोली खुद को रेडी रखे हुए है।
कार्यकर्ताओं में किसी प्रकार का गलत संदेश ना जाये, और कार्यकर्ताओं को कहीं से भी ये नही लगना चाहिए कि उनके साथ पक्षपात हुआ है। बैठक के बाद साईड में जब वाईड तरीके से चुनाव सहप्रभारी ने समझाया तो यहां उन्होंने बातों ही बातों में ये भी बताया कि टिकट कोर कमेटी क्या करेगी और सभी लोग इस बात को ध्यान में रखें कि जब संगठन कहेगा तब बॉयोडेटा लिये जाने हैं। उससे पहले कोई भी अपना बॉयोडेटा नहीं देगा और ना ही कोई संगठन पदाधिकारी बॉयोडेटा लेगा।

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