नई दिल्ली। दिल्ली में 22 लाख गैलन लीटर भूजल के खारे पानी को पीने योग्य बनाकर घरों तक पहुंचाने के लिए सरकार पांच रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) संयंत्र लगाने की योजना बना रही है। जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने गुरुवार को इस संबंध में जल बोर्ड अधिकारियों के साथ बैठक की। पहले चरण में 363 एमएलडी क्षमता वाला संयंत्र लगाया जाएगा। इन संयंत्रों में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल होगा, जिससे जल शोधन के दौरान 80 फीसदी पानी को पीने योग्य बनाया जा सके और बर्बादी रोकी जा सके। इन आरओ संयंत्र में जमीन से पानी को निकालकर साफ किया जाएगा। यह संयंत्र उन्हीं इलाकों में लगाया जाएगा जहां भूजल स्तर सबसे अच्छा होगा। जैसे दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में तीन मीटर की गहराई पर पानी उपलब्ध है, लेकिन खारेपन के चलते भूजल को सीधे प्रयोग नहीं किया जा सकता है। योजना के पहले चरण में सरकार ने ओखला, द्वारका, नीलोठी-नांगलोई, चिल्ला और नजफगढ़ को आरओ संयंत्र लगाने के लिए चिह्नित किया है। इस परियोजना को एक वर्ष के भीतर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इन पांच संयंत्रों से 7.25 लाख लोगों को फायदा मिलेगा। दिल्ली सरकार आरओ संयंत्र लगाने की योजना निजी हाथों में देगी, यानि यह आरओ संयंत्र निजी कंपनियां लगाएंगी। जो पानी साफ होगा, उसे सरकार आपूर्ति के लिए सस्ती दर पर खरीदेगी। सरकार के मुताबिक जल बोर्ड अधिकारियों ने प्रारंभिक अध्ययन में पाया है कि इस परियोजना में लगने वाली लागत पारंपरिक आरओ से पानी को साफ करने की लागत के बराबर होगी। जल मंत्री ने अधिकारियों को आरओ सिस्टम की सबसे उन्नत तकनीक को निर्धारित करने के निर्देश दिए हैं। सत्येंद्र जैन ने अधिकारियों को इस परियोजना को लागत के हिसाब से प्रभावी बनाने के लिए नए मॉडल खोजने का भी निर्देश दिया है। साथ ही जहां टैंकर से पानी की आपूर्ति होती है, वहां छोटे-छोटे आरओ प्लांट लगाने की योजना बनाने को कहा है, जिससे लोगों को पानी के टैंकरों के आने का इंतजार न करना पड़े। इसके लिए सरकार हर 500 घरों पर आरओ संयंत्र लगाएगी। अगर किसी घनी आबादी वाले इलाके में आबादी 2000 से अधिक है तो वहां एक से अधिक प्लांट लगाया गया है। दिल्ली जल बोर्ड राजधानी में कुल 5130 एमएलडी पानी की मांग के मुकाबले 4230 एमएलडी पानी की आपूर्ति कर रहा है। इस योजना से अतिरिक्त 363 एमएलडी पानी बढ़ेगा, जिससे 900 एमएलडी पानी की कमी घटकर 540 एमएलडी हो जाएगा। सरकार का कहना है कि मांग और आपूर्ति के अंतर को कम करने के साथ 24 घंटे पानी की योजना पर सरकार लगातार काम कर रही है। जैसे अत्याधुनिक कुएं बनाना, भूजल पुनर्भरण के माध्यम से झीलों की कायाकल्प करना, अमोनिया उपचार संयंत्र लगाना आदि।