नई दिल्ली| मुंबई में साल 1993 में सिलसिलेवार बम विस्फोटों के आरोपी याकूब मेमन को गुरुवार को हुई फांसी की सजा पर एक राजनीतिक वाक्युद्ध शुरू हो गया है। (1993 Mumbai blasts case, ) कई विपक्षी नेताओं ने मौत की सजा के खिलाफ आवाज उठाई। कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने पहला तीर छोड़ते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को आतंकवाद के हर मामले में समान प्रतिबद्धता दर्शाना चाहिए, जैसा याकूब के मामले में हुआ।
नागपुर सेंट्रल जेल में गुरुवार को याकूब की फांसी के बाद उन्होंने ट्वीट किया, “मैं उम्मीद करता हूं कि आतंकवाद के सभी मामलों में सरकार तथा न्यायपालिका जाति, संप्रदाय व धर्म को दरकिनार करते हुए समान रवैया अपनाएगी।”
कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने कहा कि मेमन को फांसी सुनकर उन्हें दुख पहुंचा।
उन्होंने कहा, “मौत की सजा एक निवारक के रूप में काम करती है, इस बात के कोई सबूत नहीं हैं। जो भी किया जाता है वह बदले की तरह है।”
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के सांसद डी.राजा ने इस बीच कहा कि देश में मौत की सजा को खत्म कर देना चाहिए।
वहीं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन के नेता व हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ऐसे सभी मामलों में सरकार को मौत की सजा सुनिश्चित करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “बाबू बजरंगी, माया कोडनानी, कर्नल पुरोहित तथा स्वामी असीमानंद को भी मौत की सजा देनी चाहिए।”
बाबू बजरंगी तथा कोडनानी गुजरात दंगे में, जबकि कर्नल पुरोहित व स्वामी असीमानंद मालेगांव बम विस्फोट मामले में आरोपी हैं।
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