नई दिल्ली| ‘वन रैंक वन पेंशन’ (ओआरओपी) पर केंद्र सरकार की ओर से आश्वासन मिलने के बावजूद जंतर-मंतर पर आंदोलनरत पूर्व सैनिकों में से मंगलवार को तीसरे पूर्व सैनिक के आमरण अनशन पर चले जाने से चिंतित सरकार ने अनशन खत्म करने की अपील की। (national hindi news, ) भारतीय सेना के हवलदार (सेवानिवृत्त) अशोक चौहान ने कर्नल (सेवानिवृत्त) पुष्पेंद्र सिंह तथा हवलदार (सेवानिवृत्त) मेजर सिंह के साथ आमरण अनशन शुरू कर दिया।
पूर्व सैनिकों के प्रदर्शन के 65वें दिन मंगलवार को प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा ने प्रदर्शनकारियों से संपर्क किया और उन्हें आश्वासन दिया कि सरकार ओआरओपी के क्रियान्वयन के लिए प्रतिबद्ध है।
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शनिवार को ओआरओपी को लेकर प्रधानमंत्री द्वारा कोई घोषणा नहीं किए जाने से नाराज पूर्व सैन्यकर्मियों ने आमरण अनशन का निर्णय लिया।
स्वतंत्रता दिवस के एक दिन पहले शुक्रवार को पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को प्रदर्शन स्थल से हटाने के प्रयासों पर भी आंदोलनकारी क्षुब्ध दिखे।
दिल्ली पुलिस ने इस बीच पूर्व सैनिकों पर बल प्रयोग के लिए माफी मांग ली और कहा कि वह अपनी गलती सुधारने की कोशिश करेगी।
पुष्पेंद्र सिंह ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा, “जब सरकार कह रही है कि वह ओआरओपी लागू करेगी तो इसमें देरी क्यों की जा रही है?”
भारतीय पूर्व सैनिक आंदोलन के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) बलबीर सिंह ने कहा, “हमने उनसे कहा है कि यदि ओआरओपी लागू किए जाने पर हमें ठोस आश्वासन दिया जाता है तो हम अनशन समाप्त कर देंगे।”
मेजर जनरल सतबीर सिंह ने कहा, “हमने ओआरओपी लागू किए जाने की एक निश्चित तारीख तय करने के लिए कहा है। सरकार ने इसे एक अप्रैल, 2014 से लागू किए जाने का निर्णय लिया है।”
आंदोलन के प्रवक्ता अनिल कौल ने आईएएनएस से कहा, “आमरण अनशन जारी रहेगा। हम 23-24 अगस्त के बाद अगले कदम पर फैसला करेंगे।”
रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर रविवार को आंदोलनकारियों के एक समूह से मिले और यह कहते हुए उनसे आमरण अनशन 24 अगस्त तक टालने का अनुरोध किया था कि वह 23 अगस्त को प्रधानमंत्री से मिलेंगे। पूर्व सैनिक हालांकि उनकी बात से सहमत नहीं हुए।
पूर्व सैनिक 14 अगस्त को कई गई कार्रवाई से खासे क्षुब्ध दिखे और स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण से निराश होकर उन्होंने अनशन पर जाने का फैसला किया।
दिल्ली पुलिस के संयुक्त आयुक्त मुकेश कुमार मीणा ने मंगलवार को पूर्व सैनिकों से मुलाकात की और इसके बाद मीडिया से बात की। उन्होंने कहा, “हम इन पूर्व योद्धाओं का सम्मान करते हैं।”
मीणा ने कहा, “हम (पुलिस) आंतरिक सुरक्षा को देखते हैं, लेकिन ये सैनिक हैं जो सीमाओं की रक्षा करते हैं। दिल्ली पुलिस जानती है कि बगैर इनके देश सुरक्षित नहीं रह सकता।”
उन्होंने कहा, “हमने 14 अगस्त की घटना पर बात की। कुछ भ्रांतियां हो जाती हैं। हम अपनी गलती सुधारने की कोशिश करेंगे। हमारा मकसद किसी को चोट पहुंचाना नहीं था।”
गौरतलब है कि ओआरओपी लागू होता है कि तो 24 लाख सेवानिवृत्त पूर्व सैनिक और सैनिकों की 6.5 लाख विधवाएं इससे लाभान्वित होंगी।
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