नई दिल्ली| वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) के मुद्दे पर 73 दिनों के आंदोलन के बाद बुधवार को पूर्व सैनिकों ने कहा कि मसला सुलझने की दिशा में थोड़ी प्रगति हुई है। (one rank one pension) सरकार से बातचीत एक कदम आगे बढ़ी है। पूर्व सैनिकों के आधिकारिक बयान में कहा गया है, “सरकार से बातचीत जारी है। बुधवार को कई मुद्दों पर बातचीत हुई। हम एक कदम आगे बढ़े हैं और हमें जल्द ही निर्णायक कदम उठाए जाने की उम्मीद है।”
इससे पहले बुधवार सुबह पूर्व सैनिकों ने कहा था कि अगर उनकी मांग जल्द ही नहीं पूरी हुई तो वे अपना आंदोलन तेज कर देंगे।
पूर्व सैनिकों को उम्मीद थी कि ओआरओपी पर 15 अगस्त को फैसला हो जाएगा। 15 अगस्त को सरकार ने उनसे 10 दिन और मांगा था। 10 दिन की यह अवधि बुधवार को पूरी हो गई।
इस बीच आमरण अनशन कर रहे पूर्व सैनिक पुष्पेंद्र सिंह और अशोक चव्हाण अस्पताल में ही हैं और अनशन जारी रखे हुए हैं।
एक अन्य अनशनकारी मेजर सिंह ने हालत बिगड़ने के बावजूद अनशन स्थल जंतर मंतर छोड़ने से मना कर दिया। उनके लिए चिकित्सा इंतजाम जंतर मंतर पर ही किए गए हैं।
बुधवार को तीन अन्य पूर्व सैनिकों ने आमरण अनशन शुरू कर दिया। इनमें से एक सांवल राम यादव हैं, जो शहीद सुनील कुमार यादव के पिता हैं।
अभी तक कुछ मुद्दों पर पेंच फंसा हुआ है। सूत्रों ने बताया कि सरकार ओआरओपी के लिए 2011 को आधार वर्ष बनाना चाहती है। पूर्व सैनिकों का कहना है कि यह 2014 के स्तर का होना चाहिए। साथ ही हर साल तीन फीसदी इंक्रीमेंट भी होना चाहिए। सरकार इस पर राजी नहीं है।
सरकार चाहती है कि पेंशन भुगतान पहली अप्रैल, 2015 से हो, जबकि पहले एक अप्रैल, 2014 पर सहमति बनी थी। पूर्व सैनिक ओआरओपी की परिभाषा में किसी तरह के बदलाव के भी पक्ष में नहीं हैं।
ये सभी बिंदु मंगलवार रात पूर्व सैनिकों के प्रतिनिधियों और सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह सुहाग के बीच की बैठक के बाद सामने आए।
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