नई दिल्ली| हाईप्रोफाइल शीना बोरा हत्याकांड का अंधाधुंध कवरेज कर भारतीय खबरिया टेलीविजन चैनलों ने रिपोर्टिग में अपने गैर जिम्मेदार व अनैतिक रवैये को दर्शाया है, क्योंकि छह चैनलों ने इस सनसनीखेज घटना को प्राइमटाइम का कुल एक तिहाई समय दिया। (sheena murder case) एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। सीएमएस मीडिया लैब के एक अध्ययन के मुताबिक, दो अंग्रेजी चैनलों सहित छह टेलीविजन चैनलों ने इस हत्याकांड पर एक पखवाड़े के अंदर कुल 113 स्टोरी व 61 विशेष कार्यक्रम चलाए।
अध्ययन के मुताबिक, “इस तरह का अंधाधुंध कवरेज भारतीय खबरिया टेलीविजन चैनलों के गैर जिम्मेदार व अनैतिक रवैये को दर्शाता है। यहां तक कि अधिकांश टेलीविजन चैनलों ने तथ्य पर आधारित रिपोर्टिग या कवरेज की बुनियादी बातों को भी तवज्जो नहीं दी। कवरेज में तथ्य से अधिक कल्पना का पुट था। यह इस बात का स्मरण कराता है कि सात साल पहले आरुषि हत्याकांड के गैर जिम्मेदाराना कवरेज के बाद भी चैनलों ने अपनी गलतियों से शायद ही कुछ सीखा।”
एक बयान के मुताबिक, सीएमएस मीडिया लैब ने छह राष्ट्रीय टेलीविजन चैनलों -आज तक, एबीपी न्यूज, जी न्यूज, डीडी न्यूज, सीएनएन-आईबीएन तथा टाइम्स नाउ- पर एक पखवाड़े (25 अगस्त से आठ सितंबर) तक के कवरेज का विश्लेषण किया।
बयान में कहा गया, “शीना बोरा हत्याकांड पर चैनलों ने एक पखवाड़े में 113 स्टोरी व 61 विशेष कार्यक्रम चलाए। इन छह टेलीविजन चैनलों ने 2,282 मिनट (38 घंटे) तक विशेष कार्यक्रम का प्रसारण किया। दिलचस्प बात यह है कि दो अंग्रेजी समाचार चैनलों-टाइम्स नाउ व सीएनएन आईबीएन- का कुल कवरेज मिनट में 60 फीसदी का योगदान रहा। टाइम्स नाउ ने दिलचस्प रूप से अकेले कवरेज के कुल समय में 40 फीसदी का योगदान दिया।”
बयान के मुताबिक, “कवरेज के मामले में टाइम्स नाउ शीर्ष पर रहा, जिसने कुल 948 मिनट का प्रसारण किया, वहीं सीएनएन-आईबीएन ने 424 मिनट दिए। हिंदी चैनलों में आजतक ने अंधाधुंध कवरेज में शीर्ष पर रहा, जिसने शीना हत्याकांड को कुल 341 मिनट दिए। इसके कुछ ही करीब एबीपी न्यूज है, जिसने कुल 268 मिनट, जबकि जी न्यूज ने 263 मिनट का प्रसारण किया।”
वहीं डीडी न्यूज ने अध्ययन की अवधि के दौरान शीना हत्याकांड को सबसे कम मात्र 36 मिनट का समय दिया।
बयान के मुताबिक, “चौंकाने वाले खुलासे के तहत अंग्रेजी समाचार चैनलों ने इस हत्याकांड को हिंदी चैनलों से अधिक समय दिया, जिसने इस धारणा को खारिज कर दिया कि हिंदी समाचार चैनल सनसनीखेज घटनाओं को ज्यादा तवज्जो देते हैं।”
सीएमएस मीडिया लैब ने अध्ययन में इस बात का भी खुलासा किया कि समाचार चैनलों ने अध्ययन की अवधि के दौरान किसानों की आत्महत्या, बाढ़ व सूखा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को कम प्राथमिकता दी।
बयान के मुताबिक, “समाचार चैनलों की संपादकीय प्राथमिकता यह दर्शाती है कि वे किस प्रकार एक हत्याकांड की घटना को राष्ट्रीय मुद्दे में तब्दील कर देते हैं और यह वास्तविकता के प्रति गंभीरता को भी सामने लाता है।”
उल्लेखनीय है कि कथित तौर पर मां इंद्राणी मुखर्जी द्वारा अपनी बेटी शीना बोरा की हत्या का भारतीय मीडिया ने अंधाधुंध तरीके से कवरेज किया है।
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