नई दिल्ली| केंद्रीयच वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार राज्यों को भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में बदलाव करने की इजाजत देगी। (bjp hindi news) भारतीय जनता पार्टी की वेबसाइट के लिए लिखे एक लेख में जेटली ने कहा है कि उनका मानना है कि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 “बहुत खराब तरीके से लिखा गया कानून” है और इसमें “बेशुमार अस्पष्टता है और साफ नजर आने वाली गलतियां हैं।” इन्हें ठीक करने की जरूरत है।
जेटली ने लिखा है कि राज्यों के सुझाव पर राजग सरकार ने इसमें कुछ बदलाव किए। लेकिन, कांग्रेस ने अपना रुख बदल दिया और बीते साल दिसंबर में जारी अध्यादेश का राजनैतिक कारणों से विरोध करना शुरू कर दिया।
उन्होंने कहा कि राजग सरकार का अध्यादेश सोमवार को खत्म हो गया। अब देश में भूमि अधिग्रहण की प्रकृति और इसके भविष्य को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
नीति आयोग में भूमि विधेयक पर मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री की बैठक की तरफ इशारा करते हुए जेटली ने कहा कि राज्य सरकारें भूमि अधिग्रहण के लिए पांच क्षेत्रों में सहमति और सामाजिक प्रभाव आकलन से खुद को अलग करने का फैसला ले सकती हैं। ये पांच क्षेत्र राष्ट्रीय सुरक्षा, ग्रामीण आधारभूत ढांचा, सस्ते मकान, औद्योगिक गलियारा और आधारभूत क्षेत्र हैं जिनके लिए जमीन को लिया जाना है।
कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों ने भूमि अधिग्रहण विधेयक पर बुलाई गई नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार किया था। उनका कहना था कि 2013 के कानून में कोई बदलाव मंजूर नहीं है।
जेटली ने लिखा है कि 2015 के भूमि अधिग्रहण अध्यादेश का मकसद राज्यों को कुछ अधिकार देना था। राज्यों के पास यह अधिकार अभी भी है। इनके बारे में निर्णय मुख्यमंत्रियों की बैठक में हुआ था।
जेटली ने लिखा है, “भूमि अधिग्रहण विधेयक पर अभी भी स्थाई समिति गौर कर सकती है और अगर सहमति से सुझाव आते हैं तो उन पर अमल होगा। अगर कोई राज्य केंद्र के कानून में संशोधन चाहता है तो उसके लिए केंद्र सरकार इजाजत देगी।”
You must be logged in to post a comment Login