नई दिल्ली| केंद्र सरकार ने बालश्रम (निषेध एवं नियमन) संशोधन विधेयक को सदन में चर्चा के लिए पेश करने की मंजूरी दे दी है।(the central government child labour hindi news) सामाजिक कार्यकर्ताओं को आशंका है कि इसके बाद 14 साल से कम उम्र वाले बच्चों से भी पारिवारिक व्यवसाय और ऑडियो-विजुअल जगत में काम कराना गैरकानूनी नहीं माना जाएगा। बालश्रम कानून के अंतर्गत 14 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी पेशे में लगाना गरकानूनी है।
बालश्रम सुधार विधेयक को सदन में पेश करने की मंजूरी दिए जाने के बाद सवाल उठने लगे हैं कि विशेष क्षेत्रों में बच्चों का काम करने को वैध कर दिए जाने से बच्चों के शिक्षा से वंचित होने एवं बीच में स्कूल छोड़ देने की दर में बढ़ोतरी होगी।
इस संशोधन विधेयक को जलाई-अगस्त में संसद के मानसून सत्र में सदन में पेश किया जाना है। उधर, बाल अधिकार कार्यकर्ता इस विधेयक के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं।
कैंपेन अगेंस्ट चाइल्ड लेबर (सीएसीएल) के राष्ट्रीय संयोजक पी. जोसफ विक्टर राज ने आईएएनएस को बताया, “18 साल की आयु से पूर्व किसी तरह का बाल श्रम प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। बाल श्रम कानून में किसी तरह का नियमन नहीं किया जाना चाहिए।”
विधेयक में संशोधन को मंजूरी देते हुए सरकार ने 13 मई को कहा था, “यदि 14 साल से कम उम्र का बच्चा अपने परिवार की आर्थिक मदद के लिए स्कूल के बाद खाली समय में या छुट्टियों के दौरान काम करता है या पारिवारिक पेशे से जुड़ा है, तो ऐसे मामले में बाल श्रम कानून प्रभावी नहीं होगा।”
अपवाद के रूप में एक कलाकार के रूप में कोई बच्चा ऑडियो-विजुअल मनोरंजन जगत से जुड़े पेशे में शामिल हो सकता है, यदि इससे उसकी शिक्षा प्रभावित नहीं होती हो।
जोसफ ने कहा, “यह विधेयक बच्चों को स्वतंत्र और अनिवार्य शिक्षा प्राप्त करने से वंचित करता है, जैसा कि स्वतंत्र एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम, 2009 में निर्दिष्ट है। साथ ही स्कूल के बाद या खाली समय में बच्चों को काम पर लगाने से पढ़ाई में उनकी रुचि कम होती है और काम की वजह से स्कूल छोड़ने की प्रवृति बढ़ती है।”
सामाजिक कार्यकर्ता स्वामि अग्निवेश ने कहा, “यह सरकार का गलत और प्रतिकूल कदम है।” उन्होंने कहा कि इस तरह के संशोधन देश को सदियों पीछे धकेल देंगे।
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