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राष्ट्र भाषा से ही देश बनता है विकसित

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उदारीकरण भाषा, चिन्तन, संस्कृति और अन्तत: समाज को भी प्रभावित करता है। जीवन का कोई पक्ष ऐसा नहीं जिस पर वैश्विक परिस्थितियों का कोई ना कोई प्रभाव न पड़े। किसी देश के विकास संबंधी अनेक कारक होते हैं। इसमें भाषा का विशेष महत्व है। (hindi diwas 2015) राष्ट्रभाषा को महत्व दिए बिना समग्र विकास संभव नहीं होता। ऐसे देश कभी विकसित देशों की श्रेणी में शामिल नहीं हो सकते भाषाई आधार पर विश्व को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है। एक वह जो अपनी भाषा को ही महत्व देते हैं। उनका निशाना अपनी भाषा में होता है। ऐसे देश विकसित देशों में शामिल हो चुके हैं। दूसरे वह देश है, जिन्होंने अपनी भाषा को उचित महत्व नहीं दिया। उन्होंने विदेशी भाषा को ऊंचा स्थान दिया। ऐसे देश विकासशील या अविकसित रह गए। ब्रिटेन के उपनिवेश रहे देशों ने अंग्रेजी को वरीयता दी। यहां अंग्रेजी को श्रेष्ठता का प्रतीक मान लिया गया।

दुनिया का कोई धर्म ग्रंथ अंग्रेजी में नहीं है, दर्शन, कला, संस्कृति की कोई मूल किताब अंग्रेजी में नहीं है। मतलब इसमें विशेष कालखण्ड के अन्तर्गत मूल ज्ञान को लिपिबद्ध करने की क्षमता नहीं थी। आज विश्व का कोई ग्रंथ ऐसा नहीं जो अंग्रेजी में न हो। इस तरह अंग्रेजी फर्श से अर्स पर पहुंची।

प्राचीन अद्भुत वैदिक साहित्य संस्कृत में है, विश्व के प्राचीनतम दर्शन, कला, साहित्य, विज्ञान आदि सभी के मूलग्रंथ संस्कृत में है। लेकिन हम संस्कृत और उससे उत्पन्न हुई भारतीय भाषाओं को महत्व नहीं दे सके जब तक हमने अपनी राष्ट्र भाषा को शीर्ष पर रखा भारत विश्व गुरु था। आज अंग्रेजी उच्च पदों पर पहुंचने के लिये अनिवार्य हो गयी। इस स्थिति को बदलना होगा, तभी देश स्वाभिमान होगा तथा उसे विकसित देशों की सूची में स्थान दिखाना संभव होगा। अंग्रेजी सीखने में विद्यार्थी की चालीस प्रतिशत क्षमता व्यर्थ हो जाती है। इसे रोकना होगा।

राजभाषा आयोग के तहत भाषा निदेशालय का गठन किया गया था। विभिन्न विषयों में अंग्रेजी की जगह हिन्दी शब्द रखने का काम इन्हें करना था। लेकिन इस कार्य में लगे विद्वानों ने इतना कठिन अनुवाद कर दिया कि वह शब्द प्रचलन में आ ही नहीं सके। किसी भी कार्यालय में इन शब्दों का प्रयोग ही नहीं किया जाता। इस प्रकार के प्रयासों ने हिन्दी का अहित किया है। जबकि हिन्दी बहुत उदार भाषा है। समय के अनुसार इसमें अनेक भाषाओं के शब्द समाहित हुए। ये आज पूरी तरह प्रचलित है।

अंग्रेजी में भी दूसरी भाषाओं के खूब शब्द हैं। हिन्दी को कठिन नहीं सरल स्वरूप में बनाए रखना है। राष्ट्रभाषा के प्रति गौरव होना चाहिए। लेकिन इसके लिये प्रयास करने होंगे। नौकरी, व्यवसाय आईटी क्षेत्र में भारतीय युवकों की भागीदारी पर हम गर्व करते हैं। लेकिन आईटी क्षेत्र का कोई भी बिन्दु भारत के कारण नहीं पहचाना जाता। हम आज तक केवल सेवा प्रदाता बने हैं। क्योंकि इसमें योग्य होने के लिये अंग्रेजी लगभग अनिवार्य है। सभी साफ्टवेयर उसी में हैं। उसे सीख कर हम अपने को काबिल मानने लगे हैं। जबकि विकसित देश हमको आईटी का गिरमिटया मानते हैं। क्योंकि हम भारतीय गौरव के अनुरूप आईटी में राष्ट्रभाषा को मजबूती से स्थापित नहीं कर सके।

विकसित देशों में चीन, जर्मनी, फ्रांस, जापान, रूस के उदाहरण सामने हैं। ये देश अपनी मातृभाषा के बल पर विकसित हुए हैं। वहीं ब्रिटेन और अमेरिका अंग्रेजी मातृभाषा के बल पर विकसित बने हैं। चीन में सत्तर भषाएं हैं। भाषाई विविधता भारत से अधिक है। लेकिन चीन ने गोन्ताऊ को मानक लिपि बना दी। बिना कठिनाई के लोग इसे सीख सकते थे। इसी को अनिवार्य बना दिया गया। भाषा सीखने में वहां के बच्चों को कठिनाई नहीं होती। पूरी क्षमता देश के विकास में लगती है। दूसरी तरफ भारत में अंग्रेजी सीखने में भारत के विद्यार्थी को चालीस प्रतिशत क्षमता खपा देनी होती है।

कोई शब्द कठिन या सरल नहीं होता। जिन शब्दों से परिचय की प्रगाढ़ता होती है, वह सरल हो जाता है। राष्ट्रभाषा, मातृभाषा से जन्मजात प्रगाढ़ता होती है। जबकि राजभाषा शासन की कृपा पर निर्भर होती है। राजभाषा का क्रियान्वयन संविधान में उल्लिखित है। संविधान के अनुच्छेद तीन सौ इक्यावन में राजभाषा के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सरकार को सौंपी गयी। यह संवैधानिक कर्तव्य है। लेकिन इसके उल्लंघन पर कोई सजा नहीं होती। धड़ल्ले से राजभाषा को महत्वहीन बना दिया गया। कार्य अंग्रेजी में होता है। वर्ष में एक पखवारा राजभाषा के नाम कर दिया गया। इसी को हम अपना कर्तव्य मान लेते हैं। विडम्बना यह कि इस पखवारे में भी राजभाषा को कामकाज की भाषा बनाने का कारगर प्रयास नहीं किया जाता।

संविधान में भारतीय अंकों को वैश्विक रूप को महत्व दिया गया। राज्यपाल और न्यायाधीशों की नियुक्ति में राष्ट्रपति देवनागरी में लिखे अंकों का प्रयोग करते है। अन्य में वैश्विक रूप को अपनाया गया। यहां यह समझना होगा कि संविधान ने जिन अंकों को स्वीकार किया वह रोमन नहीं है।

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नई वाली कमिश्नरी क्या देगी अपने कमिश्नर को जीत का तोहफा

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गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद पुलिस के बीच आज होगा टी-20 का फाइनल
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। शुक्रवार को नेहरू स्टेडियम वीवीअईपी क्रिकेट मैदान में गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर कमिश्नरेट टीमों के बीच 23वीं अंतर जनपदीय पुलिस क्रिकेट प्रतियोगिता-2022 के फाइनल मैच खेला जाएगा। फाइनल मैच सुबह 10 बजे शुरू होगा और इसकी ट्रॉफी पर कब्जा कौन करेगा यह इसके बाद तय हो पाएगा। हाल ही में कमिश्नरेट बने गाजियाबाद की टीम पहले मुकाबले से लेकर फाइनल पहुंचने तक शानदार गेंदबाजी, बल्लेबाजी और क्षेत्ररक्षण के दम पर फाइनल में पहुंची है। हाल ही में गाजियाबाद को कमिश्नरी बनाया गया है। गाजियाबाद की टीम ने शानदार खेल के दम पर फाइनल में एंट्री पाई है। अब गाजियाबाद कमिश्नरेट टीम की कोशिश है कि अपने नवनियुक्त कमिश्नर को जीत का आज होने वाले मुकाबले में तोहफा दिया जाए। क्रिकेट का खेल मैदान पर खिलाड़ियों से लेकर अधिकारियों में जोश भर देता है। कहा जा रहा है सीपी अजय मिश्रा फाइनल मुकाबले में उपस्थित रहेंगे। इस दौरान गाजियाबाद की टीम मैच जीतकर तोहफा देने का पूरा प्रयास करेगी।
नेहरू स्टेडियम में आज सुबह 10.30 बजे होगा मैच
गाजियाबाद की क्रिकेट टीम पहले मुकाबले से लेकर फाइनल तक जीत की लय को बरकरार रखे हुए है। पहले मैच में सहारनपुर को एकतरफा अंदाज में हराया था तो गुरुवार को खेले गए सेमीफाइनल मुकाबले में हापुड़ को शिकस्त दी। गेंदबाज से लेकर बल्लेबाज बेहतर फॉर्म में हैं। लोकल स्टेडियम और स्पोटर्् का टीम को लाभ भी मिल रहा है।

सेमीफाइनल में गाजियाबाद ने हापुड़ को हराया
(करंट क्राइम)। गुरुवार को खेले गए मैच में गाजियाबाद की टीम ने सेमीफाइनल में हापुड़ की टीम को करारी शिकस्त दी। गाजियाबाद के भोला चौधरी ने शानदार पारी खेलते हुए 48 रन से हापुड़ की टीम पर विजय प्राप्त की। कप्तान भोला चौधरी को इस शानदार खेल प्रदर्शन के लिए मैन आॅफ द मैच का पुरस्कार भी दिया गया। शुक्रवार को फाइनल मुकाबले पर विजेता खिलाड़ियों को नवनियुक्त सीपी अजय मिश्रा ट्रॉफी देकर सम्मानित करेंगे और पुरस्कार वितरण समारोह में बतौर अतिथि उपस्थित रह सकते हैं। गाजियाबाद में मेरठ जोन के सभी जिलों की टीमों ने यहां खेल भावना का परिचय देते हुए टी-20 फॉर्मेट पर खेली जा रहे क्रिकेट प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है। गाजियाबाद की सेमीफाइनल में मिली शानदार जीत पर मैन आॅफ द मैच भोला चौधरी को एएसपी निमिष दशरथ पाटिल ने पुरस्कार देकर फाइनल मैच के लिए शुभकामना दी। फाइनल मुकाबले पर जीत का ताज किसके सिर पर आएगा यह देखना दिलचस्प होगा। फाइनल मैच गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर कमिश्नरेट के बीच खेला जाएगा। विजेता वाला कप व ट्रॉफी कमिश्नरेट वाले किस जिले पर आएगा यह देखना दिलचस्प रहेगा।

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भाजपा के निर्दलीय दावेदार ने उतार दी निजी सफाई कर्मचारियों की फौज

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गाजियाबाद (करंट क्राइम)। निगम चुनाव में इस बार सर्दी में गर्मी का मौसम भाजपा के वार्डों में आया है। दावेदारी की सबसे बड़ी चुनौती भाजपा में मिल रही है। भाजपा के सिटिंग पार्षद के सामने चुनाव में खड़े होने के लिए भाजपा के ही दावेदार ताल ठोक रहे हैं। एक वार्ड ऐसा है जहां पूर्व मंडल अध्यक्ष से लेकर मौजूदा मंडल अध्यक्ष तक चुनावी मैदान में दावेदारी का एलान कर चुके हैं। पूर्व मंडल अध्यक्ष कह चुके हैं कि चुनाव हर हाल में लड़ना है यानी टिकट मिले या ना मिले वो निर्दलीय मैदान में उतरेंगे। मौजूदा मंडल अध्यक्ष तो इस बात की गारन्टी दे चुके हैं कि टिकट भी मेरा और चुनाव भी मुझे ही लड़ना है। इस वार्ड में रोचक जंग एक्स भगवा और रिलेक्स भगवा के बीच होनी है।
चुनाव में मतदाताओं को लुभाने के लिए नदियापार वाले तो दस पंखे ही बांट रहे हैं लेकिन शहर वाले इस वार्ड में धोती वालों ने तूफान उठा रखा है। वो फोगिंग मशीन खरीद लाये हैं और जहां निगम वाले नही पहुंचे हैं वहां वो फोगिंग मशीन लेकर पहुंचे हैं। घर घर फोगिंग कर रहे हैं और चुनावी दावेदारी की जोगिंग भी मजे से हो रही है। कांगे्रस के संभावित दावेदार ने जब मिर्जा वाले मोहल्ले में कथा कराई तो फोगिंग मशीन वाले दावेदार वहां जाकर माथा टेक आये, पुजारी से लेकर कथा सुन रहे वार्ड के मतदाताओं से जीत का आशीर्वाद ले आये। अब दावेदारी की जंग में रोचक रंग आ गया है। अभी तक तो कथा में माथा टेका जा रहा था और मौहल्ले में फोगिंग के साथ धुंआदार दावेदारी हो रही थी। अब मौहल्ले में दावेदार की सफाई फौज आ गयी है। कूड़ा उठ रहा है, सफाई हो रही है और मौहल्ले वालों की मौज आ गयी है। दावेदार ने इस सुविधा के लिए रकम खर्च की है और सूत्र बताते हैं कि उन्होंने तीन निजी सफाई कर्मियों को वेतन पर रखा है। निगम चुनाव तक वो काम करेंगे या मतदान तक काम करेंगे ये तो बाद की बात है लेकिन ये सफाई कर्मचारी वार्ड में आ गये हैं। खास बात ये है कि सफाई किसके सौजन्य से हो रही है ये पता लगना बहुत जरूरी है।
लिहाजा दावेदार मित्तल जी जो कि पूर्व मंडल अध्यक्ष भी हैं वो अपने फोटो और नाम के साथ वार्ड संख्या वाली टी-शर्ट लेकर आये हैं। सफाई कर्मचारी जब मौहल्ले में सफाई के लिए आयेंगे तो टी-शर्ट भी उन्हीं की पहनकर आयेंगे जो सफाई के बदले उन्हें भुगतान करायेंगे। ये सफाई कर्मचारी दोपहर दो बजे के बाद आते हैं। वार्ड के कोने कोने से कूड़ा उठाते हैं।

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बैठक के बाद चुनाव सहप्रभारी ने कही कार्यकर्ता की बात और समझी उनकी व्यथा बोले उद्योगपति पैसे वालों को नहीं बल्कि कार्यकर्ता को मिलेगी पार्षद टिकट में वरीयता वरिष्ठ

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संवाददाता (करंट क्राइम)

गाजियाबाद। नगर निगम चुनाव के सह प्रभारी और सहारनपुर से भाजपा विधायक राजीव गुम्बर गुरुवार को गाजियाबाद में निकाय चुनावों की मीटिंग के दौरान कार्यकर्ताओं के लिए एक उम्मीद की किरण छोड़कर गये। उन्होंने मीटिंग में जो कुछ कहा वो टिकट की दावेदारी कर रहे कार्यकर्ताओं के लिए उत्साह की संजीवनी रही।
निकाय और निगम चुनाव से पहले भाजपा अपने चुनाव प्रबंधन की ताकत को जांचना चाहती है और वो यहां पर बूथ की ताकत का भी आंकलन करना चाहती है। जो बातें उन्होंने बैठक में कही उन बातों से इतर जाकर उन्होंने कार्यकर्ताओं के लिये भी जो कहा वो उत्साह जनक था।
चुनाव को लेकर कई वाईड बाते कही गयी लेकिन बैठक के बाद साईड में जो कहा वो कार्यकर्ता को प्राईड फील कराने वाला था। यहां कार्यकर्ताओं के लिए एक संदेश था तो एक संदेश उन टिकट गारंटरों के लिए भी था जो किसी ना किसी की पैरवी कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार निगम चुनाव के सह प्रभारी राजीव गुम्बर ने कहा कि हमें अपने पुराने कार्यकर्ता की मान्यता को देखना है। टिकट कोर कमेटी तय करेगी लेकिन सभी लोग इस बात को समझ लें कि टिकट वितरण में कार्यकर्ता को प्राथमिकता मिलेगी। वार्ड के टिकट में किसी उद्योगपति या पैसे वाले को नहीं बल्कि कार्यकर्ताओं को मौका दिया जायेगा।
सह प्रभारी के ये बोल बता रहे हैं कि भाजपा अपने कार्यकर्ताओं की फौज के जरिये चुनावी नतीजों में फूल मौज लेना चाहती है।
जब संगठन कहेगा तब बॉयोडाटा दिये जाने हैं
निकाय चुनावों को लेकर कार्यकर्ताओं के जोश की नब्ज चुनाव सहप्रभारी राजीव गुम्बर ने टटोली। वो चुनाव का काम देख रहे हैं और वो जानते हैं कि भगवा गढ़ में दावेदारों की एक पूरी सेना चुनाव लड़ने के लिए तैयार है। चुनावी अनुभव है और वो ये भी समझ रहे हैं कि चुनाव के बॉयोडेटा लेने के लिए भी एक टोली खुद को रेडी रखे हुए है।
कार्यकर्ताओं में किसी प्रकार का गलत संदेश ना जाये, और कार्यकर्ताओं को कहीं से भी ये नही लगना चाहिए कि उनके साथ पक्षपात हुआ है। बैठक के बाद साईड में जब वाईड तरीके से चुनाव सहप्रभारी ने समझाया तो यहां उन्होंने बातों ही बातों में ये भी बताया कि टिकट कोर कमेटी क्या करेगी और सभी लोग इस बात को ध्यान में रखें कि जब संगठन कहेगा तब बॉयोडेटा लिये जाने हैं। उससे पहले कोई भी अपना बॉयोडेटा नहीं देगा और ना ही कोई संगठन पदाधिकारी बॉयोडेटा लेगा।

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