नई दिल्ली| पत्नी को उसके माता-पिता के नियंत्रण से मुक्त कराकर घर वापस लाने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने वाला व्यक्ति न्यायालय परिसर से उस समय अपनी पत्नी के साथ चंपत हो गया, जब उसे पत्नी से मिलने की अनुमति दी गई। (delhi hindi news) इस घटना से हैरान उच्च न्यायालय ने दंपति की वास्तवित इच्छा जानने के लिए दिल्ली पुलिस को उन्हें ढूंढ़कर पेश करने का आदेश दिया है।
मनीष की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिल्ली पुलिस उसकी पत्नी तथा उसके माता-पिता को अदालत में लाई थी। जहां एक तरफ माता-पिता ने उनकी बेटी की शादी होने के दावे से इनकार किया, वहीं मनीष की पत्नी उसके पास वापस लौटना चाहती थी।
न्यायमूर्ति कैलाश गंभीर और न्यायमूर्ति पी.एस. तेजी की खंडपीठ ने 24 अगस्त को सुनवाई के दौरान जोड़े को परामर्श के लिए अपने चैंबर में बुलाया और उनसे बात करने के बाद खंडपीठ ने उन्हें अदालत कक्ष में फैसले का इंतजार करने के लिए कहा।
लेकिन दोनों चैंबर से अदालत कक्ष जाने के बीच में ही परिसर से गायब हो गए और जब तक सुनवाई फिर से शुरू करने के लिए दोनों न्यायाधीश अदालत में आते, तब तक दोनों का पता लगाना मुश्किल हो गया।
खंडपीठ ने पुलिस को जोड़े को पकड़कर दो सितम्बर से पहले अदालत में पेश करने का आदेश दिया।
मनीष ने महिला के साथ भागकर 13 मार्च को आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली थी और गाजियाबाद में शादी का पंजीकरण भी करवाया था।
मनीष ने यह भी आरोप लगाया कि उसकी पत्नी के घरवाले उन दोनों की शादी से खुश नहीं हैं। उसने कहा कि उसकी पत्नी 13 जुलाई से लापता थी। वह बाजार गई थी, लेकिन उसके बाद वापस नहीं लौटी।
उसने दावा किया था कि उसकी पत्नी को उसकी मां के द्वारा गुजरात के वड़ोदरा ले जाया गया और अवैध रूप से कैद में रखा गया।
मनीष ने उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की, जिसके बाद अदालत में उसकी पत्नी को पेश किया गया।
महिला को अदालत में पेश करने तथा उसे मनीष से मिलने की इजाजत देने के बाद दोनों ने इस मामले को अपने हाथ में लेने का फैसला किया।
You must be logged in to post a comment Login