वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद।
नगर निगम की मुखिया और मेयर सुनीता दयाल इन दिनों निगम के हाल को लेकर काफी गुस्से में है और वो मीडिया के सामने भी कह चुकी हैं और खुद छापे मारी भी कर रही हैं। उत्तर प्रदेश में सरकार भाजपा की है। नगर निगम गाजियाबाद में भाजपा 67 पार्षदों के साथ दो तिहाई ज्यादा सदन पर काबिज है। लेकिन उसके बाद भी मेयर लगातार निगम के अधिकारियों पर हमलावर हैं। वो निगम की कार्यशैली को लेकर सवाल उठा रही हैं। मेयर गुस्से में हंै तो कुछ वजह है और वो शायद भ्रष्टाचार उजागर कर रहीं हैं। निगम में शायद पहली बार ऐसा हो रहा है और करंट क्राइम ने मौजूदा हालात को लेकर नगर निगम एक्ट के जानकार माने जाने वाले पूर्व सीनियर पार्षद राजेन्द्र त्यागी से बात की। राजेन्द्र त्यागी ने यहां निगम परिवार और मुखिया की जिम्मेदारी को बात का आधार बनाया। उन्होंने कहा कि नगर निगम एक परिवार है और मेयर इस परिवार की मुखिया हैं। मेयर का काम नगर निगम के मान सम्मान को बचाना है ना कि नगर निगम के मान सम्मान को चोट पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि यदि कोई गडबड है भी तोयह मेयर की जिम्मेदारी है कि वह अफसरों के साथ बैठकर उसे रोके। ना कि हर चीज को अखबारों तक ले जायें। आप जिस सदन की मुखिया हैं आप उस सदन की बदनामी कर रही हैं। यदि मुखिया ही परिवार की बदनामी करेगा तो क्या मैसेज जायेगा। अगर परिवार में कुछ गलत भी हो रहा है तो उसे ठीक करने की जिम्मेदारी मुखिया की होती है।
वर्किंग में सुधार की आवश्यकता, एटीट्यूड में और अधिक सुधार की आवश्यकता
(करंट क्राइम)। पूर्व पार्षद राजेन्द्र त्यागी ने कहा कि नगर निगम में जो कुछ हो रहा है उसके लिए सबसे पहली जरूरत है कि वर्किंग में सुधार किया जाये। वर्किंग में सुधार की आवश्यकता है और एटीट्यूड में और अधिक सुधार की आवश्यकता है। निगम एक परिवार है और परिवार का मुखिया यदि परिवार की बुराई करे तो यह ठीक नहीं है।
निगम में घमासान और पार्षद एक लाईट के लिए परेशान
(करंट क्राइम)। सीनियर पूर्व पार्षद राजेन्द्र त्यागी ने निगम के मौजूदा हालात को लेकर भी सलाह दी कि छोटी-छोटी चीजों को ठीक करने की जिम्मेदारी किसकी है। उन्होंने कहा कि आधा शहर अंधेरे में है। एक लाईट के लिए पार्षद परेशान हो रहे हैं। स्टॉफ कह रहा है कि मेंटीनेंस की कमी है। आखिर ये जिम्मेदारी किसकी है। पार्षदों के काम होने चाहिए। शहर में पेयजल की सप्लाई प्रोपर होनी चाहिए। स्ट्रीट लाईट रोशन होनी चाहिए। निगम में मैनपॉवर पूरी होनी चाहिए और पार्कों का रख-रखाव ठीक होना चाहिए।
मेरे हिसाब से मेयर के सलाहकार पार्षद नहीं दे रहे ठीक सलाह
(करंट क्राइम)। राजेन्द्र त्यागी ने किसी का नाम नहीं लिया लेकिन उन्होंने कहा कि मेरे हिसाब से मेयर के सलाहकार ठीक नहीं है। वो मेयर को सही फीडबैक नहीं दे रहे हैं। किसी के कहने पर एकदम से एक्शन लेना ठीक नहीं है। मेयर निगम परिवार की मुखिया हैं और यह उनका फर्ज है कि वो सभी पार्षदों के काम करायें। केवल कुछ प्रभावशाली पार्षदों के काम हो रहे हैं यह ठीक नहीं है। जनता ने सभी वार्डों में वोट दिया है सभी वार्डों में काम होना चाहिए।
माहौल होता है खराब तो अफसरों का गिरता है मनोबल
(करंट क्राइम)। नगर निगम के सदन में लगभग तीन दशक पार्षद के रूप में रह चुके पूर्व पार्षद राजेन्द्र त्यागी ने मेयर को सलाह दी कि यदि किसी मामले की उन्हें जानकारी मिलती है तो सबसे पहले वो इसकी जांच कराये, ना कि पहले अखबार में जायें। नगर आयुक्त अभी नये है, उन्हें अभी प्रोसेज और वर्किंग को समझने में समय लगेगा। यदि चीजें खराब हैं तो मेयर को ही ठीक करनी है। लेकिन अगर निगम का माहौल खराब होता है तो इससे अफसरों का मनोबल गिरता है। निगम की परिभाषा में मेयर, नगर आयुक्त, कार्यकारिणी और बोर्ड आते हैं। सारी व्यवस्था की जिम्मेदारी मेयर की है। मेयर ने आरोप लगाये और जांच में अगर चीजें सही मिली तब क्या होगा। मशीन को लेकर चीफ इंजीनियर ने जवाब दे दिया कि कितने की मशीन और कितने का भुगतान हुआ। मेयर पहले पत्रावली तलब करायें, पहले जांच करायें। जांच से पहले आरोप लगेंगे तो फिर अधिकारी काम नहीं करेंगे और वो खुद को पहले कागजों में सेफ करेंगे, इससे काम प्रभावित होता है।
चार महीने से क्यों नहीं हुई नगर निगम की बोर्ड बैठक
(करंट क्राइम)। राजेन्द्र त्यागी ने निगम एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि यह नियम है कि हर महीने एक बैठक कार्यकारिणी की होगी और हर दो महीने में नगर निगम की बोर्ड बैठक अनिवार्य रूप से होगी। लेकिन चार महीने से ज्यादा हो गये और नगर निगम बोर्ड की वर्किंग बैठक नहीं हुई है। केवल कार्यकारिणी बैठक हुई है। पार्षद अपनी बात बोर्ड बैठक में रखते हैं। बोर्ड बैठक हो नहीं रही और पार्षद अपने कामों के लिए कभी अफसर तो कभी मेयर के पास धक्के खा रहे हैं। बोर्ड बैठक से बचने से काम नहीं चलेगा। चीजों को सकारात्मक लिया जाना चाहिए।
1- मेयर हो रहीं है टाईट और पार्षद को नहीं मिल रही एक लाईट
2- मेयर के सलाहकार पार्षद नहीं दे रहें है उन्हें सही फीडबैक
3- नगर निगम के मुखिया का काम निगम को बदनाम करना नहीं है
4- एटीट्यूड और वर्किंग में सुधार की आवश्यकता है
5- कुछ प्रभावशाली पार्षदों के नहीं बल्कि सभी पार्षदों के होने चाहिए काम
6- जांच से पहले लगेंगे आरोप तो अधिकारी नहीं करेंगे काम
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