गाजियाबाद, करंट क्राइम :
घंटाघर पुलिस ने लोकल इनपुट के आधार पर नकली दवाइयां उत्तराखंड से मंगवाकर गाजियाबाद और अलीगढ़ में बेचने वाले एक गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है। सभी सदस्यों को अलग-अलग काम मिले हुए थे जबकि नकली दवाइयां की यह खेत शंकर राम नाम का व्यक्ति कोटद्वार उत्तराखंड से रोडवेज की बसों में गाजियाबाद भेजता था। रोडवेज के बस ड्राइवर को माल गाजियाबाद में उतरने के लिए बाकायदा पैसे दिए जाते थे। पुलिस को सूचना मिली है कि इस पूरे गिरोह में और भी लोग जुड़े हो सकते हैं। यह लोग यहां कई नकली दवाइयां को कम दामों पर होलसेलर और डिस्ट्रीब्यूटरों तक पहुंचाया करते थे और फिर यह बाजार में बेंच दी जाती थी। पुलिस की मानें तो बीते कई महीनो से यह नेटवर्क काम कर रहा था। इसमें फरार आरोपी सरफराज और शंकर राम की गिरफ्तारी के बाद पुलिस कुछ और खुलासे भी कर सकती है। पुलिस का कहना है कि जो असली दवाई होती थी यह उसका नकली माल तैयार करते थे। इस पूरे मामले में ड्रग्स विभाग के अधिकारियों ने भी सैंपल ले लिए हैं जो जांच के लिए भेजे गए हैं। डीसीपी सिटी जोन निपुण अग्रवाल ने इस पूरे मामले का खुलासा करते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें पुलिस ने लगभग 30 डिब्बे नकली दवाइयां, 26 फर्जी रबर मोहर, चार मोबाइल फोन व अन्य सामान बरामद किया है।
नकली दवा पहुंचने के लिए मिलता था कमीशन
डीसीपी सिटी जोन निपुण अग्रवाल ने बताया है कि पूछताछ पर अभियुक्तो ने बताया है कि यह लोग शंकर नाम व सरफराज नाम के व्यक्ति से कोटद्वार उत्तराखंड से नकली दवाइयां मंगवाते थे। यह नकली दवाइयां पश्चिम उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहरों में सप्लाई की जाती थीं। खास बात यह है कि इस पूरे नेटवर्क में श्रीपाल निवासी बुलंदशहर, मुकेश निवासी नोएडा, साबेज उर्फ़ शानू निवासी दिल्ली गेट और पुनीत मित्तल निवासी पटेल नगर सिहानी गेट को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस की माने तो इस मामले में सभी लोगों का कमीशन बंटा हुआ था जैसे अगर दवाई का कोई डिब्बा पुनीत 1000 का बेचता था। तो सावेज को 400 और फिर श्रीपाल को 490 रुपए में आगे पहुंचा दिया जाता था। फिर इस माल को अलग-अलग जगह सप्लाई किया जाता था।
सेहत के साथ भी कर रहे थे खिलवाड़
डीसीपी सिटी जोन निपुण अग्रवाल ने बताया है कि इस पूरे मामले की जैसे ही सूचना मिली थी, उसके बाद एसीपी निमिष दशरथ पाटिल और पुलिसकर्मियों की दो टीमों को लगाया गया था। जिसके बाद पुलिस ने श्रीपाल, मुकेश, साबेज और पुनीत को दबोचा है। पुलिस के अधिकारियों का दावा है कि इस पूरे मामले में ड्रग्स विभाग के अधिकारियों से जो जानकारी हासिल की गई है उसके अनुसार दर्द और अन्य उपचार के लिए जो दवा यह है मंगवाते थे उसमें जो साल्ट इस्तेमाल किए जाते थे वह भी गुणवत्ता वाले नहीं होते थे। इसे खाने से लोगों की सेहत पर भी दुष्प्रभाव पड़ता था।
फरार आरोपियों से खुलेंगे कई राज
डीसीपी सिटी जोन निपुण अग्रवाल ने जानकारी दी है कि पूछताछ के बाद यह पता चला है कि सरफराज और शंकर इस पूरी नकली दावों के नेक्सस को आगे चलने का काम कर रहे थे। पुलिस कोटद्वार निवासी सरफराज और शंकर राम की जल्द से जल्द गिरफ्तारी का प्रयास कर रही है ताकि इस पूरे नेटवर्क को खंगाल जा सके जो नकली दवाइयां की खरीद फरोख्त और कमिश्नर से लेकर उसे आगे पहुंचने तक के धंधे में शामिल थे। पुलिस के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इसमें गाजियाबाद के ड्रग्स केमिस्ट एसोसिएशन के पदाधिकारी से भी आवश्यक इनपुट जताने का काम शुरू कर दिया गया है।
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