नई दिल्ली, 6 मार्च (आईएएनएस)। आपूर्ति श्रृंखला चुनौतियों और इंजन विफलताओं का सामना करने के बावजूद भारतीय विमानन उद्योग आने वाले वर्षों में नई ऊंचाइयाँ छूने के लिए तैयार है। प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की हालिया रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
आईसीआरए ने अपनी रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या में उल्लेखनीय 8-13 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है, जो कोविड-पूर्व स्तर से कहीं ज्यादा है।
रिपोर्ट के अनुसार, “विकास की यह गति वित्त वर्ष 2025 तक जारी रहने की उम्मीद है, जो हवाई अड्डे के बुनियादी ढांचे में सुधार के साथ-साथ अवकाश और व्यावसायिक यात्रा दोनों की बढ़ती मांग से प्रेरित है।”
इसके अलावा, वित्त वर्ष 2023-24 और वित्त वर्ष 2024-25 में अनुमानित 7-12 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर के साथ भारतीय विमान सेवा कंपनियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों की संख्या में जोरदार उछाल की उम्मीद है। आईसीआरए ने बताया कि इस प्रकार यह महामारी से पहले के स्तरों को पार कर जाएगी।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विमानन उद्योग का शुद्ध घाटा वित्त वर्ष 2022-23 में 170-175 अरब रुपये से घटकर वित्त वर्ष 2023-24 और वित्त वर्ष 2024-25 में 30-40 अरब रुपये पर आने की उम्मीद है।
घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय हवाई यात्रियों की संख्या में निरंतर सुधार और अपेक्षाकृत स्थिर लागत वातावरण के बीच, आईसीआरए ने भारतीय विमानन उद्योग पर एक स्थिर दृष्टिकोण बनाए रखा है।
आईसीआरए लिमिटेड की उपाध्यक्ष और सेक्टर प्रमुख (कॉर्पोरेट रेटिंग) सुप्रियो बनर्जी ने कहा, “उद्योग ने मूल्य निर्धारण शक्ति में सुधार देखा है, जैसा कि राजस्व में वृद्धि और इस प्रकार एयरलाइंस के प्रति उपलब्ध सीट किलोमीटर राजस्व तथा प्रति उपलब्ध सीट लागत के बीच अंतर में परिलक्षित होता है।”
बनर्जी ने कहा, “विमान ईंधन (एटीएफ) की कीमतों में गिरावट और अपेक्षाकृत स्थिर विदेशी मुद्रा दरों के कारण इसके अनुकूल रहने की उम्मीद है। इस प्रकार उद्योग को वित्त वर्ष 2023-24 और 2024-25 में 30-40 अरब रुपये का शुद्ध घाटा होने की संभावना है जो तुलना में वित्त वर्ष 2022-23 के 170-175 अरब रुपये के नुकसान से काफी कम है।“
रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 के पहले 11 महीने में विमान ईंधन की औसत कीमत 1,03,547 रुपये/किलोलीटर थी, जो वित्त वर्ष 2022-23 के 1,20,978 रुपये/किलोलीटर की तुलना में सालाना आधार पर 15 प्रतिशत कम है।
हालाँकि, यह वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 64,715 रुपये/किलोलीटर की औसत से 60 प्रतिशत ज्यादा है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “एयरलाइंस के कुल व्यय में ईंधन का हिस्सा 30-40 प्रतिशत है, जबकि एयरलाइंस के परिचालन खर्चों में 35-50 प्रतिशत – जिसमें विमान पट्टे का भुगतान, ईंधन खर्च और विमान तथा इंजन रखरखाव खर्च का एक महत्वपूर्ण हिस्सा डॉलर में देना होता है।”
इसमें आगे कहा गया कि कुछ एयरलाइंस पर विदेशी मुद्रा का कर्ज है, “हालांकि घरेलू एयरलाइंस के पास अपने अंतर्राष्ट्रीय परिचालन से कमाई की सीमा तक आंशिक नेचुरल हेजिंग है, कुल मिलाकर, उन्हें विदेशी मुद्रा में कुछ शुद्ध भुगतान करना होता है।”
वर्तमान में, भारतीय विमानन उद्योग ने कुल 1,700 विमानों का ऑर्डर दिया हुआ है, जो मौजूदा बेड़े के आकार के दोगुने से भी अधिक है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “हालाँकि, डिलीवरी धीरे-धीरे अगले दशक तक होने की संभावना है, क्योंकि इंजन तथा विमान निर्माताओं के समक्ष वर्तमान आपूर्ति श्रृंखला की चुनौतियों का इन पर असर होगा।”
बनर्जी ने कहा, “हाल ही में, भारतीय विमानन उद्योग इंजन विफलताओं और आपूर्ति श्रृंखला की चुनौतियों से प्रभावित हुआ है। इसके परिणामस्वरूप चुनिंदा एयरलाइनों के विमान बेकार खड़े पड़े हैं। इस प्रकार समग्र उद्योग क्षमता (उपलब्ध सीट किलोमीटर यानि एएसकेएम द्वारा मापी गई) का 20-22 प्रतिशत बेकार खड़ा है।”
बनर्जी ने कहा, “इंजन में हालिया पाउडर-कोटिंग संबंधी चिंताओं के परिणामस्वरूप मौजूदा वित्त वर्ष की 31 मार्च को समाप्त हो रही चौथी तिमाही में विमानों की अतिरिक्त ग्राउंडिंग होने की उम्मीद है, जिसका अर्थ है कि 31 मार्च 2024 तक उद्योग की 24-26 प्रतिशत क्षमता ग्राउंड हो जाएगी, जिससे उद्योग का एएसकेएम प्रभावित होंगा।”
बनर्जी ने आगे कहा कि इसके परिणामस्वरूप ग्राउंडिंग की अतिरिक्त लागत के साथ एयरलाइंस के लिए परिचालन व्यय में वृद्धि होगी, ग्राउंडेड क्षमता की भरपाई के लिए लीज पर अतिरिक्त विमान लेने के कारण लीज किराये में वृद्धि होगी, साथ ही लीज दरों में वृद्धि और कम ईंधन दक्षता ( क्योंकि इन ग्राउंडेड विमानों को अस्थायी रूप से पुराने विमानों से बदल दिया जाता है), और इस प्रकार एयरलाइंस की लागत संरचना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
–आईएएनएस
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