प्रयागराज, 8 फरवरी (आईएएनएस)। अगर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रयागराज में संतों की मांग मान लेते हैं तो महाकुंभ 2025 से पहले गाय को ‘राष्ट्रमाता’ का दर्जा दिया जा सकता है।
संत चाहते हैं कि गाय को ‘रामा’ कहा जाए, ‘रा’ का अर्थ ‘राष्ट्र’ (राष्ट्र) और ‘मा’ का अर्थ ‘माता’ (मां) हो।
इस आशय का एक प्रस्ताव बुधवार को उत्तराखंड के ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के माघ मेला शिविर में आयोजित ‘गौ संसद’ में संतों द्वारा पारित 21 प्रस्तावों में से एक था।
गौ संसद में संतों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि अब से वे गायों को रामा कहकर संबोधित करेंगे। माघ मेला 2024 का चल रहा 54 दिवसीय वार्षिक धार्मिक मेला 15 जनवरी को मकर संक्रांति स्नान के साथ शुरू हुआ और 8 मार्च को महा शिवरात्रि स्नान के साथ समाप्त होगा।
संतों ने यह भी संकल्प लिया कि यदि इन प्रस्तावों के माध्यम से उठाई गई उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे आंदोलन करेंगे।
उनके द्वारा पारित अन्य प्रस्तावों में गौ भक्तों की मदद से ‘राष्ट्रीय रामा गौ भक्त आयोग’ की स्थापना शामिल है।
यह आयोग डीएनए परीक्षण के माध्यम से देश की सभी गायों की पहचान करेगा, उनका पंजीकरण करेगा और ‘नव संवत्सर’ (हिंदू नव वर्ष) से उनके साथ व्यवहार के लिए एक प्रोटोकॉल घोषित करेगा।
‘गौ संसद’ ने सरकार से यह भी अपील की कि एक अलग ‘गाय मंत्रालय’ बनाया जाए और गोवंश को पशुपालन मंत्रालय से अलग किया जाये।
गाय और उनकी संतान को संविधान की राज्य सूची से हटाकर केंद्रीय सूची में शामिल किया जाना चाहिए। जो लोग गोमांस खाते हैं उनका बहिष्कार किया जाना चाहिए।
लोगों को उस प्रत्याशी को वोट देना चाहिए जो अपने घोषणा पत्र के साथ यह शपथ पत्र दे कि सरकार बनते ही पहला फैसला गाय को सम्मान और सुरक्षा देने का होगा।
संतों ने कहा कि जैसे ही गाय को ‘राष्ट्रमाता’ का सम्मान मिलेगा, संत समुदाय सबसे पहले गाय का दूध अयोध्या ले जाएगा और वहां राम लला को अर्पित करेगा।
सरकार से अतिक्रमित भूमि को मुक्त करने और इसे गायों के चरने के लिए उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया।
–आईएएनएस
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