मुंबई, 6 फरवरी (आईएएनएस)। शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने मंगलवार को पार्टी का नाम और ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न अलग हुए अजित पवार गुट को सौंपने के चुनाव आयोग के फैसले की आलोचना की और कहा कि वह आयोग के इस कदम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।
एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने कहा कि यह “लोकतंत्र की हत्या” है, क्योंकि चुनाव आयोग ने विधायकों की संख्या के आधार पर अपना फैसला सुनाया है, मगर “इसके पीछे ‘अदृश्य शक्ति’ की मौजूदगी है।”
उन्होंने कहा, “हम चुनाव आयोग के फैसले से बिल्कुल भी हैरान नहीं हैं। इसने अन्यायपूर्वक पार्टी (एनसीपी) को उसके संस्थापक (शरद पवार) से छीन लिया है। हम न्याय पाने के लिए ईसीआई के फैसले को पूरी ताकत के साथ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।”
महाराष्ट्र एनसीपी-एसपी अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि पार्टी चुनाव आयोग के फैसले को बुधवार को शीर्ष अदालत में चुनौती देगी।
उन्होंने कहा, ”शरद पवार जहां भी जाते हैं, एनसीपी उनके साथ जाती है… यह फैसला सही नहीं है। चुनाव आयोग का फैसला शीर्ष अदालत में नहीं टिकेगा, हमें स्थगन मिलने का भरोसा है।”
पाटिल ने आरोप लगाया कि सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के अधिकारियों की “शारीरिक भाषा” से यह स्पष्ट हो गया था कि निर्णय किस दिशा में जाएगा, जबकि 25 साल पहले शरद पवार द्वारा एनसीपी-एसपी का गठन किया गया था और 28 राज्यों में अपनी मौजूदगी से अब यह राष्ट्रीय पार्टी बन गई है।
पाटिल ने कहा, “हालांकि, फैसला केवल विधायकों की संख्या के आधार पर लिया गया है, जो हमारे और शरद पवार के साथ सरासर अन्याय है। हम शीर्ष अदालत का रुख कर रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले उसका फैसला आ जाएगा।”
एनसीपी-एसपी के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि ‘यह फैसला अपेक्षित था और मैं पिछले कई हफ्तों से यह कह रहा हूं।’
उन्होंने कहा, “विश्वासघात हमारे खून में नहीं है… यह अनुचित है और हम इससे लड़ेंगे। मैं पिछले कई हफ्तों से कह रहा हूं कि पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न चुनाव आयोग का फैसला क्या होगा।”
विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन के घटक कांग्रेस के नेता नाना पटोले ने कहा कि चुनाव आयोग का फैसला केंद्र सरकार द्वारा लिखा गया था और चुनाव आयोग ने इसे केवल पढ़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार भारत में विपक्षी राजनीतिक दलों और लोकतंत्र को खत्म करने में लगी हुई है।
उन्होंने कहा, “कुछ महीने पहले भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जे.पी.नड्डा ने कहा था कि देश में किसी भी क्षेत्रीय दल का अस्तित्व नहीं रहेगा। उसके बाद केंद्रीय जांच एजेंसियों और चुनाव आयोग ने केंद्र के इशारे पर क्षेत्रीय दलों को खत्म करना शुरू कर दिया है। पहले शिवसेना के साथ और अब एनसीपी के साथ वही खेल दोहराया गया। यह लोकतंत्र की हत्या का दूसरा रूप है।”
शिवसेना-यूबीटी के राष्ट्रीय प्रवक्ता किशोर तिवारी ने कहा कि भाजपा ने विधायकों-सांसदों को धमकी या रिश्वत देकर या झूठे मामले में जेल में डालकर स्थापित राजनीतिक दलों को तोड़ने की एक नई कला सीख ली है।
उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग इस तरह की बेशर्म गतिविधियों पर अपनी मुहर लगा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि लोकतंत्र अब उन्हीं संवैधानिक संस्थाओं से ख़तरे में है, जिनका उद्देश्य इसकी रक्षा करना है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सभी संवैधानिक संस्थान एक व्यक्ति और एक राजनीतिक दल को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं।”
सुप्रिया सुले ने बिना नाम लिए अपने चचेरे भाई पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘यह अफसोस की बात है कि यह घर शरद पवार साहब का है और ‘उन्होंने’ (अजित पवार) ने उन्हें अपने ही घर से निकाल दिया है।’
–आईएएनएस
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