कौन है मास्टरमाइंड और कौन से गैंग हैं एक्टिव
गौरव शशि नारायण (करंट क्राइम )
गाजियाबाद। गाजियाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम ने इस पूरे मामले का खुलासा किया और 9 आरोपियों को गिरफ्तार कर एक ठगी करने वाले अंतरराष्ट्रीय गिरोह को ट्रेस किया है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि गाजियाबाद कमिश्नरेट में अभी कितने फर्जी कॉल सेंटर संचालित हो रहे हैं, जो लोगों की गाढ़ी कमाई पर देश और विदेश में उनके अकाउंट नंबर और बैंक डिटेल हैक करके ठगी का धंधा चला रहे हैं। पुलिस के करीबी सूत्रों ने बताया है कि इस पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड अमित चौधरी नाम का व्यक्ति है, जो फिलहाल फरार बताया जा रहा है। बताया जा रहा है इससे पहले यह गाजियाबाद के पसौंडा, वैशाली ,कौशांबी और सूर्य नगर इलाके में पूरा नेटवर्क आॅपरेट करता था। वहां जब पुलिस ने इसके नेटवर्क को ध्वस्त करने का काम किया तो इसने एनडीआरएफ रोड पर अपना नया ठिकाना बना लिया था।
एनसीआर में पुलिस की कमाई का बड़ा जरिया है फर्जी कॉल सेंटर
पुलिस के सूत्र बताते हैं कि दिल्ली-एनसीआर में लगभग 600 से ज्यादा फर्जी कॉल सेंटर संचालित होते हैं। जो अलग-अलग कंपनियों, इंश्योरेंस एजेंसियां और अन्य कॉरपोरेट का डाटा लेकर ऐसे लोगों को मुहैया करा देती है जो ठगी के काम में इस महत्वपूर्ण डाटा का इस्तेमाल करते हैं। ऐसा नहीं है कि केवल गाजियाबाद में ही इस तरीके के फर्जी कॉल सेंटर संचालित हो रहे हैं। इससे पहले गौतमबुधनगर कमिश्नरेट में भी यह पुलिस की बड़ी कमाई और खुलासों का जरिया रहा है। इसके साथ ही हरियाणा के गुड़गांव, बल्लभगढ़, दिल्ली और गौतमबुद्धनगर में इस तरीके के दर्जनों कॉल सेंटर संचालित होते हैं। आरोप है कि इसमें कहीं ना कहीं बीट से लेकर थाने और जिले की पुलिस का हिस्सा बंधा रहता है। सूत्रों का दावा है कि जिले में इसके पहले भी इस तरीके के कई बड़े गैंग और गिरोह ब्रेक किए गए हैं लेकिन ना तो कभी इनकी पूरी टीम पकड़ी जाती है और ना ही पूरे गैंग को सलाखों के पीछे भेजा जाता है। जो मुख्य चेहरे होते हैं वह अक्सर पुलिस और अपनी पहुंच का फायदा उठाते हुए बच जाते हैं और मोटी कमाई करने वाले इस धंधे को अगले ठिकाने से शुरू कर देते हैं। सवाल उठता है कि जिले में अधिकारियों की फौज इस बार कुछ एक् शन लेगी या यह खेल जारी रहेगा।