डीएम राकेश कुमार सिंह के नेतृत्व में सभी विभागों की रही है हवा सुधारने में अहम भूमिका
2019 में थी 231 एक्यूआई जो 2023 में हो गई 194
वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद। जिस शहर का नाम कभी देश के सबसे प्रदूषित हवा वाले शहरों में आता था अब उस शहर ने अपनी आबो हवा में सुधार किया है। गाजियाबाद के लोगों के लिए ये एक सुखद खबर है कि गाजियाबाद का एयर क्वालिटी इंडेक्स यानि एक्यूआई सुधार की ओर अग्रसर है। वर्ष 2019 में जो जिला कभी खराब हवा के लिए पूरे देश में नंबर 1 पर आया था। अब वो खिसक कर 7वें स्थान पर है। ये खबर वास्तव में यहां के लोगों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हवा की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है और ये सुधार बता रहा है कि हवा का सुधार पौधों की संख्या के साथ भी जुड़ा हुआ है और अब गाजियाबाद का नाम स्वच्छ हवा वाले शहरों में आ गया है। इसके लिए पूरा क्रेडिट गाजियाबाद के डीएम राकेश कुमार सिंह और उनकी टीम को है। इस टीम ने अपने नेतृत्वकर्ता डीएम राकेश कुमार सिंह की थीम पर काम करते हुए यह उपलब्धि हासिल की है। दस्तावेज बता रहे हैं कि यह सफलता एक दिन में नहीं आई है और र्इंट भट्टों से लेकर डीजल और पेट्रोल के वाहनों पर प्रतिबंध लगा है। पेड़ों पौधों की संख्या में वृद्धि हुई है। पराली प्रबंधन को सकुशल तरीके से किया गया है। ई-कचरे के लिए विशेष प्रयास किये गये हैं। इतने प्रयासों के बाद यह सफलता मिली है।
गाजियाबाद में धूल से लेकर धुंए से होता था वायु प्रदूषण
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। गाजियाबाद का नंबर खराब वायु के मामले में ऐसे ही नहीं नंबर 1 आया था। यहां वायु प्रदूषण के कई प्रमुख कारक थे। वाहनों से निकलने वाला धुआं सबसे अधिक नुकसान पहुंचाता था। औद्योगिक ईकाईयों से होने वाला उत्सर्जन हवा के प्रदूषण का बड़ा कारण रहा है। इसके अलावा निर्माण गतिविधि से लेकर औद्योगिक क्षेत्र की खराब सड़कों से उड़ने वाली धूल प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण रही है। शहरी क्षेत्रों से निकलने वाला ठोस अपशिष्ठ और पराली अपशिष्ठ प्रदूषण के कारण रहे हैं।
इस तरह से आया है 125 से 89 का पीएम मानक
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। अत्यधिक प्रदूषित शहरों में गाजियाबाद नंबर 1 था। वर्ष 2019 में ग्लोबल रैकिंग में गाजियाबाद प्रथम था। सेंट्रल और साउथ ईस्ट एशिया में नंबर 1 था और पीएम 2.5 का वार्षिक औसत 125 था। इसके बाद वर्ष 2020 ग्लोबल रैकिंग में गाजियाबाद दूसरे नंबर पर आया। सेंट्रल और साउथ ईस्ट एशिया में नंबर 1 रहा और पीएम 2.5 का वार्षिक औसत 109 रहा। वर्ष 2021 में ग्लोबल रैकिंग में गाजियाबाद तीसरे नंबर पर आया। सेंट्रल और साउथ ईस्ट एशिया में नंबर 2 रहा और पीएम 2.5 का वार्षिक औसत 116 रहा। इसके बाद वर्ष 2022 में सुधार आया है और खराब आबो हवा के नंबर 1 वाले खिताब से मुक्ति मिली है और गाजियाबाद ग्लोबल रैकिंग में गाजियाबाद 11वें नंबर पर आया। सेंट्रल और साउथ ईस्ट एशिया में सातवें नंबर पर आया है और पीएम 2.5 का वार्षिक औसत 89 रहा है।
डस्ट को लेकर किये गये थे ये प्रयास विद फुल ट्रस्ट
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। हवा ऐसे ही नहीं सुधरी है। इसके लिए लगातार प्रयास हुए हैं। निर्माणाधीन परियोजनाओं में वायु प्रदूषण नियंत्रण हेतु लगातार प्रयास किये गये हैं। मुख्य निर्माणाधीन परियोजनाओं का डस्ट आॅडिट पोर्टल पर पंजीकरण किया गया। निर्माण एजेंसियों के साथ जिला प्रशासन ने नियमित संवाद कायम किया। औद्योगिक क्षेत्र के मार्गों का उच्चीकरण किया गया। सीपीसीबी की ईपीसी योजना में 16 करोड़ की धनराशि प्राप्त हुई। नगर निगम द्वारा प्राप्त 15वें वित्त आयोग से 75 करोड़ की धनराशि प्राप्त हुई है। जनजागरूकता हेतु नगर निगम क्षेत्र में स्वच्छता की पोटली अभियान का आयोजन किया गया है। ये सब वो कार्यक्रम हैं जो टीम डीएम ने पूरी शिद्दत के साथ मिलकर डस्ट हटाने के लिए पूरे ट्रस्ट के साथ किये हैं। हवा की गुणवत्ता में सुधार ऐसे ही नहीं आया है। इसके लिए कई स्तर पर सुधार कार्यक्रम चलाये गये हैं।
पुराने वाहनों पर लगा प्रतिबंध और सड़कों पर उतारे गये ई-वाहन
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। हवा की क्वालिटी में प्रदूषण का एक बड़ा कारण वाहनों से निकलता धुआं भी था। इसके लिए सबसे पहले पुराने वाहनों पर रोक लगाई गई। 10 साल पुराने डीजल वाहन और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध लगाया गया। इसके बाद ई-बसों के संचालन में वृद्धि की गई। तीन पहिया तथा व्यवसायिक वाहनों में सीएनजी और इलैक्ट्रिक वाहनों का पंजीकरण किया गया। यातायात की सुगमता हेतु डेडिकेटिड ट्रैफिक मेंनेजमेंट प्लान बनाया गया। भारी वाहनों का प्रवेश सुबह 7 बजे से रात्रि 10 बजे तक प्रतिबंधित किया गया। पीयूसीसी सेंटर की संख्या में वृद्धि की गई। पहले यह 123 थे और अब 205 हैं।
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अपशिष्ट प्रबंधन में मियावाकी पद्धति से लेकर किसान गोष्ठी के माध्यम से संवाद
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। हवा की गुणवत्ता सुधारने के लिए जमीन पर काफी प्रयास करने पड़े हैं। अवशिष्ट प्रबंधन के लिए नगरीय ठोस अपशिष्ट के लिए भी काम हुआ है। 6.0 लाख मीट्रिक टन से अधिक अपशिष्ट को बायो रेमीडिऐट किया गया है। नवीन लिगेसी वेस्ट साईट का चिन्हिकरण किया गया है और पुरानी लिगेसी वेस्ट साईट के स्थान पर मियावाकी पद्धति से वनीकरण किया गया है। अपशिष्ट प्रबंधन को डीसेंट्रेलाईज किया गया है और इसके अलावा पराली प्रबंधन में फार्म मशीनरी तथा बायो डीकम्पोजर व्यवस्था तथा किसान गोष्ठी के माध्यम से संवाद कायम किया गया है।
इलैक्ट्रानिक वेस्ट के लिए नगर निगम से लेकर आईजीएल तक हुए हैं बेस्ट प्रयत्न
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। औद्योगिक उत्सर्जन पर नियंत्रण के लिए प्रयास किये गये हैं। इलैक्ट्रानिक वेस्ट प्रबंधन के लिए व्यवसायिक तथा आवासीय क्षेत्रों से इलैक्ट्रानिक वेस्ट एकत्रित किये जाने हेतु नगर निगम, नगर निकाय और गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा नियमित प्रयास किये गये हैं। समस्त औद्योगिक क्षेत्रों में आईजीएल द्वारा गैस आपूर्ति हेतु कार्य पूर्ण किया गया है। आवासीय क्षेत्रों में संचालित उद्योग पर कार्यवाही हुई है और आवासीय क्षेत्रों में 1432 उद्योगों का चिन्हिकरण तथा बंदी की कार्यवाही की गई है।
जो फैलाते थे पोल्यूशन उनका रात में हुआ इंस्पेक्शन
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। औद्योगिक प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए दिन में भी कार्यवाही हुई और रात में एक्शन हुआ। जो ईकाईयां एयर पोल्यूशन फैला रहीं थी उनका संयुक्त समिति द्वारा रात्रि निरीक्षण किया गया। हवा में प्रदूषण फैलाने वाली यूनिट को कोयला, लकड़ी, पेटकोक और फर्नेस आॅयल से स्वच्छ र्इंधन में परिवर्तित किया गया। र्इंट भट्टों का जिग-जैग टेक्नोलॉजी पर परिवर्तन किया गया। वर्ष 2021 में जिग-जैग ईंट भट्टे 79 थे ओर वर्ष 2023 में जिग-जैग र्इंट भट्टे 186 हो गये। इसके अलावा औद्योगिक ईकाईयों में स्थापित किये गये एयर पोल्यूशन कंट्रोल का उच्चीकरण किया गया।
पौधे लहलहाये हैं तभी गाजियाबाद में साफ हवा के झोंके आयें हैं
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। हालांकि अभी बहुत सुधार किया जाना बाकी है लेकिन सुधार की दिशा में कदम आगे बढ़े हैं यह अपने आप में बड़ा सुधार है। आंकड़े बताते हैं कि पौधे लहलहाये हैं तभी गाजियाबाद में साफ हवा के झोंके आये हैं। पौधारोपण कार्यक्रम सफल रहा है और इसकी गवाही आंकड़े दे रहे हैं। वर्ष 2020-21 में टारगेट 6,97,690 का था और पौधारोपण 7,04,129 का हुआ। यह प्रतिशत शत प्रतिशत से भी 0.92 आगे था। इसके बाद वर्ष 2021-22 में लक्ष्य 10,65,323 का था और पौधारोपण 11,27,585 का हुआ। यह प्रतिशत 105.84 रहा। पौधा रोपण लगातार बढ़ा है और वर्ष 2022-23 में लक्ष्य 11,18,616 का था और पौधारोपण 12,32,879 का हुआ। यह लक्ष्य से भी 10.21 प्रतिशत ज्यादा था। मियावाकी पद्धति और वृहद वृक्षारोपण विशेष अभियान चलाये गये। औद्योगिक क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में वृक्षारोपण स्थलों की पहचान की गई और यहां वृक्षारोपण कराया गया। सार्वजनिक भागीदारी और सीएसआर के माध्यम से इन्दिरापुरम और सिद्धार्थ विहार के पुराने अपशिष्ट डम्प साईटों की मियावाकी वृक्षारोपण स्थलों में परिवर्तन किया गया है।