नई दिल्ली। 11 सितंबर 1965, जगह- इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता। पत्थर, डंडे और मिसाइलों से लैस एक भीड़ भारत के दूतावास पर हमला कर देती है। यह भीड़ ‘क्रश इंडिया’ के नारे लगाती है। भारतीय दूतावास पर हुए इस हमले के पीछे इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति सुकर्णो का हाथ बताया गया। वही सुकर्णो, जिन्हें पंडित नेहरू ने 1950 में भारत की पहली गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने के लिए बतौर चीफ गेस्ट दिल्ली बुलाया था।
इस हमले की वजह 1963 से 1966 तक इंडोनेशिया और मलेशिया के बीच सीमा विवाद को लेकर छिड़ी जंग थी। इसमें भारत ने मलेशिया का साथ दिया था। ऐसा कहा जाता है कि इससे नाराज होकर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने भारतीय दूतावास पर हमला करवाया था। तब जंग में इंडोनेशिया को चीन का समर्थन हासिल था।
1965 की घटना को 58 साल बीत चुके हैं। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसी इंडोनेशिया में हो रही आसियान देशों की समिट में हिस्सा लेने के लिए जा रहे हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि अब इंडोनेशिया चीन के जाल में फंसने से बचने के लिए भारत का साथ चाहता है।
अमेरिका-रूस की दुश्मनी के बीच बना आसियान
1945 में दूसरा विश्व युद्ध खत्म होने के बाद साउथ ईस्ट एशिया के देशों को जापान और पश्चिमी देशों के कब्जे से आजादी मिली। उनकी जापान से तो जंग खत्म हो गई, लेकिन वो विचारधारा और सीमा विवाद को लेकर आपस में ही लड़ने लगे। ये दौर अमेरिका और सोवियत यूनियन के बीच चल रहे शीत युद्ध का भी था।
1965 में इंडोनेशिया में हुए तख्तापलट में चीन के समर्थन वाली सुकर्णो सरकार गिर गई। इसके बाद 1966 में मलेशिया और इंडोनेशिया के बीच चल रहा युद्ध भी खत्म हो गया। हालांकि वियतनाम में अभी भी कम्युनिस्टों के खिलाफ अमेरिका की जंग जारी थी।
तभी 1967 में साउथ ईस्ट एशिया के 5 देश आपसी दुश्मनी भूलकर बैंकॉक में मिले। इनमें मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड शामिल थे। इन देशों ने तय किया कि ये कम्युनिज्म यानी वामपंथ विचारधारा के विस्तार को रोकेंगे और इलाके की शांति और समृद्धि के लिए काम करेंगे।
ये ASEAN यानी एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस की नींव पड़ने की शुरुआत थी। 1990 के दशक में शीत युद्ध खत्म होने के बाद इस संगठन में 5 नए देश कंबोडिया, वियतनाम, ब्रुनेई, लाओस और म्यांमार भी शामिल हो गए। इन देशों ने एक-दूसरे से आर्थिक साझेदारी बढ़ाने का फैसला किया, ताकि किसी भी तरह का विवाद होने के बावजूद उनमें जंग न हो। अब आसियान में 10 देश शामिल हैं।
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