सियोल, दिल से मांगी गई माफी ने दक्षिण कोरिया के लोगों को जापान के पूर्व प्रधानमंत्री युकीओ हातोयामा का प्रशंसक बना दिया है। (international news articles))उनकी तारीफ में दक्षिण कोरिया में कसीदे पढ़े जा रहे हैं और कहा जा रहा है कि जापान के मौजूदा प्रधानमंत्री शिंजो अबे को हातोयामा से सबक सीखना चाहिए।
वजह साफ है। होतायामा ने वह काम किया जिसकी उम्मीद कोरियाई नागरिक हमेशा से करते रहे हैं। होतायामा ने 1910 से 1945 के बीच कोरिया प्रायद्वीप पर जापान के कब्जे के दौरान और खासकर द्वितीय विश्वयुद्ध के समय कोरियाई नागरिकों पर किए गए जुल्म के लिए माफी मांगी है।
होतायामा यहां बुधवार को एक शांति सम्मेलन में हिस्सा लेने आए थे। यह सम्मेलन जापानी आधिपत्य के खिलाफ कोरियाई जनता के स्वतंत्रता संग्राम की 70वीं वर्षगांठ के सिलसिले में आयोजित किया गया था।
होतायामा सियोल के सियोदाईमन जेल गए जिसे कोरियाई लोगों पर जापान के जुल्म का प्रतीक माना जाता है। इस जेल में कोरियाई स्वतंत्रता सेनानियों पर भयानक अत्याचार किए जाते थे।
अब इसे एक स्मारक का रूप दे दिया गया है। होतायामा इस स्मारक के सामने घुटनों के बल पर बैठ गए और माफी मांगने के अंदाज में 11 बार अपना सिर इसके सामने झुकाया और प्रार्थना की।
पूर्व जापानी प्रधानमंत्री होतायामा ने कहा कि वह उन तमाम कोरियाई नागरिकों को नमन करते हैं जिन्हें यहां कैद कर जापान ने यातनाएं दी थीं। उन्होंने रु ग्वान सुन नाम की छात्रा का नाम लिया जिसने एक विद्रोह का नेतृत्व किया था और जिसकी मौत इसी जेल में हुई थी। होतायामा ने कहा कि अतीत की इन बातों के लिए वह दिल से माफी मांगते हैं। वह यहां बेहद भारी मन के साथ खड़े हैं।
दक्षिण कोरिया के लोगों ने होतायामा की दिल खोलकर तारीफ की है। उनका कहना है कि ऐसी बातें एशिया में शांति का नया रास्ता खोल सकती हैं। उनका कहना है कि युद्धकाल पर जापान के मौजूदा प्रधानमंत्री जो बयान जारी करने वाले हैं, उसमें ऐसी ही भाषा, इसी अंदाज में माफी मांगने का जिक्र होना चाहिए।
अबे की तरफ से मिले संकेतों से नहीं लगता कि वह चीन-कोरिया पर जापानी आधिपत्य के लिए शायद ही माफी मांगने जैसा कुछ करें।
होतायामा का कहना है कि अबे को अपने बयान में अतीत में चीन-कोरिया में हुए जापान के जुल्म के लिए माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि माफी और अफसोस को पूरी सच्ची भावना से बयान का हिस्सा बनाना चाहिए।
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