वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद।
नगर निगम में मेयर रिकार्ड वोटों से चुनाव जीत कर आर्इं हैं। नगर निगम में 67 पार्षद भाजपा के हैं। मेयर भाजपा की, डिप्टी मेयर भाजपा के और पूरा सदन लगभग भाजपा का। निगम की कैबीनेट कही जाने वाली निगम कार्यकारिणी में 8 सदस्य भाजपा के और इसके बाद भी अगर निगम कार्यकारिणी के फैसलों को अफसर लागू करने में ढिलाई बरते तो फिर ये कहा जा सकता है कि नगर निगम की कार्यकारिणी अपना मयार खो रही है। अगर ऐसा नहीं है तो फिर मेयर सुनीता दयाल को कार्यकारिणी की बैठक के बाद मुख्य अभियन्ता निर्माण को पत्र क्यों लिखना पड़ा है। लगभग डेढ़ महीने बाद ये पत्र लिखा गया है। इस पत्र में मेयर सुनीता दयाल ने मुख्य अभियन्ता- निर्माण को अवगत कराया है कि 28 जुलाई को नगर निगम की कार्यकारिणी बैठक हुई थी और इस बैठक में वार्डों के निर्माण कार्य कराये जाने हेतु फंड निर्धारित किया गया था। सभी वार्ड के पार्षदगणों से कार्य कराने हेतु पत्र लेकर उनका व्ययानुमान तैयार कर निविदा प्रक्रिया पूर्ण करने के उपरान्त तत्काल प्रभाव से कार्य कराना सुनिश्चित करें। सवाल मेयर के लैटर से ज्यादा इस बात के मैटर का है कि निगम कार्यकारिणी में 28 जुलाई को मुहर लगने के बाद किस बात का इंतजार हो रहा था। ये कार्यकारिणी के कमजोर मयार का प्रतीक है और वो भी तब जब सरकार अपनी है।
तारीफ करनी होगी निगम उपाध्यक्ष राजीव शर्मा के जज्बे की
मेयर ने पत्र लिखा और यहां पर निगम कार्यकारिणी उपाध्यक्ष राजीव शर्मा के जज्बे की भी तारीफ करनी होगी। वो बैठक में ही इस बात को लेकर अड़ गये थे कि पार्षदों को विकास के लिए पैसा आवंटित किया जाना चाहिए। बताते हैं कि अधिकारी चाहते थे कि पार्षद अपने वार्ड के कार्य बता दें और उन्हें करा दिया जायेगा। लेकिन यहां राजीव शर्मा ने कार्यकारिणी के मयार को जिंदा रखा। उन्होंने पार्षदों के लिए अड़कर प्रस्ताव पास कराया। उन्होंने यहां अपनी बात रखी कि ऐसा नहीं होता है और पार्षद अगर विकास कराना चाहता है तो उसे पैसा देना ही पड़ेगा। इसके बाद सभी पार्षदों के वार्ड में 50-50 लाख के काम होने पर कैबीनेट की मुहर लगी।
50 लाख का था वादा और अब 30 लाख के ही होगें वार्डों में काम
मेयर सुनीता दयाल अपने पार्षदों के लिए हमेशा एक स्टेंड लेती हैं। निगम कार्यकारिणी की 28 जुलाई को हुई बैठक में भी मेयर सुनीता दयाल ने स्टेंड लिया और उन्होंने वार्डों में 50-50 लाख के काम होने को स्वीकृति दी। लेकिन डेढ़ महीना बीतने के बाद भी काम नहीं हुए और मेयर को पत्र लिखना पड़ा। यहीं से इस बात का भी पता चला कि कार्यकारिणी में प्रत्येक वार्ड में 50 लाख के काम स्वीकृत हुए थे लेकिन ये काम घटकर महज 30 लाख रूपये का रह गया है। अब 30 लाख के कामों से ही विकास होगा।
अवर अभियन्ता ने लिखवा लिया पार्षदों से 30 लाख का विकासनामा
पार्षदों को जनता ने चुना कि वो विकास करायेंगे। लेकिन डेढ़ महीना बीतने के बाद पता चला कि कार्यकारिणी बैठक में जो काम 50 लाख रूपये के स्वीकृत हुए थे। उनमें से एक भी काम शुरू नहीं हुआ और कमाल ये हुआ है कि 50 लाख में से 20 लाख रूपये घट गये है और अब केवल 30 लाख रूपये के कार्य होंगे। जेई ने कई पार्षदों से पत्र भी लिखवा लिया है। वार्ड 57 से राधेश्याम, वार्ड 54 से सतेन्द्र चौधरी, वार्ड 40 से हिमांशु चौधरी, वार्ड 41 से भूपेन्द्र उपाध्याय, वार्ड 68से विनय चौधरी, वार्ड 97 श्रीभगवान अग्रवाल, वार्ड 72 से कुसुम गोयल पत्नी मनोज गोयल, वार्ड 21 से आनंद, वार्ड 61 से शिल्पा चौधरी और वार्ड 74 से नरेश भाटी ने 30 लाख के प्रस्ताव पर अपनी रजामंदी दे दी है। अब 50 के नहीं और 30 लाख के काम होंगे। किसने 20 लाख घटा दिये, यह पता नहीं है लेकिन 30 लाख के काम के लिए भाजपा पार्षदों ने साईन कर दिये हैं।
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