वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद।
राजनीति में बधाई और शुभकामनाओं का भी अपना एक संदेश होता है। यहां बिना मतलब कोई किसी के सुख और दुख में नहीं शरीक होता है। बात जब सियासत वालों की हो और बेला ऐसी चल रही हो कि कभी भी नाम आ सकता है। तो फिर दावेदारों को खुद को हर बला से बचाकर रखना पड़ता है। वो इस बात को लेकर सजग रहते हैं कि दावेदारी की बेला में बधाई के चक्कर में कोई खेला ना हो जाये। दावेदारी का इफैक्ट जन्मदिन के केक पर दिखाई दिया। भगवा कमांडर ने अपना जन्मदिन राजनगर एक्सटेंशन में मनाया और दोपहर 12 बजे से लेकर 5 बजे तक बर्थडे के केक ही कटते रहे। हर दो मिनट बाद हैप्पी बर्थडे और संजीव शर्मा जिंदाबाद के नारे लगते रहे। लेकिन इस बार सियासत का अजब ही किरदार दिखाई दिया। जो चेहरे पिछली बार बधाई दे रहे थे वो चेहरे इस बार नहीं दिखाई दे रहे थे। खासतौर से महानगर अध्यक्ष पद के दावेदार इस बार बर्थडे की बधाई से एक डिस्टेंस बना गये। पिछली बार ये दावेदार दिखाई दिये थे लेकिन इस बार वो बधाई से दूर रहे। जिन प्रमुख चेहरों का नाम प्रमुखता से दावेदारी में चल रहा है। वो चेहरे केके शुक्ला, अशोक मोंगा, मयंक गोयल, अजय शर्मा बधाई देने ही नहीं पहुंचे। बड़ी बात ये थी कि जिन चेहरों का नाम प्रमुखता से चल भी नहीं रहा वो भी खुद को बधाई वाले सीन से अलग करके चल रहे थे। वो चेहरे भी बधाई देने नहीं पहुंचे। प्रतिस्पर्धा ही थी कि फूल वाले ही फूल वालों के बर्थडे से दूरी बना गये।
निगम पार्षदों की दावेदारी वाली भीड़ भी इस बार थी गायब
(करंट क्राइम) गाजियाबाद। सियासत में मतलब के सलाम होते हैं और वही आते हैं जिन्हें कुछ काम होते हैं। लास्ट ईयर जो पार्षद दावेदारी वाले चेहरे जन्म दिन बधाई देने पहुंचे थे वो चेहरे इस ईयर में वफादारी का गियर बदल चुके थे। वो इस ईयर बधाई वाले सीन के नियर भी नजर नहीं आये। विधायक आउट आफ स्टेशन चल रहे है लिहाजा उनका दिखाई ना देना लाजमी था। यहां पूर्व मेयर आशा शर्मा बधाई देने पहुंची। राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल पहुंचे और वो सभी चेहरे पहुंचे जो दावेदार नहीं है, जो दावेदार नहीं थे यानि वो अध्यक्ष पद के दावेदार नहीं है और निगम टिकट के दावेदार नहीं थे।
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