क्या इस बार निगम चुनाव के मैनिफैस्टो का पार्ट बनेगा ये मुद्दा
वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद। इसमें कोई दो राय नहीं कि शहर के लोग इन दिनों आवारा कुत्तों से लेकर खतरनाक प्रजाति के कुत्तों के आतंक से परेशान हैं। रोजाना ये खबरें भी आ रही हैं कि कहीं लिफ्ट में पालतू कुत्ते ने बच्चे पर हमला कर दिया तो कहीं पार्क में खतरनांक प्रजाति के कुत्ते ने बुरी तरह से बच्चे को घायल कर दिया। केवल बच्चे ही नहीं सड़कों पर जा रहे वाहन चालकों से लेकर पैदल जा रहे लोगों पर भी ये श्वान हमला कर रहे हैं। लोग इस समस्या से परेशान हैं और यहां पर सबसे बड़ी बाधा ही इस विषय में केन्द्र सरकार का विधान है। यदि कोई एक्शन लेना भी चाहता है तो यहां पीपुल्स फॉर एनिमल सोसाईटी से लेकर अन्य पशु प्रेमी संस्थायें आ जाती हैं। ये पुलिस में शिकायत करते हैं और फिर सुनी भी इन्ही की जाती है। पशु प्रेमी अपने तर्क से सही हैं और निगम इस दिशा में वर्क करना चाहता है। समस्या बढ़ रही है और शनिवार का दिन श्वान समस्या के समाधान की ओर ही रहा । हालाकि अभी कुछ बातों पर सहमति हुई है और कुछ बातों पर कानूनी मुहर लगनी बाकी है। शनिवार को नगर निगम के सभागार में जहां कुत्तों की समस्या के निदान के लिए बैठक आयोजित की गयी तो शहर विधायक अतुल गर्ग ने इस मुददे को प्रमुखता से उठाते हुए लोकसभा सांसद तथा केन्द्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह को पत्र लिखा। उन्होंने पत्र में अपने मौहल्ले का जिक्र किया और लिखा कि निगम तो समाधान कर दे लेकिन राह में बाधा ही केन्द्र वाला कानून है।
शहर विधायक ने क्यों लिखा लोकसभा सांसद को लैटर
अधिकार क्षेत्र को सरकार वाले बखूबी जानते हैं। आम जनता को परिसीमन जैसा शब्द नहीं पता होता लेकिन राजनीति और सरकारी गलियारों से जुड़े लोग इस शब्द का मतलब जानते हैं। उन्हें मालूम है कि कहां पर मुरादनगर विधानसभा की सीमा समाप्त होती है और कहां से शहर विधानसभा शुरू होती है। सरकार वाले जानते हैं कि हिन्डन के उस पार ही साहिबाबाद विधानसभा नही है।
हिन्डन के इस पार भी साहिबाबाद विधानसभा है। नंदग्राम साहिबाबाद विधानसभा में आता है। आम आदमी को ये चीजें नहीं पता होती लेकिन जनप्रतिनिधियों को पता होता है। जब कोई वार्ड संख्या 10 में रहने वाला व्यक्ति वार्ड संख्या – 11 के पार्षद के पास जाता है तो पार्षद भी ये ही बताता है कि यह तो वार्ड 10 का मामला है और आप वार्ड 10 के पार्षद के पास जाईये। मगर जब शहर विधायक और पूर्व राज्यमंत्री अतुल गर्ग ने निगम से जुड़े मैटर को लेकर लोकसभा सांसद और केन्द्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह को लैटर लिखा तो चर्चा फिर भाजपा से लेकर निगम वालों में हुई। क्योंकि अतुल गर्ग खुद विधायक हैं और सरकार में मंत्री रहे हैं। वो जानते हैं कि ये मामला निगम का है और यहां उन्हें मेयर को लैटर लिखने में कोई दिक्कत नही थी क्योंकि मेयर भी भाजपा की हैं। निगम के सदन में भाजपा का बहुमत है और प्रदेश में सरकार भाजपा की है। मगर जब ये पत्र लोकसभा सांसद के नाम लिखा गया तो बात विचित्र सी लगी और यही माना जा रहा है कि लैटर के मैटर में और सांसद को इस संबंध में अवगत कराने के पीछे कुछ तो बात है। क्योंकि अतुल गर्ग बेहतर जानते हैं कि कौन से विषय को किसके सामने रखना है। दरअसल अतुल गर्ग ने यहां वो मुद्दा उठाया है जो मुद्दा मेयर को उठाना चाहिए था। उन्हें बताना चाहिए था कि इस समस्या को लेकर लोग हमारे पास आ रहे हैं। निगम का ये मैटर है लेकिन यहां केन्द्र वालों का लॉ एन्ड आॅर्डर आड़े आ जाता है। अतुल गर्ग ने अपने मौहल्ले का जिक्र किया है। यहां कानून की कमजोरी का जिक्र किया है। और उनकी फिक्र इस बात को लेकर है कि समस्या का समाधान होना चाहिए।
स्ट्रीट डॉग्स का मैटर और शहर विधायक ने लिखा सांसद को लैटर
(करंट क्राइम)। शहर की अलग अलग कालोनियों में लोगों को डॉग्स बाईट का मामला खबरों की हाईट मे है। कहीं लिफ्ट में पैट डॉग ने बच्चे पर हमला किया तो कहीं पिटबुल जैसी खतरनाक नस्ल के डॉग द्वारा बच्चे पर हमले की खबर है। शनिवार को ये मुद्दा गरमाया रहा और निगम सभागार से लेकर सरकार के विधायक ने इस पर चिंता व्यक्त की। शहर विधायक अतुल गर्ग ने तो गाजियाबाद के लोकसभा सांसद और केन्द्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह को एक पत्र लिखा और कहा कि आये दिन समाचार पत्रों में कुत्ते द्वारा काटे जाने की खबरे आती हैं।
नगर निगम ने पालतू डॉग का रजिस्ट्रेशन करने और देखभाल के लिए नियम भी बनाये हैं। यहां शहर विधायक ने कानून को राज्य और केन्द्र के अंतर से समझाते हुए लिखा कि गली मौहल्लों और सोसाईटी में मुख्य रूप से आतंक फैलाने और काटने वाले कुत्तों के लिए केन्द्रीय कानून के कारण प्रशासन खुद को असमर्थ जाहिर कर देता है। शहर विधायक व पूर्व राज्यमंत्री अतुल गर्ग ने जनरल वीके सिंह को लिखे लैटर में कहा कि स्वयं मेरे मौहल्ले डी ब्लॉक कविनगर में 11 से ज्यादा लोगों को मौहल्ले के कुत्ते ने काटा है। इसमें प्रशासन कोई बहुत प्रभावी कार्यवाही नहीं कर पा रहा है क्योंकि यहां केन्द्रीय कानून ऐसा है। अतुल गर्ग ने अपने पत्र में लिखा कि इन डॉग्स के मल मूत्र की समस्या भी बहुत बड़ी मात्रा में बनी रहती है। अतुल गर्ग ने लोकसभा सांसद जनरल वीके सिंह को पत्र लिखकर ये अपेक्षा की है कि इस संबंध में केन्द्रीय कानून की पुन: समीक्षा भारतीय परिवेश को देखते हुए अवश्य होनी चाहिए। इसी प्रकार बंदरों पर भी विचार किया जाना चाहिए।
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