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लाइफस्टाइल

ऊनी कपड़े ऐसे रहेंगे नए जैसे

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नई दिल्ली| सर्दियों में ऊनी कपड़े आपकी मौसम की जरूरत के साथ ही स्टाइल की मांग को भी पूरा करें, इसके लिए जरूरी है कि इनके नाजुक फैब्रिक की देखरेख भी सही ढंग से की जाए, ताकि वे हमेशा नए जैसे बने रहें। ऑनलाइन अपैरल स्टोर ‘वूनिक’ की मुख्य स्टाइलिस्ट भव्या चावला ने कुछ टिप्स दिए हैं, जिससे ऊनी कपड़ों हमेशा नए जैसा बने रहेंगे।

उपयुक्त ब्रश : स्वेटरों को वॉशिंग मशीन में धोने से बचें, क्योंकि इससे उनकी चमक खो जाती है। इसकी जगह ऊनी कपड़ों के इस्तेमाल के बाद हर बार पर उन पर जमी धूल या कीटों को झाड़ने के लिए इलेक्ट्रोस्टेटिक ब्रश का इस्तेमाल करें। ऊनी कपड़ों को नए जैसा रखने के लिए उन्हें थोड़ी देर हवा लगने देना भी जरूरी है।

दाग धब्बे : अगर आपके स्वेटर या शॉल पर कोई दाग-धब्बा लग जाए तो उसे तुरंत ड्राई क्लीन कराएं। अगर धब्बा ज्यादा गहरा नहीं है तो खासतौर पर ऊनी कपड़ों के लिए बने डिटरजेंट से साफ करें। ऊनी कपड़ों के डिटर्जेट को गुनगुने पानी में घोलें और कपड़ों को उसमें भिगो दें। हल्के हाथों से उन्हें धोएं, लेकिन ध्यान रखें कि जिन कपड़ों पर केवल ड्राई क्लीनिंग के निर्देश दिए हों, उन्हें इस प्रकार न धोएं।

लटकाएं नहीं : ऊनी कपड़ों को अन्य कपड़ों की तरह तार पर लटका कर न सुखाएं, क्योंकि इससे उनका फैब्रिक खिंच सकता है।

स्टीम प्रेस का प्रयोग करें : पूरी तरह से सूख चुके ऊनी कपड़ों को प्रेस करना सही नहीं है, क्योंकि इससे उनकी सिलवटें ठीक से नहीं निकलेंगी और उनके रेशों के जलने का खतरा बना रहेगा। इसकी जगह स्टीम प्रेस का इस्तेमाल करें। अगर स्टीम प्रेस न हो तो ऊनी कपड़े और प्रेस के बीच एक सादे सफेद कपड़े को गीला करके रखें। प्रयोग न किए जाने पर स्वेटर को उल्टा करके रखना उसकी उम्र बढ़ाएगा।

कीट-कीड़ों से बचाएं : ऊनी कपड़ों पर कीटों-कीड़ों से नुकसान का खतरा होता है। इसलिए ऊनी कपड़ों के साथ अलमारी में नैप्थलीन की गोलियां रखना न भूलें।

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गर्दन का दर्द: डॉक्टर बताते हैं प्रकार, कारण

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गर्दन का दर्द आराम और गतिविधि में बदलाव के साथ अपने आप हल हो सकता है लेकिन कभी-कभी गर्दन का दर्द अधिक गंभीर विकृति से जुड़ा हो सकता है और इसके लिए विशेष प्रबंधन की आवश्यकता हो सकती है। डॉक्टर इसके प्रकार, कारण, लक्षण, उपचार, बचाव के उपाय बताते हैं।गर्दन का दर्द एक बहुत ही सामान्य मस्कुलोस्केलेटल डिसऑर्डर है जो साल में कम से कम एक बार हर तीन लोगों में से एक को प्रभावित करता है। यह हल्का या गंभीर हो सकता है और हमारे कंधों, बाहों में फैल सकता है और इससे सिरदर्द भी हो सकता है। गर्दन का दर्द या बेचैनी एक बहुक्रियात्मक बीमारी है और इसके परिणामस्वरूप उत्पादकता और दक्षता में कमी आ सकती है लेकिन एक स्वस्थ जीवन शैली जिसमें नियमित शारीरिक व्यायाम, संतुलित आहार और एक 
अच्छा कार्य-जीवन संतुलन शामिल है, गर्दन के दर्द को दूर रख सकता है।

प्रकार:1. ओसीसीपिटल न्यूराल्जिया - यह एक प्रकार का सिरदर्द है जिसमें गर्दन के ऊपरी हिस्से, सिर के पिछले हिस्से और कान के पीछे के हिस्से में दर्द होता है। ओसीसीपिटल नसें, जो खोपड़ी से गुजरती हैं, सूजन या घायल हो सकती हैं, जो ओसीसीपिटल न्यूराल्जिया का कारण बनती हैं।
2. सरवाइकल रेडिकुलोपैथी - इसे कभी-कभी पिंच नर्व के रूप में जाना जाता है, जो आमतौर पर गर्दन में डिस्क हर्नियेशन से विकसित होती है। इससे गर्दन, कंधे, हाथ और उंगलियों में असहनीय दर्द हो सकता है। यह सबसे दर्दनाक गर्दन की स्थिति में से एक है, और शुक्र है कि एक अच्छा पूर्वानुमान भी है।
3. पहलू आर्थ्रोपैथी - इस शब्द का अर्थ है गर्दन के छोटे कशेरुक जोड़ों का गठिया, और यह गर्दन के दर्द का एक प्रसिद्ध कारण है। यह उम्र बढ़ने या रुमेटीइड गठिया जैसी स्थितियों के कारण हो सकता है।
4. मायोफेशियल दर्द सिंड्रोम - मायोफेशियल दर्द सिंड्रोम एक पुरानी दर्द की स्थिति है जो गर्दन की मांसपेशियों और प्रावरणी को प्रभावित करती है। पीठ के निचले हिस्से और ऊपरी हिस्से, गर्दन, कंधे और छाती शरीर के उन हिस्सों में से हैं जहां मायोफेशियल दर्द सिंड्रोम प्रकट हो सकता है। यह दोहराए जाने वाले गतियों द्वारा लाया जा सकता है जो लोग काम पर करते हैं, तनाव से संबंधित मांसपेशियों में तनाव, मांसपेशियों में चोट, खराब मुद्रा, या मांसपेशी समूह निष्क्रियता।
5. सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस - सर्वाइकल स्पाइन में उम्र से संबंधित टूट-फूट के कारण गर्दन में तकलीफ और अकड़न होती है, जिसे सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस कहा जाता है।6. व्हिपलैश नेक मोच - यह आपकी गर्दन पर तेज आघात, दुर्घटना, कार दुर्घटना आदि के कारण होता है।
7. फाइब्रोमायल्गिया - यह व्यापक मस्कुलोस्केलेटल दर्द की विशेषता है जो नींद, स्मृति और मनोदशा में गड़बड़ी से जुड़ा हो सकता है। ज्यादातर लोगों को गर्दन और पीठ में तेज दर्द और अकड़न का अनुभव होता है।

कारण:नई दिल्ली के वसंत कुंज में द इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर के दर्द प्रबंधन चिकित्सक डॉ विवेक लूंबा ने कुछ सामान्य कारणों की ओर इशारा किया, जिसके परिणामस्वरूप गर्दन में दर्द होता है:
1. शारीरिक तनाव - यह गर्दन के दर्द का सबसे आम कारण है, जो भारी शारीरिक व्यायाम, भारोत्तोलन, कंधे पर भारी बैग ले जाने, लंबी दूरी की ड्राइविंग / यात्रा आदि जैसी गतिविधियों में गर्दन की मांसपेशियों के अति प्रयोग के परिणामस्वरूप होता है। ऐसी सभी गतिविधियों का कारण हो सकता है गर्दन में मोच आने के कारण गर्दन का दर्द द्वितीयक होता है। कभी-कभी इसका परिणाम डिस्क हर्नियेशन हो सकता है, जिससे गर्दन का दर्द बांह के नीचे विकीर्ण हो सकता है।
2. आसन - खराब मुद्रा गर्दन दर्द के प्रमुख कारणों में से एक है। स्मार्टफोन और लैपटॉप (टेक्स्ट नेक सिंड्रोम) का उपयोग करते समय धनुषाकार पीठ और आगे की ओर झुकी हुई गर्दन के साथ लंबे समय तक बैठने से सर्वाइकल स्पाइन पर तनाव बढ़ जाता है, जिससे सर्वाइकल डिजनरेशन, कठोरता और दर्द होता है। लूंबा का कहना है कि स्कूल जाने वाले बच्चों में इन लक्षणों के साथ उनके क्लिनिक में आने की संख्या लगातार बढ़ रही है। उनका मानना ​​​​है कि महामारी ने समस्या को और खराब कर दिया है। 
3. व्हिपलैश चोट - वाहन दुर्घटनाओं में अचानक झटकेदार गर्दन की गति के परिणामस्वरूप व्हिपलैश चोट लग सकती है, जिससे गर्दन में दर्द हो सकता है।
4. गठिया - गर्दन के कशेरुक जोड़ों के गठिया के परिणामस्वरूप गर्दन में दर्द हो सकता है। 
5. विविध - गर्दन का दर्द अन्य कारणों से हो सकता है जैसे चिंता, अवसाद, संक्रमण, ट्यूमर आदि।

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देश

अधिकांश भारतीय अपने खर्च प्रबंधन में कठिनाई का सामना कर रहे : सर्वे

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नई दिल्ली| अधिकांश भारतीयों को अपने खर्चो का प्रबंधन करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। आईएएनएस-सी वोटर सर्वेक्षण में यह बात सामने आई। सर्वेक्षण में लगभग 65.8 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वर्तमान खर्चो को प्रबंधन करना मुश्किल हो गया है, जबकि 30 प्रतिशत लोगों ने कहा कि खर्च तो बढ़ गए हैं, लेकिन वे प्रबंधन योग्य हैं।

उत्तरदाताओं में से 2.1 प्रतिशत ने कहा कि पिछले एक साल में उनके खर्च में कमी आई है और अन्य 2.1 प्रतिशत मामले पर प्रतिक्रिया नहीं दे सके।

सर्वेक्षण से यह भी पता चला कि व्यवसायों और लोगों की कमाई पर महामारी के व्यापक प्रभाव के साथ, पिछले एक साल में अधिकांश भारतीयों की क्रय शक्ति कमजोर हो गई।

आम आदमी की कमाई पर पड़ने वाले प्रभाव के साथ-साथ लोगों पर भी इसका असर पड़ा है।

2020 में अधिकतर समय, खाद्य सामग्री और ईंधन की कीमतों में वृद्धि की वजह से मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर बनी रही।

मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं के वजह से ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी महामारी के प्रारंभिक चरण के दौरान तेज कटौती के बाद उधार दरों को बरकरार रखा।

सर्वेक्षण में यह भी पता चला है कि पिछले एक साल में 70 प्रतिशत से अधिक लोगों ने वस्तुओं के बढ़े हुए मूल्य के प्रतिकूल प्रभाव को महसूस किया।

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नई नौकरी पर जा रहे हैं तो रखें इन बातों का ध्यान

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अगर आप पढ़ाई के बाद पहली बार नई जगह नौकरी पर जा रहे हैं या नौकरी बदल कर पहली बार ऑफिस जा रहे हैं तो आपको कई बातों का ध्यान रखना होगा। अगर आप ऑफिस के शुरुआती दिनों में इन बातों का ध्यान रखेंगे तो आपको नई जगह पर तालमेल बैठाने में आसानी होगी।
कॉलेज और ऑफिस में अंतर होता है। यह जान लें कि ऑफिस में लोग एक डेकोरम का पालन करते हैं। उनके खाने और चाय पीने का वक्त तय होता है। कुछ हद तक काम के लिए समय सीमा भी तय होती है। इसलिए पहले जॉब में खुद को साबित करने के लिए यह जरूरी है कि पहले आप किसी भी संस्थान के कायदे-कानून को अच्छी तरह समझ लें। आजकल हर दफ्तर में यह माना जाता है कि आप में इंटेलीजेंस कोशेंट (आईक्यू) और इमोशनल कोशेंट (ईक्यू) के साथ-साथ कल्चरल कोशेंट (सीक्यू) भी होना चाहिए। कोई व्यक्त‍ि यदि आपको ज्यादा पसंद नहीं आ रहा है तो भी आप उसके साथ भी काम करने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहें।
ज्यादा ना बोलें
हो सकता है आप बहुत अच्छा जोक क्रैक करते हों और आपके दोस्त आपकी इस अदा पर फिदा हों। पर ऑफिस में हो सकता है यह पसंद न किया जाए. अगर आप बहुत ज्यादा बोलते हैं और दूसरों की बात काटने की आपकी आदत है तो इसे भी बदल लें क्योंकि ऑफिस में आपसे इतनी गंभीरता की उम्मीद की जाती है कि आप पहले दूसरे की बात सुनेंगे और फिर उसका जवाब देंगे। मीटिंग के दौरान भी बार-बार बीच में न बोलें। अगर कोई बहुत अच्छा आइडिया है तो उसे जरूर शेयर करें, पर मीटिंग में यह न लगे कि आप अतिउत्साहित हो रहे हैं.
परफॉर्मेंस के साथ पोलाइटनेस भी
ये बात ठीक है कि ऑफिस में खुद को कार्यकुशल दिखाना जरूरी है, पर इसके साथ-साथ यह भी जरूरी है कि आप सीनियर्स और अपने कलीग्स के साथ ठीक से बात करें। काम के दौरान यदि कोई गलती पर टोके तो उस पर तीव्र प्रतिक्रिया देने की बजाय अपनी गलती की जिम्मेदारी लें। इस तरह आप सीनियर्स का दिल भी जीत लेंगे।
संतुलित जवाब दें
ऑफिस में आप नये-नये हैं तो सबसे पहले अपने कलीग्स के मिजाज को समझ लें क्योंकि हो सकता है कि आपके किसी जोक पर उन्हें गुस्सा आ जाए या वो नाराज हो जाएं। इसलिए हंसी-मजाक करने से पहले लोगों के व्यक्त‍ित्व को जान लेना सबसे जरूरी है। इसके अलावा अगर आपसे कुछ पूछ जाए तो उसका जवाब बढ़ा-चढ़ाकर देने की बजाय टू द प्वॉइंट दें। अपनी योग्यता को बहुत ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर बताने के बाद यदि आप उस पर खरे नहीं उतर पाए तो इससे आपके सहयोगियों के साथ आपका पेशेवर रिश्ता कमजोर हो जाएगा।
सोशल मीडिया से दूरी
कॉलेज में आप हो सकता है, पूरे दिन में कई बार सोशल मीडिया पर चैट करते हों या अपडेट्स करते हों। ऑफिस में यह नहीं चलता। कुछ संस्थानों में तो सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर प्रतिबंध रहता है। ऐसे में आप अगर ऑफिस समय में अपने फोन या ऑफिस पीसी पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं तो यह माना जाएगा कि आप काम को लेकर गंभीर नहीं हैं।

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