लखनऊ। प्याज की कीमत को लेकर राजधानी ही नहीं बल्कि नासिक से लेकर प्याज उत्पादक प्रदेशों में बड़ा खेल खेला जा रहा है। उत्पादित राज्यों में जमाखोर मुनाफा कमाने के लिए इसे दबाए हुए हैं।(latest market hindi news) मध्य प्रदेश के इंदौर व शाजापुर, राजस्थान के अलवर और गुजरात के जामनगर और महुआ में भी इसकी कमी नहीं है। नासिक जिले के पींपलगांव बसवंत, लासलगांव, संगमनेर, जून्नर इलाके में प्याज का पर्याप्त मात्रा में स्टॉक है। किसानों से औने-पौन दामों में प्याज खरीदकर उनके ही गोदामों में इसे डंप किया जा रहा है। बीते सोमवार को 60 रुपये से प्याज बढ़कर 70 से 80 रुपये किलो राजधानी में बिकने लगा। प्याज के साथ ही टमाटर भी 40 रुपये और आलू 20 रुपये का डेढ़ किलो की जगह पर सवा किलो बिक रहा है। इन जमाखोरों का दबदबा इतना मजबूत है कि प्रशासन से लेकर सरकार भी इनके गोदामों में छापेमारी से बच रही है। नतीजतन, आम उपभोक्ताओं के प्याज खरीदने में आंसू निकल रहे हैं।
थोक में बढ़ा दिए गए प्याज के दाम :
नासिक से लेकर राजधानी तक में दो सौ से तीन रुपये प्रति क्विंटल थोक में प्याज के दाम बढ़ा दिए गए हैं। राजधानी की खुदरा सब्जी बाजार में अव्वल दर्जे के प्याज की कीमत गत सोमवर को 70 रुपये से लेकर 80 रुपये किलो पार कर गई है। हालांकि जिले की दो प्रमुख थोक मंडियों दुबग्गा और नवीन मंडी सीतापुर रोड में प्याज दो हजार से लेकर 2200 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा है।
खुदरा बाजारों में प्याज के दाम आसमान छूते जा रहे हैं। इसके पीछे कम उत्पादन का हवाला दिया जा रहा है, जबकि सच्चाई इसके विपरीत है। देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र के नासिक, पूना, शिरडी, औरंगाबाद में मौजूदा समय प्याज का बड़ा स्टॉक है।
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