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बाज़ार

अंधेरे में तीन चलाना आर्थिक सुधार नहीं : गवर्नर राजन

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मुंबई| भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन ने गुरुवार को कहा कि देश में लगातार और दृढ़ता से आर्थिक सुधार किए जाने की जरूरत है। (indian market hindi news) उन्होंने यह भी कहा कि अंधेरे में तीर चलाने को आर्थिक सुधार नहीं कहा जा सकता। राजन ने आरबीआई की 2014-15 की सालाना रिपोर्ट में गवर्नर के सिंहावलोकन में लिखा है, “पहले सुधार की गति बैंकों और खासकर हमारे सरकारी बैंकों की क्षमता से तय होती थी।”

उन्होंने कहा, “बैंकिंग प्रणाली पर चल रहा दबाव यह संकेत देता है कि वास्तविक अर्थव्यवस्था बैंकिंग प्रणाली का इंतजार नहीं कर सकती और सुधार की गति धीमी रखने से बैंकिंग प्रणाली का जोखिम घटने की बजाए बढ़ सकता है। वित्तीय क्षेत्र में कई मोर्चे पर सुधार करन की जरूरत है।”

उन्होंने सिंहावलोकन में लिखा है, “भारत जैसे बड़े और विशाल आबादी वाले देश में सुधार अंधेरे में चलाया गया तीर नहीं हो सकता, क्योंकि यह देश को अनिश्चितता और जोखिम की तरफ धकेल सकता है। जहां भी संभव हो, हमें धीमे-धीमे लेकिन दृढ़ता से बढ़ना होगा। सुधार की संभावना बढ़ाते जाना होगा और इससे पैदा होने वाली अनिश्चितता को घटाते जाना होगा।”

उन्होंने कहा कि भारतीय सुधार की सही दिशा चीन की एक कहावत से समझी जा सकती है, जिसमें कहा गया है कि पत्थरों को टटोल-टटोल कर पग रखते हुए नदी पार करनी है।

उन्होंने कहा कि वित्तीय क्षेत्र में प्रवेश आसान बनाकर और प्रतियोगिता बढ़ाकर सुधार किया जा सकता है।

राजन उवाच, “हमें यथासंभव नियामकीय विशेषाधिकार समाप्त करने हैं और बाधाएं भी समाप्त करनी हैं।”

उन्होंने कहा, “छूट और सब्सिडी के जरिए सबसे अच्छी तरह से सहभागिता नहीं बढ़ाई जा सकती, बल्कि इसके लिए सहयोगी ढांचा बनाना होगा, जिसमें पारदर्शिता अधिक हो, समझौते को बाध्यकारी बनाया जाए और बाजार में हिस्सा लेने वाले की अनुचित परिपाटियों से रक्षा हो।”

उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के सहारे कम खर्च में सहयोगी ढांचा बनाया जा सकता है और मुख्यधारा से कटे हुए लोगों को वित्तीय सेवा के दायरे में लाया जा सकता है।

राजन ने कहा, “ये ही वे सिद्धांत हैं, जो हमारे मध्यावधि सुधार की रणनीति को मार्गदर्शित करते हैं।”

आरबीआई के बारे में गवर्नर ने कहा कि यह एक सक्षम संस्थान है, जिसने अपने कर्मचारियों की संख्या 1981 में 35,500 से घटाकर 16,700 तक लाई है। उन्होंने कहा कि आरबीआई ने 659 अरब रुपये का सरप्लस सरकार को भी दिया है।

बाज़ार

इस साल 20 फीसदी महंगा होगा वाहनों का बीमा!

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  • नए-पुराने करोड़ों वाहन मालिकों पर पड़ेगा सीधा असर

नई दिल्‍ली। पेट्रोल और डीजल के बाद देश के करोड़ों वाहन मालिकों को महंगाई की एक और डोज़ मिल सकती है। बीमा कंपनियों ने इस साल इंश्‍योरेंस प्रीमियम बढ़ाने की योजना बना ली है। कंपनियां का इरादा थर्ड पार्टी मोटर इंश्‍योरेंस को 15 से 20 फीसदी तक बढ़ाने का है। बीमा विनियामक व विकास प्राधिकरण को बीमा कंपनियों की ओर से भेजे गए प्रस्ताव में कोरोना के कारण कंपनियों को हो रहे नुक़सान को देखते हुए थर्ड पार्टी इंश्‍योरेंस में 15 से 20 फीसदी बढ़ोतरी करने की मंजूरी देने की मांग की गई है। अगर कंपनियों की मांग मंजूर हुई तो इसका सीधा असर देश के करोड़ों वाहन मालिकों पर पड़ेगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक: भारत में करीब 25 जनरल इंश्‍योरेंस कंपनियां हैं। कंपनियों को उम्‍मीद है कि उनके प्रस्ताव को इरडा हरी झंडा दे देगा। कंपनियों का मानना है कि कोरोना के कारण उनको बहुत नुकसान हो रहा है। इसी को देखते हुए थर्ड पार्टी इंश्‍योरेंस का मौजूदा प्रीमियम ठीक नहीं है और उन्‍हें घाटा हो रहा है। कुछ कंपनियां की स्थिति ऐसी हो गई है कि उनकी करदान क्षमता उनकी प्रिस्‍क्राइब्‍ड लिमिट से भी नीचे चली गई है। थर्ड पार्टी इंश्‍योरेंस क्‍लेम में भी बढ़ोतरी हुई है। इससे भी कंपनियों पर दबाव बढ़ा है। सुप्रीम कोर्ट के 2018 के एक निर्णय के बाद नये दोपहिया वाहनों को खरीदते वक्‍त ही पांच साल का थर्ड पार्टी इंश्‍योरेंस और चारपहिया वाहनों के लिए तीन साल का थर्ड पार्टी बीमा लेना अनिवार्य है। मोटर व्हीकल एक्‍ट के अनुसार जो भी वाहन सड़क पर चलता है, उसका थर्ड पार्टी इंश्‍योरेंस होना आवश्‍यक है। इंश्‍योरेंस प्रीमियम इरडा निर्धारित करता है। प्रीमियम में हर साल बदलाव होता है। पिछले दो साल से कोरोना के कारण इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है।

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देश

शेयर बाजार में उछाल, सेंसेक्स 61 हजार के पार

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नई दिल्ली। शेयर बाजार में बुधवार को लगातार तीसरे दिन रौनक देखने को मिल रही हैं। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर 30 अंकों के सूचकांक सेंसेक्स और व्यापक 50 अंकों वाले निफ्टी ने बुधवार को शुरूआती कारोबार में तेजी के साथ बढ़त हासिल की। सुबह 10.13 बजे सेंसेक्स अपने पिछले बंद 60,616 अंक से 0.6 फीसदी ऊपर 60,972 अंक पर कारोबार कर रहा था। यह 61,014 अंक पर खुला।

इसी तरह निफ्टी 18,156 अंक के पिछले बंद के स्तर से 0.6 प्रतिशत ऊपर 18,156 अंक पर कारोबार कर रहा था। यह 18,170 अंक पर खुला।
शुरूआती कारोबार के दौरान फायदे में हिंडाल्को, कोटक महिंद्रा बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज, भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के शेयर रहे हैं।
एनएसई के आंकड़ों के अनुसार, टाइटन, टीसीएस, सिप्ला, टेक महिंद्रा, विप्रो घाटे वाले शेयर रहे हैं। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार, वी.के. विजयकुमार ने कहा, अल्पकालिक गति दर्शाती है कि बाजार पूरी तरह से बुल के नियंत्रण में है। आज तीन बड़ी आईटी कंपनियों से अपेक्षित अच्छे परिणाम बाजार को मिलने की संभावना है।

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देश

तेल बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच पेट्रोल, डीजल की कीमतों में फिर उछाल

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नई दिल्ली । वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के बीच बेंचमार्क क्रूड 80 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाने के साथ पेट्रोल और डीजल की कीमतों में मंगलवार को एक बार फिर तेजी आई। देश के सबसे बड़े ईंधन रिटेलर इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में डीजल की कीमतें 30 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि के साथ 91.07 रुपये प्रति लीटर हो गईं, जबकि पेट्रोल की कीमतें 25 पैसे प्रति लीटर बढ़कर 102.64 रुपये प्रति लीटर हो गई।

डीजल की कीमतें अब पिछले 12 दिनों में से 9 बार बढ़ाई गई गई हैं, जिससे दिल्ली में इसकी खुदरा कीमत 2.45 रुपये प्रति लीटर बढ़ गई है। डीजल की कीमतों में शुक्रवार को 20 पैसे प्रति लीटर और फिर पिछले सप्ताह रविवार, सोमवार और मंगलवार को 25 पैसे प्रति लीटर और गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार को 30 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई और मंगलवार को फिर 30 पैसे प्रति लीटर की दर से बढ़ी।
पेट्रोल की कीमतों में 5 सितंबर से स्थिरता बनी हुई थी, लेकिन तेल कंपनियों ने इस सप्ताह अपने पंप की कीमतों में बढ़ोतरी की, क्योंकि हाल ही में उत्पाद की कीमतों में तेजी आई है। पेट्रोल की कीमतों में भी पिछले आठ दिनों में से छह दिन बढ़ाई गई है, जिससे इसकी कीमत में 1.45 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है।
मुंबई में पेट्रोल की कीमत 25 पैसे प्रति लीटर बढ़कर 108.67 रुपये प्रति लीटर हो गई, जबकि डीजल की कीमत 98.80 रुपये प्रति लीटर के करीब पहुंच गई। देशभर में भी, पेट्रोल और डीजल में 20-30 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि हुई, लेकिन स्थानीय करों के स्तर के आधार पर उनकी खुदरा दरें भिन्न रहीं।

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