- खाकी में भी अपराधी और मौज कर रहे हैं दागी 45 पुलिसकर्मी सस्पेंड, खोड़ा एसएचओ लाइन हाजिर
- निरंतर सामने आ रहे प्रकरणों से घट रही है पुलिस की साख
गाजियाबाद। एसएसपी धर्मेंद्र सिंह की पहचान एक सख्त पुलिस आफिसर और जनता को न्याय देने वाले अधिकारी के रूप में होती है। (ghaziabad hindi news) जनपद गाजियाबाद में आॅपरेशन स्माईल को शुरूकर श्री यादव ने जनता समेत समूचे देश में पुलिस की छवि सुधारने की दिशा में एक अलग पहल की। आॅपरेशन स्माईल के अलावा कई अन्य अभियानों के तहत भी श्री यादव ने अपने शीर्ष अधिकारियों की ध्यान आर्कषित किया, वहीं श्री सिंह के अभी तक के कार्यकाल में जिन घटनाओं का खुलासा हुआ है वह शतप्रतिशत साबित हुए हैं। श्री सिंह ने खोड़ा थाना प्रभारी वीर विक्रम सिंह के खिलाफ कार्रवाई करके दर्शा दिया है कि वह काम में लापरवाही किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे। लेकिन जिस हिसाब से पुलिस के दामन पर दाग लग रहे हैं, उसने कप्तान के गुडवर्क पर पानी फेरने का काम किया है।
अभी हाल की घटनाओं की बात की जाए तो क्राइम ब्रांच से लेकर खोड़ा थाने में आरोपियों को मद्द दिये जाने के मामले प्रकाश में आये और पुलिस कप्तान धर्मेंद्र सिंह ने दरोगा विजय बहादुर, राजेंद्र सिंह और सीओ इंदिरापुरम के मुंशी जयप्रकाश को सस्पेंड कर दिया और एसओ वीर विक्रम सिंह को लाइन हाजिर कर दिया। । इन पर आरोप है कि केबल आॅपरेटर गुड्डू पर हुए जानलेवा हमले के मामले में विवेचना करते वक्त लापरवाही बरती। उच्च अधिकारियों से निर्देश मिलने के बावजूद आरोपियों को लाभ पहुंचाने के लिए लापरवाही बरती है। दूसरी तरफ, साहिबाबाद थाने में तैनात दरोगा अनूप सिंह को विवेचना में लापरवाही बरतने और निवाड़ी में तैनात सिपाही विजय कुमार को बीमारी का बहाना बताकर छुट्टी लेकर ड्यूटी पर न लौटने के कारण सस्पेंड किया है।
बता दें कि नोएडा सेक्टर -44 निवासी केबल आॅपरेटर गुड्डू पर 1 जुलाई 2015 को खोड़ा के अनिल विहार में एक गिफ्ट शॉप में जानलेवा हमला किया गया था। गिफ्ट शॉप संचालक और गुड्डू में बाउंसर के ठेके को लेकर विवाद था। आरोप गिफ्ट शॉप संचालक समेत 10-12 लोगों पर है।
हमलावरों की फुटेज दुकान में लगे सीसी कैमरे में कै द हो गई थी। एसपी सिटी और सीओ इंदिरापुरम ने इस मामले में कार्रवाई के लिए खोड़ा इंस्पेक्टर को कई बार निर्देशित किया था। जांच अधिकारी ने इस मामले में न तो पीड़ित का मेडिकल कराया और न ही उसके बयान दर्ज किए। एसएसपी ने शनिवार को क्राइम मीटिंग में सभी थाना प्रभारियों को सख्त लहजे में कहा कि अगर विवेचना में लापरवाही मिली तो संबंधित आईओ के साथ साथ थाने के प्रभारी पर भी कड़ी कार्रवाई होगी।
क्राइम ब्रांच ने भी कराई किरकिरी
क्राइम ब्रांच ने भी पुलिस कप्तान की साख को गिराने का काम किया है। पिछले दिनों गौतमबुद्धनगर के एक कारोबारी से रंगदारी मांगने के मामले में संल्प्ति क्राइम ब्रांच के कर्मियों समेत पुलिस कप्तान धर्मेंद्र सिंह ने पूरी क्राइम ब्रांच टीम को लाइन हाजिर कर दिया था। बता दें कि क्राइम ब्रांच में तैनात सिपाहियों ने हरौला निवासी रूपेश कुमार से लाखों रुपये की रंगदारी मांगी थी। रुपेश कुमार का सेक्टर-8 में राजपूत एंड रॉय फाइनेंशियल सर्विसेज नाम से वित्तीय सेवाएं प्रदान कराने का दफ्तर है। 27 अगस्त को चार लोग वहां आए। उन्होंने रूपेश पर इंश्योरेंस क्लेम के नाम पर लोगों से ठगी करने का आरोप लगाया। साथ ही, खुद को एसटीएफ से होने की जानकारी दी।
इससे रूपेश घबरा गए। उन्होंने 2.75 लाख रुपये और दो लैपटॉप दे दिए। 28 अगस्त को उनके पास फिर फोन आया। एसटीएफ से होने की जानकारी देकर 10 लाख रुपये की मांग की गई। रूपेश ने यह बात नोएडा पुलिस को बताई। कोतवाली सेक्टर-20 और क्राइम ब्रांच को जांच में लगाया गया। फोन करने वाले को पैसा लेने आने वाले थे, लेकिन वह नहीं आए। पांच लोग सेक्टर-8 पहुंचे जिनमें से दो को कोतवाली सेक्टर-20 पुलिस ने पकड़ लिया। इनकी पहचान नोएडा पुलिस के एचसीपी विकास और गाजियाबाद क्राइम ब्रांच के सिपाही राजीव मलिक के रूप में हुई। वहीं, गाजियाबाद क्राइम ब्रांच के सिपाही नीरज राठी व राजेंद्र राठी और अन्य व्यक्ति विनीत मौके से फरार हो गए। पुलिस कप्तान धर्मेंद्र सिंह ने आरोपी सिपाहियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए।
कारों के नंबरों ने अब कराई फजीहत
जनपद पुलिस निरंतर दागदार होती जा रही है और एक बार फिर पुलिस को मुंह की खानी पड़ी है। अबकी एफएसएल रिपोर्ट ने पुलिस के दावे की पोल खोल दी है। कविनगर पुलिस ने कार चोर गैंग पर इंजन और चेसिस नंबरों को मशीनों से डाई कर एक्सीडेंट में डैमेज कारों के नंबर लिखकर पलवल और फिरोजाबाद आरटीओ से रजिस्ट्रेशन कराने की बात कहीं थी, पुलिस की दावे एफएसएल जांच में गलत पाये गये हैं। जांच में किसी भी कार का कोई नंबर बदला हुआ नहीं निकला। कोर्ट के आदेश पर रिलीज कर दिया गया है।
बता दें कि 02 मई वर्ष-2015 को पुलिस ने एक गैंग से 16 लग्जरी कारें बरामद की थीं। गाजियाबाद फोरेंसिक साइंस लेबोरेट्री द्वारा कोर्ट के आदेश पर नौ कारों की जांच की गई थी, उन नौ कारों के इंजन और चेसिस नंबर से छेड़छाड़ नहीं मिली, लिहाजा रिपोर्ट भेज दी गई। फिलहाल इस मामले ने भी पुलिस की किरकिरी की हुई है।
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