नोमिनेट बनना लक था इलेक्टिड टिकट मांगना हक हैं
भगवा गढ़ में जिन नेताओं को सरकार कृपा से नवाज कर ये मान रही थी कि इस आब्लीगेशन के बाद अब वो कोई टेंशन नही देगें तो ये सरकार की गलतफहमी थी। सरकार को याद रखना चाहिये था कि ख्वाहिशे तो कभी बादशाहों की पूरी नही हुई तो इन गली मौहल्ले के नेताओं की कहां से हो पूरी हो जाती। नामित बन गये तो इलेक्टिड की तमन्ना मचल रही हैं अब वो तो मौहल्ले के भगवा सिटिंग पार्षद को ही आंख दिखा रहे हैं। वार्ड के विकास में खोट गिना रहे हैं और दबी जुबान से कह रहे है कि जिसे वोट दिया था आप ने उससे विकास प्रोपरली ना हुया। हमें देखो हमने एक साल में ही बेंच भी लगवा दी और कूड़ाघर भी बनवाया। कई मौहल्लों में तो विधायक और मेयर कोटे का के्रडिट भी नामित वाले ले गये। डोर टू डोर जाकर बता रहे है कि मेयर और विधायक से भी हम ही पास करवा लाये हैं ये काम। एक बारफिर से मौका मिला चुनाव लड़ने का तो कसम से वार्ड को लंदन बना देंगे वार्ड को पेरिस बना देगें के वादे शुरू हो गये हैं। प्रचार का कमाल ये है कि कमल ही कमल के खिलाफ हैं। ना कहीं हाथी ना साईकिल और ना कहीं हाथ है। वो कह रहे है कि नोमिनेट बने वो हमारा लक था और टिकट मांगना तो हक हैं
निगम कार्यकारिणी को नही हैं टैक्स की पावर
जब निगम के अफसर ने हाऊस टैक्स को डबल किया तब उन्होने बिना मेयर और पार्षदों का नाम लिये बिना ही कहा कि मुझे किसी बोर्ड से नही पूछना। आई हैव राईट और सवाल उठाने वालो ं को एडवाईज दी कि पहले निगम एक्ट की फला ढिमका धारा पढ़ लो फिर आकर करना फाईट। अफसर के साथ फिर डाक बगंले में निगम मुखिया, थ्री विधायक और सगंठन सिटी प्रधान बैठे और म्यूचल अडंर स्टैडिग बनी कि अफसर तुम साईलेंट रहो हम इस का भी के्रडिट लेगेें कि हमने कम करा दिया मगर कार्यकारिणी बैठक के बाद जब हाथ वाले पार्षद ने क्रेडिट लेने की कोशिश व्हाटसएप गु्रप पर की तो कमल वाले क्रातिंवीर ने मोर्चा खोला। उन्होने कहा कि क्या होती ये कार्यकारिणी। साफ एलान किया कि कार्यकारिणी प्रस्ताव ला सकती है किसी फैसले को फाईनल नही कर सकती। फाईनल करने की पावर केवल सदन के पास हैं। टैक्स के मामलें को बोर्ड ही फाईनल करेगा। अब कनफ्Þयूजन ये है कि निगम में पावर का टावर सही में किसके पास हैं। निगम अफसर ने कहा कि एक्ट पढ़ ले सबके सब जो फैसला हमने ले लिया वो फाईनल। डाक बगंले में भगवा कमांडर टू निगमी मेयर विद थ्री विधायक ने अफसर से कहा कि गो बैक अबाऊट दिस डिसीजन अदवाईज पैक योअर बैग एंड बैगेज विदआऊट रीजन। समझा करो साहब आ रहा है चुनावी सीजन। अब भगवा पार्षद और जीडीए बोर्ड मेंबर ने कहा कि कार्यकारिणी निगम की मालिक नही है। निगम का फैसला बोर्ड बैठक में होता है। टैक्स खत्म करना है,कम करना ज्यादा करना हैं ये फैसला तो बोर्ड बैठक में होगा।कार्यकारिणी केवल प्रस्ताव देगी फाईनल बोर्ड करेगा।
चार साल से कब्जें ही तो खाली करा रही सरकार
चुनावी मैनीफेस्टो में एंटी भूमाफिया अभियान चलाने की बात कमल वालों ने कही थी। सरकार आने के बाद बुलडोजर जीडीए वालो का निकला और निगम वालो के रिटायर फौजी सफारी सूट पहनकर बदूंके लेकर जमीनो को कब्जे से छुड़ाने लगे। जीडीए की दो आईएएस मैडमों ने तो सरकार वालों के यहां सील लगा दी। लोनी मेें विधायक बताने लगे कि आ जाओ जी बुलडोजर लेके यहां हो रहा है कब्जा। मगर गाजियाबाद में पता नही ऐसी कौन सी और कितनी जमीन अवैध कब्जे में थी कि चार साल बीतने के बाद भी जमीने ही खाली कराई जा रही है। सरकार के ही अफसर ने कहा कि मौके पर जांच करा लो आज भी करोड़ो रूपये की जमीन पर फिर दोबारा से कब्जा हो गया हैं। एंटी भूमाफिया अभियान तो अगली सरकार के आने तक भी चलता ही रहेगा। पता नही कितनी जमीन पर अवैध कब्जा है यहां।
झंडा लगाने से ही काम हो रहा है हमारा तो
राजनीति सरकार बदलने के साथ एक व्यापारी नेता भी बदल जाते हैं। कार पर भाजपा का झंडा लगा लिया हैं जबकि 2012 में सपा का झंडा था। गर्व से चेंज का कारण बताया कि झंडा लगाने से ही काम हो जाता हैं हमारा तो।