-कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, प्रशासनिक अधिकारियों को
-शहर की विकसित कालोनियों की जड़ो में मट्ठा डाल रही हैं कच्ची कालोनियां
-अधिकारियों के सामने ही फल फूल रही हैं डूब क्षेत्र में कच्ची कालोनियां
-लाखों की आबादी निवास करती है कि कच्ची कालोनियों में
-पेयजल, विद्युत संकट, जाम, अपराध, महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार, पलायन करते उद्योग हैं चुनौतियां
गाजियाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्मार्ट सिटी योजना में जनपद गाजियाबाद को सम्मिलित कर लिया गया है। (ghaziabad hindi news) स्मार्ट सिटी में शामिल किये जाने के बाद शहर के लोगों के साथ प्रशासनिक अमला भी खासा उत्साहित नजर आ रहा है कि अब गाजियाबाद का समुचित विकास होगा और लोगों को बेहतर जीवनशैली दी जा सकेगी, और बुनियादी ढांचे को मजबूत कर लोगों को विकास का मुख्य धारा से जोड़ा जा सकेगा, लेकिन जनपद गाजियाबाद का जो वर्तमान परिवेश है, वह खासा ढीला ढाला है और बुनियादी ढांचे को दुरूस्त करने की दिशा में प्रभावी कदम उठाये जायेंगे तभी सही मायनों में स्मार्ट सिटी का सपना साकार हो सकेगा। फिलहाल जनपद गाजियाबाद दर्जनों समस्याओं से रोजाना रूबरू होता है और अधिकारिक तंत्र लोगों को यह भरोसा दिलाकर सुला देता है कि बुनियादी ढांचे को दुरूस्त करने की दिशा में काम किया जा रहा है और जल्द ही लोगों को बेहतर सुविधाएं मिलने लगेंगी। जनपद गाजियाबाद में स्मार्ट सिटी की राह में क्या अड़चने आयेंगी, इसकों लेकर करंट क्राइम की ओर से सिलसिलेवार जांच पड़ताल की गई तो उक्त समस्याएं सबसे प्रमुख नजर आई, जिन पर पार पाना प्रशासनिक अमले के लिए दूर की कौड़ी साबित होगा।
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जाम:—
जनपद गाजियाबाद में जाम एक ऐसा शब्द हो गया है जिससे हर कोई भली भॉति वाकिफ हो चुका है। जनपद गाजियाबाद के साथ पड़ोस के रहने वाले दिल्ली वासी व गौततबुद्धनगर के रहने वाले लोग भी जानते हैं कि गाजियाबाद जाना है तो जाम से दोचार होना ही पड़ेगा। जाम से जूझ रहे जनपद गाजियाबाद को दुरूस्त करना बेहद टेढ़ी खीर है, क्योंकि अधिकारी योजना बनाते हैं, जब तक योजना पूरी होती है तब तक वाहनों की दबाव उक्त योजना को पूरी तरह से विफल कर देता है। जाम के कारण जहां लोगों की कीमती समय बर्बाद हो रहा है, वहीं लोग तनाव में भी आते जा रहे हैं। ऐसा कोई हिस्सा नहीं होगा जहां पर जाम लोगों के लिए परेशानी का सबब ना बन रहा हो।
लचर स्वास्थ्य व्यवस्थाएं:—
जनपद गाजियाबाद यूं तो दिल्ली से सटा हुआ है, लेकिन यहां की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं लचर स्थिति में हैं। जनपद के रहने वाले लोग गंभीर बीमारियों को छोड़कर छोटी बीमारी का इलाज कराने के लिए दिल्ली या फिर प्राइवेट अस्पतालों की ओर कूच करते हैं। जिला एमएमजी, संयुक्त अस्पताल समेत साहिबाबाद का ईएसआई अस्पताल भी सुविधाओं के नाम शून्य है। स्मार्ट सिटी योजना के अर्न्तगत स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर किया जाना एक कठिन कदम होगा।
बढते अपराध:—
गाजियाबाद की पृष्ठभूमि आज भी लोगों के जहन में अपराध वाली बनी हुई है। यहां पर अपराधों में किसी तरह की कोई कमी नहीं आई है। निरंतर अपराध घटित होते हैं और लोगों का जीना मुहाल बना हुआ है। आये दिन हत्याएं, लूट, चोरी समेत अन्य कई तरह की घटनाओं से शहर के समाचार पत्र खबरों से पटे रहते हैं। जनपद गाजियाबाद को अपराध मुक्त करना भी पुलिस अधिकारियों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। स्मार्ट सिटी का सपना तभी साकार होगा जब जनपद गाजियाबाद में बेहतर पुलिसिंग व्यवस्था दी जायेगी, और पुलिस कर्मियों में जनता के लिए एक सकारात्मक सोच पैदा की जा सकेगी।
महिलाओं पर हो रहे अपराध:—
स्मार्ट सिटी का सपने के आड़े में सबसे बड़ी बात यह आ रही है कि जनपद गाजियाबाद महिलाओं पर होने वाले अपराधों में भी पीछे नहीं है। शहर का कुछ हिस्से तो ऐसे भी हैं जहां दिन ढलने के बाद महिलाएं बाहर नहीं निकल सकती। इसके अलावा शहर में आये दिन महिलाओं पर होने वाले अपराध अखबारों की सुर्खियां बने रहते हैं। ऐसा कोई दिन जाता होगा जब बलात्कार किये जाने की घटना यहां न होती हो।
लचर पेयजल सुविधा:—
जनपद गाजियाबाद पहले हॉट सिटी बना और अब स्मार्ट सिटी बनाये जाने की सूची में शामिल किया जा चुका है, लेकिन जनपद गाजियाबाद में अभी भी कई कालोनियां ऐसी हैं जहां बेहतर पेयजल की व्यवस्था नहीं की जा सकी है। आज भी लोग पेयजल संकट से जूझ रहे हैं और बड़ी संख्या में लोगों को पेयजल खरीद कर पीना पड़ रहा है। साहिबाबाद क्षेत्र की अधिकांश कालोनियों में पेयजल संकट गहराया हुआ है और आये दिन लोग पेयजल सप्लाई को दुरूस्त किये जाने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरते रहते हैं।
लचर ट्रेफिक व्यवस्था:—
दिल्ली जहां बेहतर ट्रेफिक व्यवस्था के लिए देशभर में जानी जाती है, वहीं जनपद गाजियाबाद लचर ट्रेफिक व्यवस्था के लिए पहचान बनाता जा रहा है। शहर के प्रमुख चोराहों पर ट्रेफिक लाइटें अधिकांश खराब रहती हैं और ट्रेफिक हमेशा अनियंत्रित रहता है, जिससे हादसों की संभावना भी बनी रहती है। ट्रेफिक व्यवस्था में सुधार किये जाने को लेकर कई बार लोगोें द्वारा आवाज बुलंद की जाती रही है, इसके बावजूद जनपद गाजियाबाद में ट्रेफिक व्यवस्था पुराने ढर्रो पर ही चल रही है।
उद्योगों का हो रहा है पलायन:—
जनपद गाजियाबाद से निरंतर उद्योग पलायन कर रहे हैं और अधिकारिक तंत्र पलायन कर रहे उद्योगों की तरफ कोई प्रभावी कदम नहीं उठा रहा है। दो दशकों के भीतर जनपद गाजियाबाद से सैकड़ो बड़े उद्योग अन्यत्र जगहों की ओर कूच कर चुके हैं। जनपद गाजियाबाद के उद्यमी उद्योग बंधु बैठकों में औद्योगिक क्षेत्रों में व्याप्त समस्याओं की तरफ प्रशासनिक और संबंधित अधिकारियों का ध्यान अवगत कराते रहते हैं, इसके बावजूद औद्योगिक क्षेत्रों की समस्याओं का निराकरण नहीं किया जासता है, जिस कारण गाजियाबाद की पहचान कभी औद्योगिक नगरी के रूप में होती थी, वह अब निरंतर धूमिल होती जा रही है।
लोहे के गेटों में सिमटती कालोनियां:—
जनपद गाजियाबाद की कोई कालोनी ऐसी होगी, जहां कालोनी के रहने वाले लोगों ने सुरक्षा के मद्देनजर लोहे के गेट ना लगा रखे हो। आज स्थिति यह हो चुका है कि रेजिडेंटस ने पूरी कालोनी के मार्गो को लोहे के गेटों में सुकोड़कर रख दिया है। रेजिडेंटस का कहना है कि लोहे के गेट सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी रहैं। कई कालोनियां तो ऐसी भी हैं जहां पर आवागमन के लिए यूं तो दर्जनों मार्ग हैं, लेकिन लोहे के गेट लग जाने के बाद एक प्रवेश और एक निकास का मार्ग ही बचा है। स्मार्ट सिटी की राह में लोहे के गेट भी समस्या बने हुए हैं।
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क्या है स्मार्ट सिटी के मानक:—
-250 एकड़ से अधिक खाली जगह मिलने पर
-500 एकड़ विकसित क्षेत्र होने पर
-शहर के पुराने क्षेत्र के निर्माण (मकान-दुकान) आदि तोड़कर नए सिरे से विकास
-किसी चयनित जगह पर नए शहर का विकास।
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