गाजियाबाद में अवैध शराब का कारोबार खुलेआम चल रहा है कल्लूपुरा डालूपुरा, और पच्छादान रोजाना ही अवैध शराब का कारोबार होता है। (ghaziabad hindi news) पुलिस भी यहां रोज आती है और एक्साइज विभाग भी अपनी वसूली यहीं से कर लेता है। यहां कोई ड्राई-डे नहीं होता, लेकिन भगवान का डाई-डे यानी मरण दिवस जरूर हो जाता है। अभी कुछ दिन पहले ही एक मजदूर इन अवैध ठेकों से बिक रही शराब पीकर मर गया। उसकी लाश पक्का तालाब के पास मिली। पुलिस और पब्लिक दोनों को पता था कि इसकी मौत शराब पीने से हुई है। पुलिस ने उसे लावारिस बता दिया, और फिर पुलिस ने उस लावारिस के कफन के नाम पर उगाही कर ली। तीन शराब बेचने वालों को 13-13 सौ रुपये के हिसाब से कफन शुल्क वसूल लिया। कफन के नाम पर पुलिस ने उन शराब खोरों से पैसे ले लिये जिन्हें उन्हें पकड़ना है। आज तो एक आदमी मरा है, और पुलिस ने एक कफन के पैसे लिये हैं। वो दिन दूर नहीं जब यहां जहरीली शराब से दर्जनों लोगों की मौत होगी, और तब पुलिस और आबकारी विभाग जागेगा। कोतवाली का हिस्ट्रीशीटर भी शराब बेच रहा है और घुघंट औढे महिलाएं भी शराब बेच रहीं हैं। सुबह से लेकर शाम तक यहां अवैध ठेके चलते हैं। पुलिस आती है और वसूली करके चली जाती है। शराब पीकर हुई मौत के बाद इतना जरूर हुआ है कि पुलिस ने मामला दबाने के लिए अस्थायी रूप से ये अवैध ठेके बंद करा दिये हैं। पुलिस के दम पर ही यहां शराब बिक्री की जाती है और अगर कोई मर गया तो पुलिस के दम पर ही उसे कफन भी मिलता है। एक शराब माफिया ने तो बकायदा गली में सीसीटीवी कैमरें लगा रखें हैं कि जितने की हरियाणा में शराब नहीं आती उससे कम दाम पर यहां हरियाणा की बताकर बेची जा रही है। यहां चौकी का ठेकेदार रोजाना उगाही करते देखा जा सकता है, आबकारी विभाग के सिपाही भी सुबह दिन निकलते ही आते हैं। यहां पैसों के बदले मौत खरीद रहे, लोगों को पता भी नहीं है कि उनकी जान की कीमत महज 20 से 30 रुपये लगा दी गई है। मरने पर पुलिस कफन के पैसे भी उन्ही से लेती है जो मौत बेच रहे हैं। इसके अलावा जनपद गाजियाबाद के विभिन्न हिस्सों में भी अवैध शराब का कारोबार फल-फूल रहा है। पुलिस की मिलीभगत का ही नतीजा है कि सरकार द्वारा आवंटित शराब के ठेकों पर भी अवैध शराब धड़ल्ले से बेची जा रही है।
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