गाजियाबाद का मेयर व मुजफ्फरनगर विधानसभा सीट का उपचुनाव
गाजियाबाद। विधानसभा चुनाव 2017 की तैयारियां लगभग सभी राजनैतिक दलों ने शुरू कर दी हैं। (ghaziabad hindi news) सभी राजनैतिक दल अपने अपने तरीके से जनता से सीधा संवाद कायम करने की रणनीति बनाने में जुट गये हैं। सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी की ओर से उत्तर प्रदेश की सभी विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, वहीं भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने सूबे की नब्ज टटोलनी भी शुरू कर दी है और जिलेवार जाकर भाजपाईयों को चुनाव संबंधी गुरूमंत्र भी देने शुरू कर दिये हैं।
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती की ओर से भी सभी वरिष्ठ बसपा नेताओं को निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि वह उत्तर प्रदेश में चुनाव संबंधी तैयारियों को तेज गति देने का काम करें और बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत बनाने की दिशा में काम किया जाये। बहन कुंवारी मायावती के निर्देश मिलने के बाद बसपा के वरिष्ठ नेता नसीमुद्दीन सिद्दकी प्रदेश के प्रत्येक जिले में जाकर संगठन को चुस्त दुरूस्त करने का काम भी कर रहे हैं। इसके अलावा कांग्रेस की ओर से भी विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी गई है और पिछले दिनों लखनऊ में प्रदेश सरकार के खिलाफ कांग्रेसियों ने सड़क पर उतरकर इस ओर आगाज भी शुरू कर दिया है। वहीं रालोद खेमे में भी चुनाव संबंधी सुगबुगाहटें तेज हो गई हैं।
सभी राजनैतिक दलों की तैयारियों के बीच गाजियाबाद नगर निगम मेयर सीट व अभी हाल में मुजफ्फरनगर विधानसभा सीट रिक्त होने बाद वर्ष-2017 में होने वाले चुनाव की रिर्हसल मानी जा रही हैं। राजनैतिक जानकारों का कहना है कि मेयर सीट और विधानसभा सीट पर जो पार्टी जीत दर्ज कराने में कामयाब साबित होगी, उसका मैसेज समूचे उत्तर प्रदेश समेत पश्चिम के राजनैतिक हालातों को प्रभावित करेगा।
गाजियाबाद मेयर सीट की बात की जाए तो मेयर सीट लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में चली आ रही है। मेयर सीट पिछले दिनों रिक्त हो गई थी और महापौर तेलूराम काम्बोज का निधन हो गया था। श्री काम्बोज का निधन होने के बाद सभी राजनैतिक दलों ने इस ओर लगा दिया है। भारतीय जनता पार्टी मेयर सीट पर काबिज रही है ऐसे में भाजपा की ओर से इस सीट को बचाये रखना चुनौती रहेगा, यदि
भारतीय जनता पार्टी मेयर सीट को सुरक्षित रखती है तो उसका मैसेज पश्चिम की राजनीति में सकारात्मक जायेगा। कांग्रेस की ओर से भी मेयर सीट को लेकर अच्छी खासी कवायद की जा रही है। कांग्रेस यदि मेयर सीट जीतती है तो निश्चित रूप से कांग्रेस के लिए यह संजीवनी का काम करेगा, क्योंकि कांग्रेस लंबे समय से अपने वजूद की लड़ाई उत्तर प्रदेश में लड़ रही है। वहीं सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी की ओर से भी मेयर सीट जीतने के लिए अथक प्रयास किये जायेंगे और मेयर सीट पर सपा जीत दर्ज कराती है तो इसका संदेश समूचे उत्तर प्रदेश की राजनीति में जायेगा। बसपा की ओर से भी मेयर सीट को लेकर प्रयास किये जायेंगे, मेयर की सीट बसपा के झोली में जाती है तो बसपा की दलित और मुस्लिम समीकरण सभी राजनैतिक दलों के नेताओं के सामने आयेगा।
मेयर सीट के साथ मुजफ्फरनगर विधानसभा सीट से लंबे समय विधायक निर्वाचित होते आ रहे चितरंजन स्वरूप का अगस्त माह में निधन हो गया था और उनके निधन के बाद विधानसभा सीट रिक्त हो गई है। स्वर्गीय स्वरूप सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में बतौर मंत्री थे, ऐसे में सपा को उक्त सीट अपने खाते में रखने की चुनौती रहेगी और यदि सपा उक्त सीट को बचाने में नकामयाब साबित होती है तो इसके परिणाम समूचे उत्तर प्रदेश में जायेंगे। इन दोनों सीटों पर आगामी दिनों में होने वाले चुनाव सभी दलों के लिए एक चुनौती रहेंगे और जो राजनैतिक दल इन दोनों चुनाव में बाजी मारेगा, वहीं सिंकदर कहलायेगा। फिलहाल सभी राजनैतिक दलों की नजरें इन दोनों चुनाव की अधिसूचना जारी होने पर लगी हुई हैं, और अंदर खाने चुनाव संबंधी सभी तैयारियां की हुई हैं और की जा रही हैं।
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