अशोक शर्मा
गाजियाबाद। भारतीय जनता पार्टी में महानगर अध्यक्ष पद की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। (ghaziabad latest news ) महानगर अध्यक्ष पद पर नये अध्यक्ष की घोषणा सिंतबर अक्टूबर के आसपास कर दी जायेगी। महानगर अध्यक्ष पद पर जहां उल्टी गिनती शुरू हो गई है, वहीं स्थानीय स्तर पर आधा दर्जन से अधिक भाजपाईयों ने महानगर अध्यक्ष पद पर आसीन होने के लिए लामबंद होना भी शुरू कर दिया है। महानगर अध्यक्ष पद पर जो भाजपाई दावेदारी कर रहे हैं उनमे से अधिकांश भाजपाई ऐसे भी हैं जो वर्ष-2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट की दौड़ में भी बने हुए हैं। पार्टी स्तर पर भी संगठन स्तर पर होने वाले बदलावों को लेकर उठापठक शुरू कर दी गई है और संगठन का दायित्व संभालने को लेकर बैचेन भाजपाईयों की कुंडली भी खंगालनी शुरू कर दी गई है।
जनपद गाजियाबाद के महानगर अध्यक्ष पद पर यूं तो कई दावेदार हैं, लेकिन जिन भाजपाईयों का नाम महानगर अध्यक्ष पद को लेकर चल रहा है उनमें वर्तमान महानगर कमेटी में महामंत्री के पद पर आसीन मंयक गोयल, संजीव शर्मा व अजय शर्मा का नाम प्रमुखता से चल रहा है, वहीं महानगर अध्यक्ष पद की दौड़ में युवा मोर्चा के पूर्व महानगर अध्यक्ष प्रेम त्यागी, सफाई कर्मचारियों की राजनीति करने वाले प्रदीप चौहान, पार्षद सरदार सिंह भाटी, पूर्व महानगर अध्यक्ष एवं वरिष्ठ भाजपाई सरदार एसपी सिंह, पूर्व पार्षद एवं पूर्व महानगर अध्यक्ष विजय मोहन और पूर्व पार्षद पवन गोयल का नाम सुर्खियों में बना हुआ है।
आईये जानते हैं कि महानगर अध्यक्ष पद की दौड़ में कौन भाजपाई कितना मजबूत है और पद की दौड़ में शामिल नेताओं के साथ क्या खामियां हैं, जिसके चलते वह महानगर अध्यक्ष पद की दौड़ में पिछड़ भी सकते हैं।
सबसे पहले बात करते हैं महानगर की वर्तमान कमेटी में महामंत्री का पद संभाल रहे मंयक गोयल की। मंयक गोयल अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि के आधार पर मजबूत हैं। परिवार का संघ में अच्छा खासा दखल है और वह स्वंय भी पार्टी की प्रत्येक गतिविधियों में सक्रियता को बनाये हुए हैं। हालांकि मंयक गोयल विधानसभा चुनाव का भी टिकट मांग रहे हैं ऐसे में महानगर अध्यक्ष की दौड़ में वैश्य लॉबी दीवार बनकर खड़ी हुई है।
महानगर महामंत्री संजीव शर्मा भी महानगर अध्यक्ष की दौड़ में शामिल हैं। संजीव शर्मा के संबंध वर्तमान महानगर अध्यक्ष अशोक मोंगा से पहले ठीक थे, वर्तमान में उनके संबंध श्री मोंगा से इन दिनों खटास आ गई है। इसके अलावा संजीव शर्मा की पार्टी के शीर्ष नेताओं में भी अच्छी खासी पकड़ है, जिसका लाभ उन्हें मिल सकता है।
महामंत्री अजय शर्मा की बात की जाए तो उनकी संघ में अच्छी खासी पकड है, और वह निरंतर पार्टी की गतिविधियों में भी अपनी सक्रियता को बनाये हुए हैं। हालांकि अजय शर्मा जो सक्रियता पार्टी में दिखा रहे हैं उसका मैसेज देने में वह सफल नहीं रहते हैं, फिर भी संघ से उनकी नजदिकियां उन्हें महानगर अध्यक्ष पद दिलवा सकती हैं।
पूर्व भाजपा युवा मोर्चा अध्यक्ष प्रेम त्यागी भी महानगर अध्यक्ष पद की दौड़ में हैं। प्रेम त्यागी को संगठन चलाने का भली भॉति ज्ञान हैं और वह जानते हैं कि उन्हें किस समय पर क्या करना है। इसके अलावा उनकी पकड़ भी पार्टी के शीर्ष नेताओं में ठीक ठाक है, जिसका लाभ उन्हें आने वाले दिनों में मिल सकता है। पार्टी में अब स्थानीय स्तर पर प्रेम त्यागी किसी लॉबी में नहीं है, जिसके चलते स्थानीय स्तर पर उन्हें आने वाले समय में लाभ मिल सकता है।
पार्षद सरदार सिंह भाटी भी महानगर अध्यक्ष पद की दौड में हैं। अपने क्षेत्र में उनकी पकड़ है और शीर्ष नेताओं में भी सरदार सिंह भाटी की अपनी एक अलग पहचान है। पूर्व सांसद रमेश चंद तोमर, सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पूर्व विधायक नरेंद्र शिशोदिया की गुडबुक में सरदार सिंह भाटी हैं, जिनके चलते उन्हें इसका लाभ मिल सकता है।
पूर्व महानगर अध्यक्ष सरदार एसपी सिंह भी महानगर अध्यक्ष पद की दौड में हैं। पूर्व में जब वह महानगर अध्यक्ष रहे थे तो उन्होंने संगठन को नई धार देने का काम किया था। संभावना जताई जा रही है कि आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी किसी अल्पसंख्यक नेता पर दांव नहीं खेलेगी, लिहाजा अल्पसंख्यक समाज को जोड़े रखने के लिए पार्टी महानगर अध्यक्ष पद पर सरदार एसपी सिंह की ताजपोशी कर सकती है।
क्षेत्रीय अध्यक्ष केके शुक्ला भी महानगर अध्यक्ष की दौड़ में बने हुए हैं। पार्टी के टिकट पर केके शुक्ला चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन चुनाव हारने के बाद उन्होंने अपना पूरा ध्यान पश्चिम की ओर लगा दिया है, लेकिन पूर्व की ओर पश्चिम की राजनीति में बड़ा अंतर है, जिसे उन्हें समझना चाहिए। फिलहाल उनके संबंध पार्टी शीर्ष नेताओं में ठीक हैं जिसका लाभ उन्हें मिल सकता है।
पूर्व महानगर अध्यक्ष एवं पूर्व पार्षद विजय मोहन पार्टी के कद्दावर नेताओं में गिने जाते हैं और उन्हें संगठन चलाने का भली भॉति ज्ञान भी है। उनकी शीर्ष नेताओं में अच्छी पकड़ उन्हें आने वाले दिनों में महानगर अध्यक्ष पद के लिए लाभ पहुंचा सकती है।
पूर्व पार्षद पवन गोयल भी अपने शीर्ष नेताओं के दम पर महानगर अध्यक्ष पद की दौड़ में बने हुए हैं। कलराज मिश्र जैसे प्रदेश स्तरीय कद्दावर नेताओं में उनकी अच्छी खासी पकड है जिसका लाभ उन्हें मिल सकता है।
भाजपा इन दिनों अनुसूचित, अल्पसंख्यक, पिछड़ो को साधने का काम कर रही है, जिसकी झलक आने वाले दिनों में संगठन को तैयार करने के दौरान भी देखी जा सकती है। जिस कारण से स्थानीय स्तर पर पूर्व पार्षद प्रदीप चौहान की दावेदारी भी मजबूत बनी हुई है। पार्टी अगर इस ओर कदम उठाती है तो प्रदीप चौहान का महानगर अध्यक्ष बनना तय होगा।
You must be logged in to post a comment Login