थाने के बाहर सीज खड़े वाहन पर होर्डिंग ताना
गाजियाबाद। हर होर्डिंग कुछ कहता है और हर होर्डिंग में कोई ना कोई नेता किसी ना किसी के सम्मान में होर्डिंग पर टंगकर मैदान में होता है। राजनीति में होर्डिंग का फोटो भी एक पॉलिटिकल मोटो होता है। ये फोटो ही बताते है कि किसकी आस्था का केन्द्र किससे जुड़ा है। अब भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री भले ही कहें कि होर्डिंग लगाने से कुछ नही होगा। लेकिन सियासत वालों का दिल जानता है कि होर्डिंग से ही होता आया है और होर्डिंग से ही होगा। होर्डिंग का संदेश होर्ड नहीं हो सकता। होर्डिंग का संदेश छुप नहीं सकता है। वैसे भी होर्डिंग का संदेश छुपान के लिए नहीं बल्कि बताने और दिखाने के लिए लगाया जाता है। नगर निगम ने होर्डिंग लगाने के लिए दरें निर्धारित की हैं। राजनीति वाले चाहते हैं कि दर का क्या मतलब है और वह जिस दर पर चाहें उस दर पर होर्डिंग लगा दें।
अब भाजपा वालों ने उस दर पर होर्डिंग लगाया है जहां किसी का ध्यान ही नहीं गया। हालांकि होर्डिंग भाजपा का है मगर भाजपा वालों ने नहीं कहा होगा कि यहां होर्डिंग लगाओ। मगर होर्डिंग लगाने वाली लेबर को इससे कोई मतलब नही है। उसे जहां भी जगह मिली उसने होर्डिंग लगा दिया। अब ये होर्डिंग ऐसी जगह है कि सुर्खियां बटोर रहा है। कविनगर थाने के सामने सीज किए गये खड़े वाहनों पर भाजपा का होर्डिंग लगा है। होर्डिंग लगाने वालों को इस बात का बखूबी एहसास रहा होगा कि वाहन थाने के बाहर जरूर खड़ा है लेकिन फिलहाल ये इधर से उधर नहीं होने वाला है इसलिए होर्डिंग वालों ने थाने के बाहर खड़े सीज वाहन पर भाजपा का होर्डिंग लगाने हुए इस जगह का भरपूर इस्तेमाल किया है। निगम वाले अभियान चलायेंगे तो सड़क पर लगे होर्डिंग को हटायेंगे। मगर ये होर्डिंग तो थाने वालों द्वारा सीज किए गये वाहन पर लगा है और इसे निगम कैसे हटायेगा। बहरहाल ये होर्डिंग भाजपा में ही सुर्खियां बना है।