कभी गाजियाबाद के व्यापारी मानते थे इन्हें अपना रोबिनहुड
वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद। पुलिस प्रशासनिक सेवाओं में काम करने वाले अधिकारियों का राजनीति में आना कोई नई बात नहीं है। गाजियाबाद की राजनीति पर गौर करें तो यहां के सांसद जनरल वीके सिंह जहां सेना के अध्यक्ष रह चुके हैं। वहीं पड़ौसी जनपद के सांसद सतपाल सिंह ने मुम्बई में तो पुलिस कमिश्नर वाली पारी खेली है। हाल ही में मेयर चुनाव की चर्चा के दौरान एक रिटायर्ड डीएम के भी चुनाव मैदान में उतरने की आवाजें सुनाई दी थीं। वहीं विधानसभा चुनाव के दौरान ये भी चर्चा चली थी कि एक आईपीएस अधिकारी साहिबाबाद से चुनाव लड़ सकते हैं। राजनीति अधिकारियों को अक्सर उनकी रिटायरमेंट के बाद आकर्षित करती है। फिजायें कुछ ऐसी बह रही हैं कि गाजियाबाद में पुलिसिंग की कमान संभाल चुके कई अधिकारी अब राजनीति की पारी खेलने की तैयारी कर रहे हैं। यहां पर हम बात एक ऐसे रिटायर्ड सीओ की कर रहे हैं। जो एक समय गाजियाबाद में अपनी पुलिसिंग के लिए काफी मशहूर रहे। खास तौर पर रंगदारी वाले मामलों में इन्हें व्यापारी अपना रोबिन हुड मानते थे। कहा ये भी जाता है कि रंगदारी की धमकी से परेशान व्यापारी जब भी इनके पास गये तब उनकी समस्या का समाधान हुआ। बताया जाता है कि ये रिटायर्ड सीओ एक समय गाजियाबाद में थाना इंचार्ज हुआ करते थे। खास बात ये थी कि जितने दिन ये गाजियाबाद में रहे तब इनके पास हमेशा थाने का चार्ज रहा। दो ऐसे विशेष थाने थे जिनपर इनके तबादले होते थे। बताया जाता है कि प्रमोशन होने के बाद ये सीओ बने और कुछ दिन पहले अपनी सफल पारी के बाद रिटायर हो गये। राजनीति ने अब इन्हें भी अपनी ओर आकर्षित कर लिया है। बताया जा रहा है कि रिटायर्ड सीओ इन दिनों अपनी गाड़ी पर भाजपा का झंडा लगाकर घूम रहे हैं। जब भी उनकी गाड़ी शहर में निकलती है तो उस पर लगा झंडा सबका ध्यान अपनी ओर खींच लेता है। हालाकि इन्होंने अभी भाजपा को ज्वाईन नहीं किया है। लेकिन इनकी गाड़ी पर लगा हुआ भगवा झंडा इस बात की तस्दीक कर रहा है कि भविष्य में ये राजनीति में भी अपने हुनर दिखा सकते हैं। सामाजिक रूप से भी ये काफी एक्टिव रहते हैं। मौहल्ले के लोगों के साथ उनकी समस्याओं का समाधान कराने में अक्सर इनकी जागरूकता देखी गयी है। गाड़ी पर भाजपा का झंडा तो लगा लिया है। इंतजार अब इस बात का हो रहा है कि कब ये अपने गले में भगवा पटका डालकर राजनीति का आगाज करेंगे। गाजियाबाद से वैसे भी रिटायर्ड सीओ का पुराना नाता रहा है। जो भी गाजियाबाद की राजनीति को जी रहा है, वह चेहरा रिटायर्ड सीओ से बखूबी परिचित होगा।