गाजियाबाद में निकाल लिया गया है सारा रिकॉर्ड और इफेक्ट में आयेंगे कई वार्ड
वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद। ओबीसी आरक्षण को लेकर एक बार फिर से निगम और निकाय की सारी पॉलिटिक्स गरमा गयी है। सर्दी के मौसम में होने वाला चुनाव गर्मी में होगा और जब ये मौसम बदलेगा तो सरकार की रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल होगी। सियासी जानकार मान रहे हैं कि ये रिपोर्ट बहुत सारे वार्डों की राजनीति को ईधर से उधर पोर्ट कर देगी। यानी वार्ड की जनता वार्ड के मतदाता वहीं रहेंगे लेकिन वार्ड कहीं जनरल से ओबीसी पोर्ट हो जायेगा तो कहीं ओबीसी से जनरल में आ जायेगा।
गौरतलब है कि सरकार ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी और उस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को 31 मार्च का समय दिया। सरकार ने अपनी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय मिलने के बाद ओबीसी आयोग का गठन किया है। इस आयोग में उसने रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों से लेकर कानून के जानकारों को शामिल किया है। यह आयोग पूरे उत्तर प्रदेश में ओबीसी की मौजूदा हालत को लेकर काम कर रहा है और अपनी रिपोर्ट सरकार को देगा। इस आयोग की दस्तक गाजियाबाद में भी हो गयी है। शनिवार को आयोग के चौब सिंह वर्मा गाजियाबाद आये। यहां उन्होंने कलेक्ट्रेट में बैठक की। इस दौरान एडीएम प्रशासन रितु सुहास भी इस बैठक में शामिल हुर्इं, देर तक मंथन चला और कई बिंदुओं पर उन्होंने जानकारी मांगी।
सामान्य सीटों पर जीते ओबीसी उम्मीदवारों की ली गयी है रिपोर्ट
ओबीसी आरक्षण को लेकर काम शुरू हो गया है। सूत्र बताते हैं कि आरक्षण की स्थिति को लेकर ओबीसी उम्मीदवारों से जुड़े आंकड़े इक्टठे किये जा रहे हैं। जनरल सीटों पर चुनाव जीते ओबीसी उम्मीदवारों की पूरी रिपोर्ट निकाली गयी है। जानकार यहां इस बात का कनेक्शन आने वाले रिजर्वेशन से जोड़ रहे हैं। ओबीसी उम्मीदवारों की जीत के आंकड़े आखिर क्यों लिये गये हैं। कयास लगाया जा रहा है कि पेटर्न स्टडी हुआ है और अभी बहुत सी चीजें सामने आयेंगी जो यहां समीकरण को प्रभावित करेंगी। इस बात का भी अध्ययन हो रहा है कि जनरल सीटों पर ओबीसी उम्मीदवारों की जीत के डाटा का क्या मतलब है। क्या इसके मायने ये निकाले जा रहे हैं कि ये जनरल सीटें ओबीसी हो सकती हैं। जिन वार्डों में ओबीसी मजबूत हैं उन वार्डों में जनरल सीट हो सकती है, सवाल तरह तरह के हैं।
रेपिड सर्वे के बाद गाजियाबाद में ओबीसी राजनीति की बदलेगी तस्वीर
सरकार सर्वे करा रही है और यहां एक बार फिर रेपिड सर्वे की रिपोर्ट को लेकर कयास लगाये जा रहे हैं। सरकार ने इससे पहले रेपिड सर्वे कराया था और गाजियाबाद में ये सर्वे मोदीनगर लोनी और मुरादनगर में हुआ था। यहां नगरपालिका परिषद है और ये सर्वे इसलिए हुआ था क्योंकि परिसीमन के बाद यहां सीटें बढ़ गयी थीं। लेकिन गाजियाबाद का परिसीमन नहीं हुआ था तो यहां रैपिड सर्वे भी नहीं हुआ था। लेकिन अब जब सर्वे होगा तो उसकी रिपोर्ट आयोग के पास जायेगी। सूत्र बता रहे हैं कि रैपिड सर्वे की रिपोर्ट के बाद आरक्षण के बाद आमूल चूल परिवर्तन होगा। गाजियाबाद की ओबीसी उम्मीदवारी का सीन बदल जायेगा।