नई दिल्ली विश्व क्रिकेट की सर्वोच्च संचालन संस्था आईसीसी के सामने एक बार फिर अस्तित्व को लेकर कैरी पैकर के नए अवतार ललित मोदी गंभीर चुनौती पेश करने जा रहे हैं।(International cricket news ) एबीसी यानी आस्ट्रेलिया ब्राडकास्टिंग कारपोरेशन को दी भेंट वार्ता में फिलहाल भारतीय राजनीति में तूफान मचा कर रख देने वाले आईपीएल गवनिर्ंग काउंसिल के संस्थापक चेयरमैन ललित मोदी ने अपनी भविष्य की योजना का खाका खींचते हुए आईसीसी के समानांतर क्रिकेट संगठन खड़ा करने की अपनी अत्यंत सनसनीखेज योजना का खुलासा कर दिया है।
मोदी ने यह भी दावा किया कि इस प्रोजेक्ट का पूरा खाका यानी ब्लूप्रिंट तैयार किया जा चुका है जो हमारी बरसों की मेहनत का परिणाम है। उन्होंने इस संस्था में टेस्ट और टी-20 को ही शामिल किया है। यह खबर वाकई विश्व क्रिकेट में जबरदस्त खलबली मचाने वाली है। आईसीसी के सम्मुख चार दशक बाद ऐसी चुनौती सामने आएगी।
यहां बताना जरूरी है कि सत्तर के दशक में प्रसारण मुद्दे पर आईसीसी के साथ विवाद होने पर आस्ट्रेलियाई टीवी चैनल नाइन के अधिष्ठाता कैरी पैकर ने समानांतर विश्व क्रिकेट सीरीज के आयोजन के माध्यम से इस खेल में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया था। आज जो हम क्रिकेट में तड़क भड़क देखते हैं, पैसे के लिहाज से आकर्षक अनुबंध, रंगीन कपड़े, दूधिया प्रकाश, सफेद गेंद से दिवा-रात्रि मुकाबले आदि पैकर की ही देन हैं।
इसे पैकर सर्कस का नाम दे दिया गया था और जिसमें भारत छोड़ टेस्ट खेलने वाले सभी देशों के चोटी के खिलाड़ी राष्ट्रीय टीमों को नमस्कार कर अपने-अपने देश की समानांतर टीमें बना कर उतर गए थे। पैकर सर्कस को मिली आशातीत सफलता ने आईसीसी की पेशानी पर किस कदर बल डाल दिए थे कि मत पूछिए।
आईसीसी को सहारा भारतीय क्रिकेट बोर्ड से ही था जिसका कोई भी खिलाड़ी पैकर से नहीं जुड़ा और चैनल नाइन ने राह का रोड़ा बने भारतीय खिलाड़ियों को अपने शिविर में लाने के लिए जबरदस्त पासा फेंका। 1978 में जनता पार्टी की सरकार बनी तो भारतीय टीम 17 बरस के अंतराल बाद क्रिकेट सीरीज खेलने जब पाकिस्तान गई तब पैकर नें दांव खेलते हुए अपने एक प्रतिनिधि लिंटन टेलर को पाकिस्तान भेजा और वहां जब भारतीयों के सामने थैली खोल कर रखी गई तब कप्तान बिशन सिंह बेदी और उनके नायब सुनील गावस्कर सहित टीम के दस खिलाड़ियों नें करार पर दस्तखत कर दिए।
यह खबर मिलते ही आईसीसी की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई और उसने पैकर के सामने घुटने टेक दिए। अभी तक लड़ाई भारत के सहारे लड़ी जा रही थी अन्य देशों के बोर्ड अपने खिलाड़ियों के आगे झुक चुके थे। उनका निलंबन रद् कर टीम में वापसी करा चुके थे। खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि कैरियर की इस पहली मगर ऐतिहासिक विदेशी क्रिकेट सीरीज के दौरान मैं इस घटनाक्रम का गवाह बना। मुझे याद है कि शारजाह में क्रिकेट आयोजित करने वाले बुखातिर महाशय तब पाकिस्तान में पढ़ाई के साथ साथ सूट-बूट में सजे धजे टेलर के भी आगे पीछे नजर आया करते थे और काफी कुछ गुर उन्होंने पैकर के इस प्रतिनिधि से ही सीखे थे।
भारतीय टीम के स्वदेश लौटने के साथ ही आईसीसी की सारी अकड़ ढीली हो गयी और उसने आंख मूंद कर पैकर के खेल में किए समस्त बदलावों को पूरी शिद्दत के साथ मान ही नहीं लिया बल्कि प्रसारण अधिकार भी इस मीडिया मुगल की शर्तों के साथ उसे फिर से सौंप भी दिया।
मोदी की जहां तक बात है तो आप उसे सराहें या दुत्कारें पर नकार नहीं सकते। यह भी कोई भूल नहीं सकता कि दुनिया के सबसे बड़े खेल ब्रांड के रूप में स्थापित हो चुके आईपीएल की अवधारणा इसी मोदी के मस्तिष्क की ही उपज थी। वह जब इस नयी सोच के साथ एक बार फिर खम ठोक कर उतरा है तो खलबली मचनी स्वाभाविक है। बताया जाता है कि डेविड वार्नर और क्लार्क जैसे खिलाड़ियों के आगे सवा तीन सौ करोड़ रूपये की पेशकश की जा चुकी है। स्वयं मोदी भी हजारों करोड़ का फंड आसानी से जुटा लेने की बात कर रहे हैं। देखते हैं कि विश्व क्रिकेट में मोदी का यह धमाका रंग जमाता है या टांय-टांय फिस्स होकर रह जाता है। आपके साथ मुझे भी इसका इंतजार रहेगा।
लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार हैं। उनसे पदमपति डॉट शर्मा एटडरेट जीमेल डॉट कॉम पर सम्पर्क किया जा सकता है।
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