पटना| बिहार में किसानों के लिए आफत की घड़ी आई हुई है। पूरा बिहार मानसून में भी सूखा झेलने को मजबूर है, लेकिन यहां की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों, जैसे जनता दल (युनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समेत राजग के लिए भी सूखा कोई मुद्दा नहीं है। सभी पार्टियां अपनी-अपनी चुनावी लहर बनाने में व्यस्त हैं। (bihar latest news)
इन सियासी पार्टियों के लिए बड़ा मुद्दा स्वाभिमान और परिवर्तन के नारे लगाना है, जबकि राज्य में अब तक मानसून ने धोखा ही दिया है। राज्य में 31 प्रतिशत बारिश की कमी दर्ज की गई है। इस वजह से राज्य में सूखे जैसे हालात बन आए हैं लेकिन इस सुखाड़ का यहां राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ रहा है।
सितंबर-अक्टूबर महीने में बिहार में विधानसभा चुनाव होना है, फिर भी राजनेताओं को किसानों की बदहाली से कोई लेनादेना नहीं है।
राजग के स्टार चुनाव प्रचारक नरेंद्र मोदी अब तक बिहार में दो रैलियां कर चुके हैं। 25 जुलाई को मुजफ्फरपुर में और 9 अगस्त को गया में, लेकिन उन्होंने अपने भाषणों में एक बार भी सूखे के हालात का जिक्र नहीं किया है। उनका मुख्य ध्यान सत्ता परिवर्तन पर टिका है। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजनीतिक डीएनए पर सवाल खड़ा किया है।
परिवर्तन रथ को हरी झंडी दिखाने वाले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी किसानों की समस्या पर अब तक कोई बयान नहीं दिया है। भाजपा के सहयोगी दल लोक जन शक्ति पार्टी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी या फिर हिन्दुस्तान अवामी मोर्चा भी अब तक इस मुद्दे पर खामोश है।
मुख्यमंत्री नीतीश और लालू मिलकर मोदी के डीएनए वाले बयान के पीछे पड़ गए हैं। नीतीश ने इसके लिए शब्द वापसी अभियान चलाया है। वहीं लालू की दिलचस्पी जाति आधारित आंकड़ों में ज्यादा है।
हमेशा की तरह सरकार ने किसानों के लिए डीजल सब्सिडी की घोषणा की है। साथ ही बिजली विभाग को आदेश जारी किया गया है कि ग्रामीण इलाकों में बिना किसी बाधा के छह से सात घंटे तक बिजली आपूर्ति की जाए।
मौसम विभाग के अधिकारी ए.के. सेन ने आईएएनएस से कहा कि राज्य में बारिश की स्थिति काफी गंभीर है। उन्होंने कहा कि 38 जिलों में से 26 जिलों में 50 प्रतिशत से भी कम बारिश हुई है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 10.5 करोड़ की आबादी खेती के सहारे जीवन यापन करती है।
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