पटना| बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा में ‘बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार विधेयक-2015’ पेश किया, जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। (bihar state hindi news) सदन में विधेयक पेश करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि लोक शिकायतों को गंभीरता से न लेने वाले अधिकारी बर्खास्त होंगे। उन्होंने कहा कि विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि यदि सम्बद्घ पदाधिकारी जानबूझकर अपने दायित्वों का निर्वाह नहीं करता है तो इसे कदाचार माना जाएगा और इसकी परिणति सेवा से बर्खास्तगी भी हो सकती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य लोगों को ताकत प्रदान करना है। जनता दरबार का उनका मकसद भी लोगों की समस्या जानना और उसका समाधान करना था। इसी क्रम में इस विधेयक की जरूरत महसूस की गई। लोक शिकायत निवारण विधेयक के तहत समय सीमा के अंदर शिकायतों का निपटारा करना अनिवार्य होगा। प्रथम अपील में शिकायतों का निपटारा न होने की स्थिति में वह द्वितीय अपील में जा सकता है।
नीतीश कुमार ने कहा कि शिकायतों के निपटारे के लिए गठित प्राधिकार को काफी सक्षम बनाया गया है। उन्होंने कहा कि जल्द ही इसकी नियमावली बना ली जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 1974 के आंदोलन से हमलोगों ने सीखा है कि लोकतंत्र में राजसत्ता पर लोकसत्ता की अहमियत होनी चाहिए। जब काम करने का मौका मिला तो 2006 में जनता दरबार शुरू किया और उसमें हाजिरी देने लगे। इसके बाद जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से लेकर अनुमंडल, अंचल और थाना स्तर पर क्षेत्रीय कार्यालयों में दिन तय कर शिकायतें सुनी जाने लगीं। समय-समय पर अनुभव के आधार पर जनता दरबार में कई परिवर्तन भी किए।
बिहार के संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि विधानसभा में ‘बिहार लोक शिकायत निवारण विधेयक 2015’ पारित हो चुका है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही मंगलवार को सरकार के तीन अन्य विधेयकों-बिहार मूल्यवर्धित कर (संशोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक 2015, बिहार कराधान विवाद समाधान विधेयक और बिहार भूमि विवाद निराकरण (संशोधन) विधेयक 2015 पर भी विधानसभा ने अपनी मुहर लगा दी।
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