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बिहार

बिहार : ट्रेन की चपेट में आकर 5 की मौत

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पटना| बिहार की राजधानी पटना के राजेंद्रनगर टर्मिनल (रेलवे स्टेशन) के प्लेटफार्म नंबर चार पर बुधवार देर रात रेलगाड़ी की चपेट में आने से पांच लोगों की मौत हो गई।(bihar hindi news) मृतकों में तीन महिलाएं भी शामिल हैं, जो एक ही परिवार की बताई जा रही हैं। राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये सहायता राशि देने की घोषणा की है। पुलिस के अनुसार, प्लेटफार्म नंबर चार के पश्चिमी छोर पर कुछ लोग बुधवार रात पटरी पार करने के क्रम में पटना-इस्लामपुर पैसेंजर ट्रेन के चपेट में आ गए। सभी पांच लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। हादसे के बाद स्टेशन पर अफरा-तफरी मच गई।

पटना (रेल) पुलिस अधीक्षक पी़ एऩ मिश्रा ने गुरुवार को बताया कि मृतकों में एक ही परिवार की तीन महिलाएं शामिल हैं। इन महिलाओं की पहचान दरियापुर निवासी नीलम (17), अंजू देवी (25) और मनवा देवी (45) के रूप में की गई है, जबकि पुरुषों में एक की पहचान उतराखंड के रूद्रपुर के रहने वाले पप्पू कुमार मंडल के रूप में की गई है। एक मृतक की पहचान अब तक नहीं हो पाई है।

मिश्रा ने बताया कि शवों को पोस्टमार्टम के लिए पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि मृतकों में कोई भी रेल से यात्रा नहीं कर रहा था, वे सिर्फ रेल पटरी पार कर रहे थे।

राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है।

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माली में फंसे झारखंड के 33 मजदूरों की वतन वापसी का रास्ता साफ

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रांची। दक्षिण अफ्रीकी देश माली स्थित भारतीय दूतावास के हस्तक्षेप के बाद वहां फंसे झारखंड के 33 मजदूरों की घर वापसी का रास्ता साफ हो गया है। भारतीय राजदूत अंजनी कुमार ने आईएएनएस को बताया कि सभी मजदूरों की घर वापसी के लिए जल्द ही फ्लाइट टिकट व्यवस्था की जाएगी।

इन मजदूरों को आंध्र प्रदेश की एक ब्रोकर कंपनी के जरिए इलेक्ट्रिक ट्रांसमिशन से जुड़े काम के लिए माली ले जाया गया था। वहां 4 महीने तक काम करने के बाद भी इन्हें वादे के अनुसार वेतन का भुगतान नहीं किया गया। इन मजदूरों के साथ केएसपी नामक एक बिचौलिया भी माली गया था, लेकिन पिछले हफ्ते वह इन्हें छोड़कर भारत लौट आया। इसके बाद वहां रह रहे मजदूरों ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर भारत सरकार और झारखंड सरकार से अपने घर वापसी की गुहार लगाई थी। झारखंड सरकार ने इस पर संज्ञान लेते हुए विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास से हस्तक्षेप की अपील की थी। माली स्थित भारतीय राजदूत अंजनी कुमार ने यह मामला संज्ञान में आते ही इन मजदूरों से काम ले रही कंपनी के अधिकारियों से बातचीत की।
बीते 18 जनवरी को कंपनी के अधिकारियों और मजदूरों के बीच भारतीय दूतावास की अध्यक्षता में माली की राजधानी बमाको में हुई बैठक में सभी के बकाया वेतन के भुगतान पर सहमति बनी। ये मजदूर जब तक वापस नहीं आते हैं, तब तक इनके आवास और भोजन आदि की व्यवस्था कंपनी ही देखेगी। इनकी वापसी की टिकट की व्यवस्था भी कंपनी की ओर से की जाएगी। भारतीय राजदूत अंजनी कुमार ने कहा कि मजदूरों और उनके परिजनों के परिजनों को अब किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है। दूतावास इन सभी की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित कराएगा।

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देश

बिहार : स्कूल में चल रही थी ‘शराब पार्टी’, पहुंच गई पुलिस, हेडमास्टर सहित 3 शिक्षक गिरफ्तार

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नवादा। बिहार में जहां शराबबंदी कानून के कार्यान्वयन को लेकर विपक्ष सरकार पर लगातार निशाना साध रही है, वही सराकारी कर्मचारी भी इस कानून की धज्जियां उड़ाने में पीछे नहीं है। ऐसा ही एक मामला नवादा जिले के वारिसलीगंज थाना क्षेत्र के एक स्कूल से सामने आया जहां, शिक्षक शराब की पार्टी कर रहे थे और पुलिस पहुंच गई। पुलिस ने प्रधानाध्यापक (हेडमास्टर) समेत 3 शिक्षकों को गिरफ्तार किया है।

पुलिस के एक अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि बुधवार की शाम पुलिस को सूचना मिली कि वारिसलीगंज नगर परिषद क्षेत्र के सामबे गांव स्थित मध्य विद्यालय में कुछ लोग शराब की पार्टी कर रहे हैं।
इसी सूचना के आधार पर पुलिस स्कूल पहुंच गई और मौके से प्रधानाध्यापक सुनील कुमार सहित तीन शिक्षकों को शराब पीते गिरफ्तार किया गया।वारिसलीगंज के थाना प्रभारी पवन कुमार ने बताया कि गिरफ्तार लोगो में सुनील कुमार के अलावा रजनीकांत शर्मा और प्रमोद कुमार सिंह हैं। उन्होंने बताया कि ये दोनो दूसरे स्कूल के शिक्षक हैं।
थाना प्रभारी ने बताया कि घटनास्थल से शराब की एक खाली बोतल भी बरामद की गई है। तीनों शिक्षकों की चिकित्सकीय जांच के बाद शराब पीने की पुष्टि भी हुई है। पुलिस अब पूरे मामले की जांच कर रही है। उल्लेखनीय है कि राज्य में किसी भी प्रकार की शराब बिक्री और सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध है।

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देश

तेजस्वी यादव के तेलंगाना सीएम चंद्रशेखर से मुलाकात ने बढ़ाई कांग्रेस की परेशानी!

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पटना। बिहार में मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख नेताओं में शामिल तेजस्वी यादव के हैदराबाद जाने और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर से मुलाकात के बाद इसके सियासी मायने निकाले जाने लगे हैं। इस मुलाकात के बाद कांग्रेस में हालांकि छटपटाहट है, लेकिन कोई नेता फिलहाल इस मुलाकात को ज्यादा तरजीह देने के मूड में नहीं है।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर ने राजद के प्रमुख लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी से मुलाकात के पहले वामपंथी दलों के प्रमुख नेताओं से भी मुलाकात कर चुके हैं। अब बिहार में सबसे बड़े दल राजद के बड़े नेता से चंद्रशेखर से मुलाकात को लेकर तीसरे मोर्चे (गठबंधन) की शुरूआत मानी जा रही है।
कहा जा रहा है कि जिस प्रकार पिछले साल हुए बिहार विधानसभा उपचुनाव में दो सीटों पर हुए चुनाव में राजद ने महागठबंधन की सहयोगी पार्टी कांग्रेस को झटका देते हुए दोनो सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए थे, उससे यह तय हो गया था दोनो पार्टियों के रिश्ते में खटास आ गई है। बाद में हालांकि कांग्रेस ने भी अपने प्रत्याशी उतार दिए थे।
माना जा रहा है कि इस मुलाकात का साइड इफेक्ट अभी से बिहार में दिखने भी लगा है। बिहार में स्थानीय निकाय कोटे से विधान परिषद की 24 सीटों पर होने वाले चुनाव को लेकर राजद अपनी ही सहयोगी पार्टी कांग्रेस को कोई तरजीह देने के मूड में नहीं है।
भाजपा के उपाध्यक्ष राजीव रंजन तो कहते है कि विधानसभा उपचुनाव में महज एक सीट के लिए कांग्रेस को पूरे बिहार के सामने अपमानित करने के बाद अब विधान परिषद सीटों को लेकर राजद ने एक बार फिर कांग्रेस को उसकी औकात दिखा रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को बिहार में राजद के तले ही कांग्रेस को राजनीति करनी होगी।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा भले ही इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व से बातचीत की बात कह रहे हों, लेकिन राजद द्वारा प्रत्याशी तय करने की भी सूचना है।
इधर, उत्तर प्रदेश चुनाव में भी कांग्रेस से क्षेत्रीय पार्टी समाजवादी पार्टी ने दूरी बना ली है, जबकि अन्य भाजपा विरोधी पार्टियों को तरजीह देते दिख रही है।
वैसे, तेजस्वी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री की मुलाकात को शुरूआत बताया जा रहा है, लेकिन इसके मायने बड़े निकाले जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि भाजपा और कांग्रेस से समान दूरी बनाए दलों को एकजुट करने का प्रयास है।
इस बीच, राजद और कांग्रेस के नेता इस मुलाकात को लेकर ज्यादा खुलकर नहीं बोल रहे। दोनो दलों के नेता इसे राजनीतिक लोगो की मुलाकात और शिष्टाचार मुलाकात बता रहे हैं।
बहरहाल, बिहार सहित कई राज्यों में सहयोगी दलों के जरिए अपनी पहचान कायम रखने में कामयाब रही कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी ताकत भाजपा विरोधी दल ही माने जाते थे। ऐसे में अगर कांग्रेस का ऐसे दलों का साथ छूटा तो बड़ी परेशानी से इंकार नहीं किया जा सकता है।

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