पटना। बिहार विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषणा से पूर्व सत्ताधारी गठबंधन से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) के अलग होने के बाद राज्य में सीट बंटवारे से असंतुष्ट समाजवादियों के तीसरे मोर्चे की संभावना दिखाई दे रही थी, लेकिन सपा के ‘एकला चलो रे’ वाले राग से यह संभावना क्षीण हुई है। (bihar state hindi news) अब छह वामपंथी दलों का मोर्चा सामने है।
जनता दल (युनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस, सपा और राकांपा के महागठबंधन में सीटों के बंटवारे और ‘उचित व्यवहार’ न किए जाने से खफा सपा और राकांपा इससे अलग हो गईं। इसके बाद तीसरे मोर्चे की कवायद तेज हुई थी, लेकिन वामपंथी दलों को साथ लिए बिना तीसरे मोर्चे को सरजमीं पर उतार पाना सभी दलों के लिए आसान नहीं था।
राकांपा छह दलों वाले वाम मोर्चे से गठबंधन करने की ओर बढ़ती नजर आई, लेकिन इस दिशा में अब कुछ खास होता नहीं दिख रहा है। राकांपा के राष्ट्रीय महासचिव तारीक अनवर ने कहा, “हम सपा और सूबे के अन्य छोटे दलों के साथ तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। अगर बात नहीं बनी तो अकेले लड़ेंगे।”
सांसद पप्पू यादव के जन अधिकार मोर्चा के साथ गठबंधन से इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे दलों से बातचीत का सवाल ही नहीं उठता।
इस बीच सपा ने सोमवार को सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर तीसरे मोर्चे की संभावना खत्म कर दी है। एक सपा नेता की मानें तो महागठबंधन से अलग होने का फैसला बिहार के नेताओं के आकलन के बाद आया है। सपा के एक नेता ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि पार्टी नहीं चाहती कि महागठबंधन की बिहार की हार का खामियाजा उसे उत्तर प्रदेश में उठाना पड़े।
सपा के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र सिंह यादव ने कहा कि उनकी पार्टी बिहार विधानसभा की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि बिहार में एक तरफ ‘संप्रदायवाद’ है और दूसरी ओर ‘धोखावाद’।
मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने बिहार चुनाव को लेकर अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
दूसरी ओर, वामपंथी दलों की संयुक्त बैठक में यह साफ हो चुका है कि छह वामपंथी दल मिलकर बिहार चुनाव में उतर रहे हैं। भाकपा के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा, “बिहार की सभी सीटों पर छह वामदल मिलकर लड़ेंगे। 235 सीटों पर सहमति भी बन गई है, शेष सीटों पर भी फैसला जल्द हो जाएगा।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि राकांपा को वामदलों के मोर्चे में शामिल करने का निर्णय नहीं लिया गया है।
राजनीति के जानकार ज्ञानेश्वर का कहना है कि यह स्थिति जदयू के नेतृत्व वाले महागठबंधन के लिए अच्छी नहीं कही जा सकती, क्योंकि इससे धर्मनिरपेक्षता के पक्षधर मतदाताओं के मत बंट जाएंगे और इसका फायदा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को मिल साकता है।
उन्होंने कहा, “महागठबंधन और राजग के बीच सीधे मुकाबले में जदयू को फायदा मिल सकता था।”
ज्ञानेश्वर ने कहा, “यदि बिहार में त्रिकोणीय या बहुकोणीय चुनाव होते हैं तो यह भाजपा के लिए फायदेमंद रहेगा। इससे महागठबंधन को मिलने वाले मत बंट जाएंगे, जिसका लाभ भाजपा को मिल सकता है।”
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