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छत्तीसगढ़

छग : बाल हृदय योजना में 266 बच्चों ने गंवाई जान

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रायपुर। छत्तीसगढ़ की रमन सिंह सरकार अपनी महत्वकांक्षी बाल हृदय योजना के माध्यम से अपने उद्देश्यों में सफल तो हो रही है, लेकिन अस्पतालों की लापरवाही उस योजना की प्रतिष्ठा खराब करने में कोई कसार नही छोड़ रही है। (chhatishgarh hindi news, ) इस योजना में हालांकि 5,441 बच्चों का सफल इलाज हुआ, लेकिन 266 बच्चों की मौत भी हुई। 

266 बच्चों की मौत ने सरकार को हिलाकर रख दिया है और सरकार उन बच्चों के मौत की भरपाई उन अस्पतालों का भुगतान रोककर कर रही है।

छत्तीसगढ़ में 2008 में शुरू हुई मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना से अब तक 5,441 बच्चों का सफल इलाज हो चुका है, जबकि 266 बच्चों की मौत हुई है। मृत्यु वाले प्रकरण में एक भी अनुबंधित अस्पताल को शासन ने भुगतान नहीं किया है।

संचालनालय में बाल हृदय योजना की टेक्निकल कमेटी की बैठक हुई, जिसमें इलाज के दौरान मृत्यु क्यों हो रही है और बच्चों में हृदय संबंधी बीमारियां क्यों बढ़ रही हैं, इन दोनों के कारणों का पता लगाने के निर्देश दिए गए।

यह स्पष्ट करना जरूरी है कि मेडिकल गाइड-लाइन के मुताबिक, 10 हृदय संबंधी बीमारियों के ऑपरेशन-इलाज में 10 फीसदी मृत्यु हो सकती है, छत्तीसगढ़ में स्थिति अच्छी है, लेकिन कारण तक पहुंचना जरूरी है। इसे देखते हुए बाल हृदय योजना के तहत ऑपरेशन और ऑपरेशन के बाद बच्चों की मृत्यु की वजह जानने इसकी बात की पड़ताल की जाएगी कि अनुबंधित अस्पताल में कोई लापरवाही तो नहीं हुई, अस्पतालों में प्रशिक्षित स्टाफ है कि नहीं, अस्पतालों द्वारा सभी मानकों का पालन किया जा रहा है कि नहीं।

डेथ ऑडिट करने के लिए अंबेडकर अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. स्मिथ श्रीवास्तव को निर्देश दिया गया है। बाल हृदय योजना के लिए शुरुआत में यूरोपियन कमीशन और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत इलाज का खर्च वहन किया जाता था, यानी फंडिंग होती थी।

वर्तमान में यूरोपियन कमीशन और राज्य सरकार इलाज के खर्च को वहन करती है, जो सालाना करोड़ों में है। हृदय संबंधी 7 बीमारियों जो चिन्हित हैं, उनमें 1 लाख 30 हजार से 1 लाख 80 हजार रुपये तक बजट का प्रावधान है।

छत्तीसगढ़

तेलंगाना में पहले दिन 4 हजार स्वास्थ्यकर्मियों को मिलेगी कोरोना वैक्सीन

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हैदराबाद| विश्व के सबसे बड़े कोविड-19 टीकाकरण के लिए तेलंगाना पूरी तरह से तैयार है, जहां सरकार द्वारा संचालित सुविधाओं में 4,000 स्वास्थ्यकर्मियों को शनिवार को वैक्सीन की पहली खुराक दी जाएगी। स्वास्थ्य अधिकारियों ने राज्य के सभी 33 जिलों में फैले 139 केंद्रों पर लाभार्थियों को टीकाकरण करने के लिए सभी व्यवस्थाएं की हैं।

स्वास्थ्य मंत्री एटाला राजेंदर और चिकित्सा शिक्षा निदेशक रमेश रेड्डी हैदराबाद के गांधी अस्पताल में टीका प्राप्त करेंगे।

राज्यपाल डॉ. तमिलिसाई एस. निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एनआईएमएस) में वैक्सीन रोलआउट कार्यक्रम में भाग लेंगे।

इसके साथ ही राज्य भर में मंत्री, सांसद, राज्य विधान सभा और राज्य विधान परिषद के सदस्यों के साथ ही ग्राम सरपंचों के स्तर तक जन प्रतिनिधि अपने संबंधित जिला एवं क्षेत्र के अस्पतालों व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में आयोजित होने वाले अभियान में भाग लेंगे।

सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशक जी. श्रीनिवास राव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार की सुबह 10.30 बजे वर्चुअल तरीके से कार्यक्रम का शुभारंभ करेंगे। गांधी अस्पताल और एक ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र, नरसिंगी स्थित दो टीकाकरण केंद्रों में दो तरफा संचार (टू-वे कम्यूनिकेशन) की व्यवस्था की गई है।

प्रत्येक केंद्र पर अधिकतम 30 लाभार्थियों को टीका लगाया जाएगा। सोमवार से यह संख्या चरणों में बढ़ जाएगी और आने वाले दिनों में यह 100 प्रति केंद्र के अधिकतम स्तर तक पहुंच जाएगी।

टीकाकरण अभियान के दौरान शुरूआती दौर में अधिकांश संस्थानों में कार्यरत स्वच्छता और सुरक्षा विंग, अस्पतालों, जिला अस्पतालों और क्षेत्र के अस्पतालों के साथ ही आशा केंद्र, आंगनवाड़ी और अन्य कर्मचारियों को टीका लगाया जाएगा।

राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने सरकारी और निजी संस्थानों में 3.15 लाख स्वास्थ्य कर्मचारियों की पहचान की है।

सोमवार से टीकाकरण के लिए केंद्रों की संख्या में भी धीरे-धीरे वृद्धि की जाएगी और अगले कुछ दिनों में टीका की खुराक की उपलब्धता के आधार पर 1,213 केंद्रों पर कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।

राव ने कहा कि कोविड टीका सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे के बीच दिया जाएगा।

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से राज्य को अब तक 3.74 लाख कोरोना वैक्सीन की खुराक मिली है।

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छत्तीसगढ़

झारखंड में आदिवासियों के बीच हॉकी क्रांति का जनक बना एक स्कूली शिक्षक

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रांची | झारखंड में सरकारी सहायता प्राप्त एक अल्पसंख्यक स्कूल शिक्षक ने ‘जहां चाह, वहां राह’ की कहावत को सच साबित कर दिया है। यहां के एक शिक्षक बेनेडिक्ट कुजूर ने तमाम चुनौतियों के बाद भी न केवल ढेरों लड़के-लड़कियों को प्रशिक्षित किया बल्कि उनके द्वारा प्रशिक्षित खिलाड़ी राष्ट्रीय हॉकी टीम में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। झारखंड के सिमडेगा जिले के करनगुरी गांव में जहां लोगों को बुनियादी सुविधाएं भी मयस्सर नहीं हैं। वहीं अल्पसंख्यकों द्वारा संचालित प्राथमिक विद्यालय के प्राचार्य कुजूर ने अपने कामों से हॉकी क्रांति ला दी है। इसके अलावा पांचवीं तक के इस स्कूल को उन्होंने अपने प्रयासों से आठवीं तक का करवाया। कुजूर ने  बताया, “2003 में जब मुझे करनगुरी गांव में पोस्टिंग मिली तो मैंने यहां खेलों का आयोजन करने का फैसला किया। पहले तो ना छात्रों ने ना अभिभावकों ने रूचि ली। फिर मैंने उन्हें जागरुक करना शुरू किया। मैंने स्कूल में सभी स्टूडेंट्स के लिए खेल अनिवार्य कर दिए। यहां हॉकी खेलना ही एकमात्र विकल्प थे।” उन्होंने आगे कहा, “हमने छात्रों के लिए हॉकी प्रशिक्षण शुरू किया। लेकिन इस दौरान हमें संसाधनों की भारी कमी से जूझना पड़ा। हमने बांस से बनी हॉकी स्टिक इस्तेमाल की। हॉकी की गेंद न होने पर ‘शरीफा’ नाम के एक फल को गेंद के रूप में इस्तेमाल किया। बाद में बांस से बनी गेंद का इस्तेमाल किया। इन सारी चुनौतियों के बीच सबसे बड़ी समस्या थी स्किल डेवलपमेंट की है। कुजूर ने कहा, “हमने एक्सरसाइज करने के लिए छात्रों को नदी की बालू पर दौड़ने, पहाड़ियों पर चढ़ने के लिए कहा। यह क्षेत्र पिछड़ा है, यहां उचित आहार भी उपलब्ध नहीं था।  कुछ ही समय में यह स्कूल हॉकी की प्रतिभा के लिए एक नर्सरी बन गया। इस स्कूल में प्रशिक्षित कई खिलाड़ी जिला और राज्य स्तर पर खेल चुके हैं। वहीं राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ियों में ज्यादातर लड़कियां हैं। स्कूल के काम को देखते हुए अब इसे कई एनजीओ से मदद मिल रही है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाली लड़कियों में ब्यूटी डंडुंग, सुषमा कुमारी, अलका डंडुंग, दीपिका सोरेंग और पिंकी एक्का शामिल हैं। कुजूर को जब 2016 में जलडेगा स्थानांतरित किया गया, तब तक यह स्कूल हॉकी पावरहाउस बन चुका था। 019 में भारत के लिए खेलने वाली ब्यूटी डंडुंग ने अपने करियर में बेनेडिक्ट कुजूर के योगदान को सबसे अहम बताया था। डंडुंग ने बताया, “प्रिंसिपल सर ने हमारे लिए हॉकी स्टिक्स लाना अनिवार्य कर दिया था। स्कूल में हमने बांस की स्टिक से हॉकी खेली। मैंने ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों के खिलाफ कई मैच खेले हैं। इस दौरान सर द्वारा सिखाए गए स्किल्स ने अंतर्राष्ट्रीय हॉकी में भी हमारी मदद की है।  सिमडेगा हॉकी एसोसिएशन के सचिव मनोज कुमार ने कहते हैं, “झारखंड के 70 प्रतिशत हॉकी खिलाड़ी उसी स्कूल से आते हैं, जिसमें बेनेडिक्ट कुजूर ने छात्रों को प्रशिक्षित करना शुरू किया था। यहां के 6 खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं। यह स्कूल बेहतरीन बुनियादी कौशल प्रशिक्षण देता है।”
गौरतलब है कि झारखंड का हॉकी चैंपियन देने का समृद्ध इतिहास रहा है। प्रतिष्ठित खिलाड़ी जयपाल सिंह मुंडा भी झारखंड के ही थे।

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छत्तीसगढ़

परिवार के पांच लोगों की हत्या कर युवक ने की आत्महत्या

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बिलासपुर| छत्तीसगढ़ में बिलासपुर जिले के मटियारी गांव में शुक्रवार तड़के एक युवक ने अपने परिवार के पांच लोगों की हत्या करने के बाद ट्रक के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली। पुलिस सूत्रों ने बताया कि सीपत थाना क्षेत्र के मटियारी गांव के 22 वर्षीय रोशन सूर्यवंशी ने अपने पिता रूपदास सूर्यवंशी(45) , माता संतोषी(40) ,भाई रोहित(20) और ऋषि(15) तथा बहन कामिनी(14) की धारदार हथियार से हत्या कर दी। इसके बाद उसने सड़क पर तेज गति से आ रहे ट्रक के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली। हत्या के कारणों का अभी पता नहीं चल सका है। ग्रामीणों का कहना है कि युवक मानसिक रूप से विक्षिप्त था। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और आवश्यक तहकीकात कर रही है।

 

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