दंतेवाड़ा| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यहां बच्चों से हुई मुलाकात के दौरान उनसे कई रोचक सवाल पूछे गए और प्रधानमंत्री ने उनका अपने अंदाज में जवाब दिया। (chhattisgarh sabha in narendra modi) मोदी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि जीवन का सबसे ज्यादा आनंद बच्चा बने रहने का है। बड़े हो जाते हैं, तब हमें उसका महत्व पता चलता है। ईश्वर मुझसे पूछे कि क्या चाहते हो, तो मैं कहूंगा कि वापस बच्चा बनना चाहूंगा।
प्रधानमंत्री आज छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जनजाति बहुल दक्षिण बस्तर जिले के मुख्यालय दंतेवाड़ा केपास ग्राम जावंगा स्थित एजुकेशन सिटी परिसर के ऑडिटोरियम में जनजातीय छात्र-छात्राओं से बातचीत कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह भी उनके साथ थे।
उल्लेखनीय है कि राज्य शासन द्वारा शिक्षा के आधुनिक संसाधनों से परिपूर्ण यह परिसर बस्तर इलाके के नक्सल पीड़ित परिवारों के बच्चों के लिए विकसित किया गया है, जहां कक्षा पहली से लेकर कक्षा बारहवीं और उसके बाद तकनीकी शिक्षा की सुविधाएं दी जा रही हैं। परिसर में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान और पॉलिटेक्निक भी हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने बच्चों से मन की बात साझा की और इस परिसर की भी काफी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि जनजातियों की भूमि में शिक्षा का यह बड़ा परिसर दुनिया में इस अंचल का नाम रोशन करेगा। उन्होंने बच्चों को अपनी शुभकामनाएं दी।
बच्चों ने मोदी से कुछ इस तरह के सवाल पूछे-
सवाल : कोई घटना बताइए, जिससे आपको प्रेरणा मिली हो?
मोदी का जवाब : बहुत बार खुद से ज्यादा औरों की घटनाओं से प्रेरणा मिलती है। लेकिन उसके लिए हमें खुद को उस तरह बनाना होगा कि दूसरों से सीख सकें। आप लोग एक पोलीएना नामक किताब पढ़िएगा, 70-80 पन्नों की इस किताब में एक बच्ची का किरदार है। उसके मन में एक ही विचार रहता है कि हर चीज में से अच्छी बात कैसे निकाली जा सकती है।
सवाल : दिन में 18 घंटे काम कैसे करते हैं?
मोदी का जवाब : मैं कभी नहीं गिनता कि कितने घंटे काम किया। जब हम गिनना शुरू कर देते हैं, तो हम थक जाते हैं कि अरे इतना समय काम कर लिया। बच्चों आपको मिला होमवर्क जैसे ही पूरा होता है, वैसे ही आपकी थकान उतर जाती है। काम की थकान कभी नहीं होती, काम न करने की थकान होती है। जितना ज्यादा काम करते हैं, उतना ही ज्यादा आनंद मिलता है। आपलोग पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी दिलचस्पी लें। खेलने या पसीना बहाने से पढ़ाई का नुकसान नहीं होगा।
सवाल : आप जीवन की सबसे बड़ी सफलता किसे मानते हैं और उसका श्रेय किसे देंगे?
मोदी का जवाब : जीवन को सफलता और विफलता के तराजू से नहीं तौलना चाहिए। हमें एक ध्येय लेकर चलना चाहिए। कभी रुकावट और कठिनाइयां आएं, तो ध्येय के आगे यह बौनी हो जाती है। इसके साथ ही विफलता से सीखना चाहिए। ज्यादातर लोग इसलिए सफल नहीं होते क्योंकि वे विफलता से नहीं सीखते। मेरा जीवन ऐसा है, जिसमें ज्यादातर विफलताएं ही मिली हैं। कोशिश करता हूं कि विफलता से ज्यादा से ज्यादा सीखने का प्रयास करूं।
सवाल : यदि आप राजनीति में नहीं होते तो क्या होते?
मोदी का जवाब : जीवन का सबसे ज्यादा आनंद बच्चा बने रहने का है। बड़े हो जाते हैं तब हमें उसका महत्व पता चलता है। ईश्वर मुझसे पूछे कि क्या चाहते हो, तो मैं कहूंगा कि वापस बच्चा बनना चाहूंगा।
सवाल : अपनी सफलता का राज बताना चाहेंगे?
मोदी का जवाब : जीवन में किसी भी क्षेत्र में सफल होना है तो हमें पता होना चाहिए कि कहां और किस रास्ते जाना है। हमें पता होना चाहिए कि कैसे जाना है, कब तक जाना है। अगर हमारी ऐसी सोच होगी तो रुकावटों के बाद भी संकल्प ²ढ़ रहेगा। लक्ष्य से भटकने वालों को कभी सफलता नहीं मिलती।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर कुछ बनना है, तो बनने के सपने कम देखो और करने के सपने ज्यादा देखो। इस मौके पर एक छात्रा ने मोदी को उनका रेखाचित्र भेंट किया।
You must be logged in to post a comment Login